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Kotgadi Bhagwati Temple: उत्तराखंड के इस मंदिर में चिट्ठी लिखने से मिलता है इंसाफ, खुद न्याय करती है मां

Written By: गली न्यूज

Published On: Wednesday August 9, 2023

Kotgadi Bhagwati Temple: उत्तराखंड के इस मंदिर में चिट्ठी लिखने से मिलता है इंसाफ, खुद न्याय करती है मां

Kotgadi Bhagwati Temple: देवभूमि उत्तराखंड में मंदिरों (Uttarakhand temples) की कोई कमी नहीं है. यहां एक कोटगाड़ी भगवती मंदिर (Kotgadi Bhagwati Temple) है, जो पिथौरागढ़ जिले में आने वाले पांखू में पड़ता है. जहां मां के कई चमत्कार देखने को मिलते हैं. मां कोकिला (कोटगाड़ी) के मंदिर को न्याय के मंदिर के रूप में जाना जाता है. लोग आपसी विवाद, लड़ाई-झगड़े के मामलों में न्यायालय में  जाने के  बजाय मां के दरबार में ले जाना पसंद करते हैं. श्रद्धालु मंदिर में सादे कागज में चिट्ठी लिखकर न्याय की गुहार लगाते है. मंदिर में टंगी असंख्य अर्जियां इस बात की गवाही देती हैं. वहीं, जंगलों की रक्षा के लिए लोग पांच या दस साल के लिए जंगल मां कोकिला (कोटगाड़ी) को चढ़ा देते है. मां कोकिला के दरबार के चाहने वाले देश, दुनियां में बहुत हैं. पहाड़ियों के बीच में मंदिर मन को मोह लेता है.

माता के दरबार में मिलता है इंसाफ

कोटगाड़ी भगवती मंदिर माता भगवती का मंदिर है. जहां लोग अपने मुराद लेकर जाते हैं यहां मन से मांगी मुराद पूरी होती है. इस मंदिर को न्याय का मंदिर भी कहा जाता है लोगों का मानना है अगर कोई लड़ाई झगड़ा, किसी को इंसाफ चाहिए हो तो वह माता के यहां आकर इंसाफ मांगता है और उसको इंसाफ भी मिल जाता है. माता के दर्शन करने के बाद बरारी देवता का दर्शन करना जरूरी है. उनके दर्शन के बिना मंदिर के दर्शन अधूरे माने जाते हैं.

कोटगाड़ी मंदिर के अन्य नाम

कोटगाड़ी देवी अर्थात कोकिला देवी के नाम से भी जाना जाता है. कोटगाड़ी भगवती मंदिर को विभिन्न रूपों से जाना जाता है कोकिला देवी मंदिर, कोटगाड़ी मंदिर, भगवती मंदिर, इंसाफ का मंदिर ,कामना पूर्ति मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

मान्यताओं के अनुसार मंदिर के अंदर माता की मूर्ति में योनि गिरी हुई है. जिसे ढक कर रखा जाता है. माता के मंदिर के बाहर बागादेव के रूप में पूजित दो भाई सूरजमल और छुरमल का मंदिर है. मंदिर के सीधे तरफ कुंड में धूनी है. माना जाता है कि माता के हवन कुंड की भस्म माथे पर लगाने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और लोग इस भस्म को घर भी लेकर जाते हैं.

इंसाफ का मंदिर- कोटगाड़ी मंदिर

इस मंदिर को इंसाफ का मंदिर भी कहा जाता है. लोग अपनी आपदा विपदा, अन्याय ,असमय कष्ट, कपट का निवारण के लिए माता को पुकार लगाते हैं और इंसाफ मांगते हैं. पहाड़ों की भाषा में इसे घात लगाना भी कहा जाता है. लोग कोट कचहरी ना जाकर माता के मंदिर में आना ज्यादा पसंद करते हैं.

पांचवीं पुश्तों का भी मिलता है न्याय

यहां लोगों का विश्वास है कि माता भगवती के दरबार में पांचवीं पुश्तों का भी न्याय मिलता है. यही कारण है कि माता के मंदिर पर हर साल काफी भीड़ रहती है. पहले देवी के सामने अपने प्रति हो रहे अन्याय की पुकार घात लगाने की प्रथा थी लेकिन अब विपदा को पत्र या पेपर में लिखकर देखने का प्रचलन बढ़ गया है. यह मंदिर कई साल पहले चंद्र राजाओं के समय में स्थापित किया गया और माता रानी का स्वप्न में अगर यह मंदिर बनाने का आदेश दिया गया. हर साल यहां पर चैत्र व अश्विन मास की अष्टमी को और भादो में ऋषि पंचमी को मंदिर में मेला लगता है. न्याय की देवी यहां न्याय करती है कोई मुराद खाली नहीं जाती है.

पहाड़ियों के बीच में मंदिर मन को मोह लेता है. चारों ओर बड़े-बड़े देवदार के पेड़, ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, हरे-भरे खेत है. आसपास में लोगों के घर, दुकानें और बाजार भी हैं. दुकानों में कोटगाड़ी देवी की तस्वीरें और मंदिर में पूजा के लिए सामग्री आदि सब मिलता है. भोजन करने के लिए होटल भी उपलब्ध है.|

माता रानी के मंदिर में आकर लोग अपने घर के लिए पूजा-पाठ आदि भी कराते हैं. जिससे घर में शांति रहे, अगर किसी ने आप के साथ अपराध या छल किया है तो उसको भी सजा मिल जाती है और घर में आने वाली नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं होता है. ऐसा मान्यता है कि माता रानी के मंदिर में अपने घर के लिए पाठ करा लेने से सारी परेशानियां खत्म हो जाती है.

कोटगाड़ी देवी मंदिर तक कैसे पहुंचे ?

कोटगाड़ी देवी मंदिर पहुंचने के लिए अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं तो आपका लास्ट स्टेशन काठगोदाम रहेगा. काठगोदाम से लगभग 205 किलोमीटर की दूरी आपको प्राइवेट टैक्सी या फिर उत्तराखंड परिवहन की बसों में सफर करना होगा. अगर आप हवाई जहाज से आना चाहते हैं तो आपको पिथौरागढ़ एयरपोर्ट से लगभग 74 किलोमीटर ही प्राइवेट टैक्सी से आना होता है. पिथौरागढ़ के लिए आपको पंतनगर एयरपोर्ट से आना पड़ता है.

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