May 9, 2024, 2:47 am

Compensation Scam: नोएडा मुआवजा घोटाले में हुआ बड़ा खुलासा, इन अधिकारियों के नाम आए सामने

Written By: गली न्यूज

Published On: Friday March 1, 2024

Compensation Scam:  नोएडा मुआवजा घोटाले में हुआ बड़ा खुलासा, इन अधिकारियों के नाम आए सामने

Compensation Scam: नोएडा मुआवजा घोटाले का खुलासा हो गया है। शहर के बीचोंबीच गेझा तिलपताबाद गांव में जमीन अधिग्रहण के नाम पर हुए करीब 100 करोड़ रुपये के इस घोटाले में बड़े-बड़े अफसर शामिल रहे हैं। मामले की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। जिसमें किसानों को मुआवजा देने फाइल भी शामिल है। इस फाइल पर तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी रमा रमण और अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी राजेश प्रकाश के हस्ताक्षर हैं। इन दोनों शीर्ष अफसरों ने किसानों को मुआवजा देने के लिए फाइल की नोटशीट पर साफ-साफ मंजूरी दी है। रमा रमण रिटायर हो चुके हैं। राजेश प्रकाश उत्तर प्रदेश के लिए नेशनल कैपिटल रीजन बोर्ड में एडिशनल कमिशनर हैं।

क्या है पूरा मामला

मिली जानकारी के मुताबिक नोएडा (Compensation Scam) के गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से करोड़ों रुपये का मुआवजा देने के मामले में शिकायत हुई थी। प्राधिकरण अफसरों, दलालों और किसानों ने हाईकोर्ट की फर्जी याचिका का हवाला दिया। अब अक्टूबर 2023 में सीईओ रितु माहेश्वरी के आदेश पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। नोएडा के दो अधिकारियों और एक काश्तकार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इन लोगों पर 7,26,80,427 रुपये का मुआवजा बिना किसी अधिकार के गलत तरीके से भुगतान करने का आरोप है। इसे आपराधिक साजिश बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को देखकर उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। प्राधिकरण के सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर को एफआईआर में नामजद किया गया। नागर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मांगी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद वीरेंद्र नागर ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करके राहत की मांग की। अब इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

केवल चार दिनों में अफसरों ने मंजूरी दी

गेझा तिलपताबाद गांव की महिला किसान रामवती के नाम पर 27 बंच केसेज की फाइल तैयार की गई। कार्यालय सहायक मदनलाल मीणा ने 16 नवंबर 2015 को फाइल बनाई। बताया गया कि हाईकोर्ट में 14 अपील लंबित हैं। प्राधिकरण हित में किसानों से सहमति बनाना जरूरी है। इसके लिए किसानों को बढ़े मुआवजा का लाभ देना प्राधिकरण हित में रहेगा। इस फाइल पर महज चार दिनों में तमाम जिम्मेदार अफसरों ने दस्तखत किए और मंजूरी दी। सबसे पहले सहायक विधिक अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर और विधि सलाहकार दिनेश कुमार सिंह ने उसी दिन 16 नवंबर 2015 को हस्ताक्षर किए।

इसके बाद 19 नवंबर 2015 को तत्कालीन अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी राजेश प्रकाश और 20 नवंबर 2015 को मुख्य कार्यपालक अधिकारी रमा रमण ने मंजूरी दे दी। इस तरह महज चार दिनों में यह फाइल रॉकेट की रफ्तार से दौड़ाई गई। राजेश प्रकाश 10/10/2014 से 17/07/2016 तक नोएडा के एसीईओ रहे थे। रमा रमण 14/12/2010 से 24/08/2016 तक नोएडा के सीईओ रहे थे। इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि हाईकोर्ट में दाखिल जिस अपील का हवाला दिया गया था वह कई साल पहले खारिज हो गई थी।

अब 18 मार्च को फिर होगी सुनवाई

नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में हुए 100 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले की बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने सुनवाई की। अदालत के सामने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की जांच रिपोर्ट पेश की गई है। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा, “एसआईटी को इन दो अफसरों के अलावा और कौन से अफसर जिम्मेदार मिले।” सरकारी वकील ने कोर्ट को सीधे जवाब देने की बजाय कहा कि एफआईटी ने करीब 1,200 मामलों की गहराई से छानबीन की है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने फिर पूछा कि क्या केवल यही दोंनो अफसर गलत ढंग से मुआवजा बांटने के लिए जिम्मेदार मिले हैं। इस बार सरकारी वकील ने कहा कि अभी तो इन दोनों की भूमिका सामने आई है।

वकील ने नोट शीट का मामला उठाया

नोएडा की सीईओ रहते हुए रितु माहेश्वरी ने अथॉरिटी के निलंबित विधि सलाहकार दिनेश कुमार सिंह और सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र नागर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। अब एसआईटी ने इन्हीं दोनों को जिम्मेदार ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि दोनों अफसर तो बहुत छोटे हैं। उन बड़े अफसरों के नाम बताइए, जो इस घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं। इन दोनों अफसरों की ओर से कोर्ट में अपनी-अपनी प्रॉपर्टी का ब्यौरा भी सौंपा गया है। वीरेंद्र नागर के वकील ने अदालत से कहा कि बाकी अफसरों की संपत्तियों का ब्यौरा भी मांगा जाए।

इस अदालत ने सहमति जाहिर की, लेकिन अभी आदेश नहीं दिया है। आपको बता दें कि गेझा तिलपताबाद गांव में हुए मुआवजा घोटाले को लेकर नोएडा अथॉरिटी ने दो एफआईआर दर्ज करवाई हैं। पहली एफआईआर के खिलाफ वीरेंद्र नागर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मांगी थी। हाईकोर्ट में जमानत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद वीरेंद्र नागर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाने की बात कही। इस पर राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन कर दिया था।

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करीब 100 करोड़ का घोटाला हुआ

मिली जानकारी के मुताबिक, नोएडा के गेझा तिलपताबाद में करीब 100 करोड़ रुपये का मुआवजा घोटाला हुआ है। एसआईटी ने गड़बड़ी से जुड़ी जांच पूरी करके रिपोर्ट तैयार की। इस घोटाले में शामिल अधिकारियों की सूची सुप्रीम कोर्ट मांगी। यह रिपोर्ट करीब 200 पन्नों की है। सोमवार को एसआईटी की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। अभी आदलत किसी निर्णय पर नहीं पहुंची। सारे पक्षों से अलग-अलग बिंदुओं पर जवाब मांगे हैं। प्राधिकरण के तत्कालीन आला अधिकारियों की संलिप्तता सामने आ सकती है।

अदालत ने की थी तल्ख टिप्पणी

नवंबर 2023 में इस मामले में सुनवाई हुई थी। एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने केवल इसी मामले की रिपोर्ट पेश की थी। घोटाले के लिए जिम्मेदार अफसरों के नाम नहीं बताए और न ही कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की थी। तब कोर्ट ने भ्रष्ट अधिकारियों के नाम उजागर करने को कहा था। पिछली सुनवाई में एसआईटी ने रिपोर्ट जमा की। एसआईटी की रिपोर्ट हिंदी में थी। कोर्ट ने अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए शासन को आदेश दिया था।

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