Pet Pigeon News: क्या आपकी सोसाइटी में भी है कबूतरों का डेरा तो संभल जाइए.. नहीं तो नुकसान उठाना पड़ सकता है
Pet Pigeon News: नोएडा-ग्रेटर नोएडा के सोसाइटिज में रहने वाले लोगों को एक नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है. ये समस्या बिल्डर ने नहीं बल्कि खुद सोसाइटी में रहने वाले लोगों ने खड़ी कर रखी है. इस नई समस्या का नाम है कबूतर पालने और उन्हें दाना खिलाने का शौक. बेजुबान पशु-पक्षियों को खाना खिलाकर लोगों को आत्मिक शांति मिलती है, उन्हें लगता है कि वो बहुत पुण्य का काम कर रहे हैं, लेकिन कई बार ये खुद की सेहत के लिए नुकसान दायक साबित होती है.
क्या है नई परेशानी
आपके अपार्टमेंट्स से चिडि़यां, गोरैया गायब हो गए हैं और अब कबूतरों (Pet Pigeon News) ने डेरा जमा लिया है. ये कबूतर आपके घर की बैलकनी में, छत या रोशनदान के बाहर डेरा डालते हैं और यहां-वहां बीट करते रहते हैं। सुनकर लग रहा होगा कि ये तो बहुत ही नेचुरल है, लेकिन क्या आप जानते हैं कबूतर की बीट में क्लामाइडिया सिटिकाई नामक बैक्टीरिया होता है। ये बैक्टीरिया हवा के जरिए मनुष्यों के फेफड़ों तक पहुंच जाता है, जिससे व्यक्ति सिटिकोसिस नामक इन्फेक्शन का शिकार हो जाता है. हाल-फिलहाल इस समस्या से परेशान मरीजों का संख्या लगातार बढ़ रही है.
किस तरह की बिमारियों का हो सकते हैं शिकार
कबूतर की मदद से ऐसी कई बीमारियां हैं जो चाहे-अनचाहे प्रवेश कर आपको बीमार कर सकती हैं. असल में कबूतर के कारण कई खतरनाक पैथोजेन जैसे सिटाकोसिस, सालमोनेला और हिस्टोप्लासमोसिस घर में एंट्री कर जाते हैं जिससे आपको सांस संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। वहीं कबूतर की बीट भी खतरनाक है. इसमें पाया जाने वाला Aspergillus Fungus इंसान के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. कबूतर अपने साथ टिक्स और माइट्स जैसे कीड़ों को साथ लाते हैं। वहीं इनकी बीट में पाया जाने वाला Aspergillus Fungus इंसान के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
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हिस्टोप्लासमोसिस या डार्लिंग बीमारी
यह फंगल इंफेक्शन बच्चों, बुजुर्गों, अस्थमा के मरीज और कमजोर प्रतिरक्षा क्षमता वाले लोगों को और बीमार कर सकता है। इससे प्रभावित लोगों के अंदर फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं जिसमें सरदर्द, बुखार सूखी खांसी और थकान शामिल है.
क्रिप्टोकोकोसिस
इस इंफेक्शन से फेफड़े और नर्वस सिस्टम प्रभावित होते हैं.
कैंडिडायसिस
यह फंगल इंफेक्शन आपके गले, मुंह और चमड़ी को प्रभावित करता है। इसके चलते सांस संबंधी और पेशाब के रास्ते में संक्रमण हो सकता है। वहीं इस इंफेक्शन के चलते व्यक्ति को डकार, सूजन, अपच, नींद आना, डायरिया, गैस बनना, उल्टी और अल्सर जैसी चीजों से जूझना पड़ सकता है.
कबूतर की बीट में बैक्टीरिया, फंगी और पैरासाइट समेत कई सूक्ष्मजीव होते हैं। कबूतर की बीट एक एक खतरनाक फंगी पाया जाता है, जिसका नाम है हिस्टोप्लाज्मा कैप्सूलटम। यह फंगी ज्यादातर पक्षियों की बीट में पाया जाता है, खासकर कबूतरों की बीट में तो होता ही है। जब कबूतर का मल सूख जाता है और एयरबोर्न (वायुजनित) हो जाता है, तो ये फंगी सांस के जरिए शरीर के अंदर जा सकते हैं, जिससे ब्रीदिंग इन्फेक्शन हो सकता है। इस संक्रमण को हिस्टोप्लास्मोसिस कहा जाता है.
हिस्टोप्लासिस के अलावा कबूतर की बीट से कई अन्य सांस से सम्बंधित बीमारियां हो सकती है। कबूतर के अवशेषों जैसे कि पंख, घुन, और पक्षी की लार, मूत्र और मल से एलर्जी हो सकती है। ये एलर्जी बहुत सेंसिटिव लोगों में अस्थमा अटैक, एलर्जिक राइनाइटिस (हे फीवर), और अन्य सांस से सम्बंधित एलर्जी को बढ़ा सकती हैं.
कबूतर के सूखे अवशेषों में सांस लेने से भी रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में जलन हो सकती है, जिससे खांसी, घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ और सीने में जकड़न की समस्या हो सकती है। यह जलन उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से समस्याग्रस्त हो सकती है, जिन्हें पहले से ही श्वसन संबंधी बीमारियां हैं, जैसे कि जिन्हें क्रोनिक ब्रोंकाइटिस या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) बीमारियां हैं उनके लिए कबूतर की बीट से समस्या बढ़ सकती है.
किन बातों का रखें खास ख्याल
- कबूतर की बीट को छूने से बचें। आपको उन्हें साफ करने या हटाने के लिए दस्ताने पहने रखने या मास्क पहनने की जरुरत होती है
- अपने घर या ऑफिस के आस-पास रहने की जगहों और क्षेत्रों को साफ करें और जमा हुए कूड़े-कचरे हटा दें
- एयरबोर्न पार्टिकल्स (हवाई कणों) को इकठ्ठा होने से बचाने के लिए इनडोर स्थानों में हवा वेंटिलेशन सही बनाए रखें
- अगर आपके घर के पास कबूतरों का डेरा रहता है या बहुत सारे कबूतर रहते हैं, तो उन्हें वहां से भगाने के लिए निवारक उपायों का उपयोग करने या प्रोफेसनल्स से कंसल्ट करने पर विचार करें
- अगर आपको शक है कि आप कबूतर की बीट के संपर्क में आए हैं या आपको कोई श्वसन संबंधी लक्षणों का अनुभव होता है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
- कबूतर की बीट से जुड़ी श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा रहता है, लेकिन इन बीमारियों के होने की संभावना कई चीजों पर निर्भर करती है जैसे कि व्यक्ति का सम्पूर्ण स्वास्थ्य, खतरे की सीमा और पहले से ही कोई सांस से सम्बंधित समस्या होना आदि
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