May 19, 2024, 3:14 pm

Noida Flat Registry Issues: बिल्डर नहीं कर रहे बकाया राशि का भुगतान, मुश्किल में फंसी घरों की रजिस्ट्री… 40 हजार करोड़ का बकाया

Written By: गली न्यूज

Published On: Monday March 4, 2024

Noida Flat Registry Issues: बिल्डर नहीं कर रहे बकाया राशि का भुगतान, मुश्किल में फंसी घरों की रजिस्ट्री… 40 हजार करोड़ का बकाया

Noida Flat Registry Issues: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फ्लैट्स की रजिस्ट्री एकबार फिर मुश्किल में पड़ती नजर आ रही है। दरअसल, बिल्डरों पर 40 हजार करोड़ का बकाया है, जिसे वे चुकता नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही प्राधिकरण के पास 6600 करोड़ भी बचे हैं। ऐसे में खरीदारों की रजिस्ट्री के साथ ही जरूरी पैसों की कमी से विकास परियोजनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।

क्या है पूरा मामला

मिली जानकारी के मुताबिक नोएडा (Noida Flat Registry Issues) में अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के बाद फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री के लिए सरकार ने एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है। उम्मीद है कि खरीदारों की रजिस्ट्री के साथ ही प्राधिकरण के पैसे भी वापस आएंगे। अगर पैसे नहीं आते हैं तो विकास परियोजनाओं पर भी असर पड़ने की संभावना है। वर्तमान समय में बिल्डरों पर करीब 40 हजार करोड़ का बकाया है। वहीं, प्राधिकरण के खजाने में महज 6600 करोड़ रुपये बचे हुए हैं।

बीते दिनों औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी को दिए गए विवरण में इस बात की जानकारी दी गई है। प्राधिकरण की ओर से बताया गया है कि दो सरकारी बैंकों में एक वर्ष की अवधि के लिए प्राधिकरण ने 4300 करोड़ रुपये जमा कराए है। इसमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक शामिल है। वहीं, तीन निजी बैंकों में 2300 करोड़ रुपये की राशि जमा कराई है। अगर बिल्डरों पर बकाये के आंकड़ों पर गौर करें तो 100 करोड़ से अधिक की राशि वाले ग्रुप हाउसिंग के 45 बिल्डरों का आंकड़ा शासन को भेजा गया है। इन पर करीब 29 हजार करोड़ का बकाया है। इसके अलावा वाणिज्यिक विभाग के 10 बिल्डरों पर करीब आठ हजार करोड़ रुपये की देनदारी है। संस्थागत विभाग की चार एजेंसियों पर करीब दो हजार करोड़ बकाया है। इस सूची में औद्योगिक विभाग का एक आवंटी शामिल है, जिस पर 327 करोड़ रुपये की देनदारी बन रही है। कुल मिलाकर बिल्डरों के पास प्राधिकरण के करीब 40 हजार करोड़ रुपये फंसे हुए हैं।

कोर्ट के मामलों में प्राधिकरण के फंसे 20 हजार करोड़ रुपए

बकायेदार बिल्डरों में से कइयों के मामले कोर्ट में फंसे हुए हैं। इसमें वाणिज्यिक विभाग के मामलों समेत ग्रुप हाउसिंग विभाग के बिल्डरों के मामले भी शामिल हैं। आम्रपाली की परियोजनाओं के मामले में कोर्ट के आदेश के बाद प्राधिकरण ने बिना बकाये की वसूली के रजिस्ट्री कराने में सहयोग किया है। यूनिटेक के मामले में भी प्राधिकरण का करीब 10 हजार करोड़ का बकाया है। करीब 17 मामले नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में हैं, जिसका पैसा तब मिलेगा जब या तो परियोजना का काम शुरू हो जाए या फिर परियोजना की नीलामी हो। कोर्ट के मामलों में प्राधिकरण के करीब 20 हजार करोड़ रुपए फंसे हुए है।
पैसे कम खर्च करने के लिए प्राधिकरण लगा रहा जुगत

बिल्डरों के मामले में प्राधिकरण का खजाना खाली होने के बाद प्राधिकरण ने परियोजना पर खर्चों में कटौती के लिए कई जुगत लगाई। कुछ परियोजनाओं को पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप के मॉडल पर लाना शुरू किया। इसमें एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की योजना बनाई गई। इसी तरह से बिल्ट-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) के मॉडल पर भी काम दिया जाने लगा है। इसमें जो एजेंसी निर्माण करती है। वही इसका संचालन करते हुए पैसे कमाती है और फिर कुछ वर्षों के बाद इसे प्राधिकरण को वापस कर देती है। यह सबकुछ खर्चों में कटौती के लिए लागू किया गया।

कई परियोजना में पैसों की जरूरत होगी

एनएमआरसी की ओर से ग्रेनो वेस्ट परियोजना शुरू होने वाली है। इसमें नोएडा प्राधिकरण को पैसे देने होंगे। इलेक्ट्रोनिक सिटी से गाजियाबाद जाने वाली लाइन के लिए पैसे मांगे जाने की संभावना है। चिल्ला और भंगेल एलिवेटेड रोड की परियोजना के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा शहर में सौंदर्यीकरण समेत कई विभागों के कार्य पूरे वर्ष चलते रहते है। यहां खर्च होने की संभावना है।

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उधार भी नहीं चुकाया जा रहा

नोएडा प्राधिकरण ने कुछ एजेंसियों को करीब 5 हजार करोड़ का उधार दिया हुआ है। यह उधार बढ़ते हुए करीब 8-9 हजार करोड़ तक पहुंच गया। कुछ एजेंसियों ने उधार चुकाया, लेकिन कुछ ने नहीं चुकाया। ऐसे में प्राधिकरण का पैसा फंसा हुआ है।

ये हैं 100 करोड़ से अधिक के कुछ बड़े बकायेदार
  1. पेबेल्स प्रोलिज प्राइवेट लिमिटेड-287 करोड़
  2.  थ्री प्लेटिनम सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड-167 करोड़
  3.  ग्रेनाइट गेट प्रोपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड-984 करोड़
  4. सुपरटेक लिमिटेड-612 करोड़
  5. लाॅजिक्स इंफ्राटेक लिमिटेड-727 करोड़
  6. थ्री सी प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड-540 करोड़
  7. एम्स मैक्स गार्डेनिया डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड-1634 करोड़
  8. गार्डेनिया एम्स डेवलेपर्स प्राइवेट लिमिटेड-665 करोड़

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