बुजुर्गों पर ज्यादा असर करता है पार्किंसंस डिजीज
देशभर में कोरोना का असर अभी भी देखने को मिल रहा है. कोरोना के नये-नये वैरिएंट ने सभी को परेशान कर रखा है. कोविड वायरस अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर रहा हैं. कोरोना के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 के दुष्प्रभाव भी अलग-अलग रूप में सामने आ रहे हैं. जो अब एक नए शोध में सामने आया कि यह वायरस पार्किंसंस डिजीज को बढ़ाता है. यह एक न्यूरो डिजनेरेटिव डिजीज है, जिसमें शरीर कांपता है और चलने-फिरने में संतुलन नहीं रह पाता है. मासपेशियां सख्त हो जाती हैं और शरीर में कंपन्न की समस्या पैदा हो जाती है.
यह बीमारी बुजुर्गों और बच्चों पर ज्यादा असर करती है. पार्किंसंस की बीमारी ज्यादातर 60 या इससे अधिक उम्र के लोगों में ही देखने को मिलती है.
इस बीमारी में वायरस की भूमिका को लेकर चूहों पर किया गया शोध मूवमेंट डिसआर्डर जर्नल में प्रकाशित हुआ है. इसमें बताया गया है कि कोविड चूहों के मस्तिष्क के नर्व्स सेल्स को उस टाक्सिन के प्रति संवेदनशील बना देता है, जो पार्किंसंस के लिए जिम्मेदार माना जाता है.
पार्किंसंस दिवस: हर साल 11 अप्रैल को पार्किंसस दिवस मनाया जाता है. यह एक बीमारी है जिसके कारण चलने-फिरने की गति धीमी पड़ जाती है. लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर वर्ष इस दिवस को मनाया जाता है. मासपेशियां सख्त हो जाती हैं और शरीर में कंपन्न की समस्या पैदा हो जाती है. विशेषज्ञ कहते हैं कि यह बीमारी अक्सर किसी एक हाथ में कंपन के साथ शुरू होती है. दुनियाभर में लाखों लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं. इसके इलाज के लिए कई दवाइयां भी उपलब्ध हैं, जिन्हें आप डॉक्टर की सलाह पर ले सकते हैं.
जानकारी के अनुसार दुनियाभर में पार्किंसंस की बीमारी से दो प्रतिशत लोग ग्रस्त हैं. लेकिन कोविड किस प्रकार से हमारे मस्तिष्क पर असर डाल सकता है, इसे जानना इस मायने में महत्वपूर्ण है कि हम अभी से उस बीमारी से निपटने की तैयारी कर लें. यह वायरस ब्रेन सेल्स को नुकसान या मौत के प्रति ज्यादा जोखिम वाला बनाता है.