April 27, 2024, 2:21 pm

Mukhtar Ansari Death Updates: मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर सियासत हुई तेज? मौत और हत्या में फर्क नही…विपक्ष ने लगाए आरोप

Written By: गली न्यूज

Published On: Friday March 29, 2024

Mukhtar Ansari Death Updates: मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर सियासत हुई तेज? मौत और हत्या में फर्क नही…विपक्ष ने लगाए आरोप

Mukhtar Ansari Death Updates: उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर सियासत तेज हो गई है। जहां एक तरफ उसकी मौत की वजह हार्ट अटैक को बताया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष उसकी मौत को एक साजिश बता रहा है। बतादें, गुरुवार शाम करीब साढ़े छह बजे मुख्तार की जेल में तबीयत बिगड़ी थी। इसके बाद प्रशासन के अधिकारी मौतके पर पहुंचे और करीब साढ़े आठ बजे के आसपास उसे मेडिकल कॉलेज लाया गया था। जहां दो घंटे तक उसका इलाज चला। उसे आईसीयू से सीसीयू में शिफ्ट किया गया। जहां रात साढ़े दस बजे के आसपास उसकी मौत हो गई।

क्या है पूरा मामला

बतादें, करीब ढाई साल से उत्तर प्रदेश (Mukhtar ansari Death Updates) की बांदा जेल में बंद पूरब के माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात हार्ट अटैक (कार्डिया अरेस्ट) से मौत हो गई। मुख्तार को मौत से करीब तीन घंटे पहले ही इलाज के लिए मंडलीय कारागार से मेडिकल कॉलेज लाया गया था। जहां नौ डॉक्टरों की टीम उसके इलाज में जुटी थी। रात करीब साढ़े दस प्रशासन ने मुख्तार की मौत की सूचना सार्वजनिक की। तब तक मुख्तार के परिवार का कोई सदस्य मेडिकल कॉलेज नहीं पहुंचा था।

गुरुवार शाम करीब साढ़े छह बजे मुख्तार की जेल में तबीयत बिगड़ी थी। इसके बाद प्रशासन के अधिकारी मौतके पर पहुंचे और करीब साढ़े आठ बजे के आसपास उसे मेडिकल कॉलेज लाया गया था। जहां दो घंटे तक उसका इलाज चला। उसे आईसीयू से सीसीयू में शिफ्ट किया गया। जहां रात साढ़े दस बजे के आसपास उसकी मौत हो गई।

ऐसे हुई थी मौत…

बताया जा रहा है कि तीन दिनों से बीमार चल रहे जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की तबीयत गुरुवार रात अचानक फिर बिगड़ गई। सूचना मिलते ही जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल, एसपी अंकुर अग्रवाल कई थानों की पुलिस फोर्स के साथ मंडलीय कारागार पहुंचे। करीब 40 मिनट तक अधिकारी जेल के भीतर रहे। इसके बाद मुख्तार को एंबुलेंस से दोबारा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। बताया जा रहा है कि मुख्तार को दिल का दौरा पड़ा है। रात में अस्पताल में उसका निधन हो गया।

दरअसल, दो दिन पहले 26 मार्च को मुख्तार ने जेल प्रशासन से पेट में दर्द की शिकायत की थी। इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टरों ने ज्यादा खाने (ओवरईटिंग) व कब्ज का इलाज किया गया और 14 घंटे बाद उसी दिन देर शाम उसे वापस मंडलीय कारागार भेज दिया गया था। इधर, गुरुवार शाम साढ़े सात बजे के आसपास अचानक मुख्तार की तबीयत बिगड़ने पर प्रशासन ने आनन-फानन उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। मुख्तार के स्थानीय अधिवक्ता नसीम हैदर ने बताया कि मुख्तार को हार्ट अटैक पड़ने की आशंका है। इधर हालात बिगड़ने न पाए, इसके लिए जिले भर की पुलिस फोर्स को अलर्ट कर दिया गया है। जेल के भीतर भी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है।

मुख्तार ने खाना-पीना कर दिया था न के बराबर

गौरतलब है कि दो दिन पहले मेडिकल कॉलेज से आने के बाद मुख्तार ने खाना-पीना न के बराबर कर दिया था। बुधवार तक कुछ फल ही खाए थे। गुरुवार को मुख्तार ने सिर्फ थोड़ी सी खिचड़ी ही खाई थी। जेल सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार दोपहर से उसकी तबीयत दोबारा बिगड़ने लगी थी। सूचना मिलते ही जिला अस्पताल के तीन डॉक्टरों की टीम ने मौके पर पहुंच कर उसकी सेहत की जांच की थी। इसके बाद बांदा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों के मुताबिक मुख्तारी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई।

भाई और बेटे ने दो दिन पहले जताई थी आशंका

दो दिन पहले जब मुख्तार की हालत बिगड़ने पर उसे जेल से मेडिकल कॉलेज लाया गया था, तभी उसे भाई अफजाल और बेटे उमर अब्बास ने पिता की मौत की आशंका जताई थी। जेल प्रसासन पर गंभीर आरोप लगाए था। अफजाल ने तो यह तक कहा था कि उसके भाई की हत्या का सातवीं बार प्रयास किया गया है। इस बार भी 19 मार्च को उन्हें खाने में जहर दिया गया था। वहीं बेटे उमर ने भी प्रशासन पर आरोप मढ़ते हुए कहा था कि उसे पिता से मिलना तो दूर शीशे से देखने तक नहीं दिया गया था।

मुख्तार की जिंदगी के अंतिम नौ दिन
  • 20 मार्च को माफिया मुख्तार अंसारी के वकील ने 19 मार्च को जेल के खाने में जहर देने का आरोप लगाया।
  • 24 मार्च को शासन के निर्देश पर लापरवाही के आरोप में जेल के दो डिप्टी जेलर समेत तीन का निलंबन हुआ।
  •  25 मार्च की देर रात 3 बजे अचानक मुख्तार के पेट में दर्द उठा।
  • 26 मार्च को तड़के 5.30 बजे उसे एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया।
  • 26 मार्च की शाम 6.30 बजे मुख्तार को मेडिकल कॉलेज से वापस मंडलीय कारागार भेज दिया गया।
  • 27 मार्च को परिजनों ने एमपी-एमएलए कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर हत्या की साजिश का आरोप लगाया।
  • 27 मार्च की शाम को बांदा एमपी-एमएलए कोर्ट जेल प्रशासन से मुख्तार की सेहत की रिपोर्ट तलब की।
  •  28 मार्च की दोपहर 2.30 बजे के आसपास मुख्तार को फिर से तकलीफ हुई। इस पर करीब 3.30 बजे डॉक्टरों की टीम ने उसका चेकअप किया।
  • 28 मार्च की शाम 5 बजे एडीएम राजेश कुमार ने जेल पहुंचकर मुख्तार के बारे में अधिकारियों से जानकारी की।
  • 28 मार्च की देर शाम 7.30 बजे डीएम और एसपी भी काफिले के साथ जेल पहुंचे।
  • रात 8.15 बजे एंबुलेंस मंगाकर मुख्तार को बेहोशी की हालत में मेडिकल कॉलेज के लिए रवाना किया गया।
  • 8.30 बजे मेडिकल कॉलेज में मुख्तार का आईसीयू में इलाज शुरू किया गया।
  • 9.20 बजे उसे आईसीयू से सीसीयू में शिफ्ट किया गया।
  • देर रात 10.30 बजे प्रशासन ने मुख्तार की मौत की सूचना को सार्वजनिक किया।
  • देर रात 11 बजे कमिश्नर और डीआईजी भी मेडिकल कॉलेज पहुंचे।
  • देर रात 12.30 बजे शव को पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया।
मुख्तार अंसारी की मौत की न्यायिक जांच के आदेश

माफिया मुख्तार अंसारी की मौत मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं। मुख्तार अंसारी की गुरुवार को मौत हो गई थी। बांदा जेल में हार्ट अटैक के बाद मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरोंं ने मृत घोषित कर दिया।

मुख्तार अंसारी की मौत पर आया शिवपाल यादव का आया बयान

शिवपाल सिंह यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर कहा है कि इस परिवार से हमारे बहुत अच्छे संबंध थे। इस परिवार का आजादी की लड़ाई में भी योगदान था. यह मौत संदेह के घेरे में है। न्यायालय को इसमें स्वयं रुचि लेनी चाहिए। किसी की अगर जेल में मृत्यु होती है तो उसकी जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों की जेल से लेकर सरकार तक की है। अब्बास के पिता की जब मौत हुई है तो डीएम को जनाजे में शामिल होने की खुद परमिशन दे देनी चाहिए।

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मुख्तार अंसारी परिवार को इलाहाबाद HC से नहीं मिली राहत

मुख्तार अंसारी के परिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। अंसारी परिवार जेल में बंद विधायक बेटे अब्बास अंसारी को मुख्तार अंसारी के जनाजे में शामिल कराना चाहता था। इसके लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अर्जी मेंशन की जानी थी। मुख्तार अंसारी के परिवार की अर्जी एमपी-एमएलए से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली जस्टिस संजय कुमार सिंह की बेंच में मेंशन होनी थी। यह बेंच आज नहीं बैठी और इसके मुकदमे जस्टिस समित गोपाल की बेंच में ट्रांसफर कर दिए गए।

जस्टिस समित गोपाल की बेंच ने दूसरी बेंच से आए किसी भी मुकदमे को सुनने से इनकार कर दिया। इस वजह से मुख्तार अंसारी के परिवार की अर्जी हाईकोर्ट में मेंशन नहीं हो सकी है। अंसारी परिवार अब सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करने की तैयारी में जुट गया है। थोड़ी देर में अब सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की जाएगी। हालांकि, वकील इस बात की कोशिश में भी जुटे हुए हैं कि मामला चीफ जस्टिस के यहां मेंशन हो जाए और चीफ जस्टिस किसी बेंच को सुनवाई के लिए नॉमिनेट कर दे।

क्या अब्बास अंसारी को मिल पाएगी पैरोल?

इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्तार अंसारी के परिवार की अर्जी से जुड़ा मामला है। एमपी-एमएलए से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली जस्टिस संजय सिंह की बेंच आज नहीं बैठी है। इस कोर्ट के मुकदमे दूसरे बेंच में ट्रांसफर कर दिए गए हैं। मुख्तार अंसारी के वकील अब जस्टिस समित गोपाल की बेंच में केस को मेंशन करेंगे । विधायक बेटे अब्बास अंसारी को पैरोल दिए जाने या फिर न्यायिक हिरासत में जनाजे में शामिल होने की इजाजत दिए जाने की गुहार लगाई जाएगी।

अखिलेश यादव बोले- ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा यूपी

सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

  • थाने में बंद रहने के दौरान
  • जेल के अंदर आपसी झगड़े में
  • जेल के अंदर बीमार होने पर
  • न्यायालय ले जाते समय
  • अस्पताल ले जाते समय
  • अस्पताल में इलाज के दौरान
  •  ⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर
  • ⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर
  •  ⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर

ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं। जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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