April 29, 2024, 8:05 pm

Auris Builder News: ऑरिस बिल्डर पर ईडी ने की कार्रवाई, करोड़ों की जालसाजी का मामला…मांगी ऑडिट रिपोर्ट

Written By: गली न्यूज

Published On: Monday March 25, 2024

Auris Builder News: ऑरिस बिल्डर पर ईडी ने की कार्रवाई, करोड़ों की जालसाजी का मामला…मांगी ऑडिट रिपोर्ट

Auris Builder News:  ऑरिस बिल्डर पर करोड़ो की धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला सामने आया है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पुराने मुकदमे और यमुना प्राधिकरण की जांच-पड़ताल का हवाला देते हुए रिपोर्ट मांगी है। प्रवर्तन निदेशालय ने यमुना अथॉरिटी से उपलब्ध दस्तावेज मांगे हैं। प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि ऑरिस समूह की कंपनियों में हो गए धन के लेन देन पर सवालिया निशान हैं।

क्या है पूरा मामला

बतादें, ग्रेटर नोएडा (Auris Builder News) में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यमुना अथॉरिटी (Yamuna Authority) को पत्र लिखकर ऑरिस ग्रुप की ऑडिट रिपोर्ट और कई दूसरे विवरण मांगे हैं। ईडी ने ऑरिस ग्रुप के यमुना एक्सप्रेसवे के पास ग्रीनबे गोल्फ विलेज हाउसिंग (Green Bay Golf Village) प्रोजेक्ट में विसंगतियां बताई हैं। ईडी ने प्राधिकरण से पूछा है कि अगर आपके पास ऑरिस ग्रुप की कोई जानकारी है तो उसकी रिपोर्ट दें। ऑरिस लैंड एंड हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की पूरी ऑडिट रिपोर्ट की जानकारी मांगी है।

ईडी ने यमुना प्राधिकरण को पत्र लिखा

इस मुद्दे पर ईडी के उपनिदेशक पेम्मैया केडी ने यमुना प्राधिकरण को पत्र लिखते हुए कहा, “हमारा विभाग ऑरिस समूह के मामले में जांच कर रहा है। यह पता चला है कि यमुना प्राधिकरण ने ऑरिस ग्रुप के ग्रीनबे प्रोजेक्ट का ऑडिट किया है। यमुना सिटी के सेक्टर-22डी में भूमि आवंटन के संबंध में यमुना प्राधिकरण को वित्तीय विसंगतियां मिली हैं। यह भी पता चला है कि यमुना प्राधिकरण ने पुलिस के पास सूचना दर्ज करवाई है।” अब ईडी ने ऑरिस समूह से जुड़ीं सभी प्रकार की रिपोर्ट यमुना प्राधिकरण से मांगी हैं।

पहला मुकदमा जून 2018 दर्ज किया गया था

आपको बता दें कि बीते 27 जून 2018 को ग्रीनबे इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना का निर्माण करने वाली एओरिस कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक विश्वासघात और कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। उस समय यमुना प्राधिकरण ने घर खरीदारों से अर्जित धन को दूसरे प्रोजेक्ट के लिए स्थानांतरित करने का आरोप ऑरिस ग्रुप के निदेशकों पर लगाया था।

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कैसे सबसे बड़ा डिफॉल्टर बना ओरिस ग्रुप? आई जाने…

डेवलपर को 620 फ्लैट और 684 भूखंडों के साथ एक टाउनशिप बनाने के लिए सेक्टर-22 डी में 100 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। तब भूमि का प्रीमियम 192 करोड़ रुपये था। हालांकि, ओरिस ने कुछ समय बाद बकाया भुगतान करने में चूक करना शुरू कर दिया। 455 करोड़ रुपये के साथ ऑरिस समूह वर्तमान में यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के सबसे बड़े डिफॉल्टरों में से एक है। जब बकाया बढ़ता गया तो यमुना प्राधिकरण ने डेवलपर के वित्तीय लेनदेन की जांच के लिए एक ऑडिट समिति का गठन किया।

अब इस मामले में ईडी ने जांच करनी शुरू करदी

अभी इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पुराने मुकदमे और यमुना प्राधिकरण की जांच-पड़ताल का हवाला देते हुए रिपोर्ट मांगी है। प्रवर्तन निदेशालय ने यमुना अथॉरिटी से उपलब्ध दस्तावेज मांगे हैं। प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि ऑरिस समूह की कंपनियों में हो गए धन के लेन देन पर सवालिया निशान हैं। जिसकी पड़ताल चल रही है।

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