सुपरटेक के फ्लैट बायर्स के लिए आ गई खुशखबरी! 20 हजार बायर्स को जल्द मिलेगा फ्लैट, जानें किन प्रोजेक्ट्स के बायर्स को होगा फायदा
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नोएडा- ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के करीब 20 हजार फ्लैट बायर्स के लिए बड़ी खबर आई है। इन बायर्स के अधूरे पड़े फ्लैट्स अब इन्हें जल्दी मिल सकती है। जिन बायर्स ने बिल्डर सुपरटेक से फ्लैट की खरीदारी की थी और जिन्हें अबतक उनका फ्लैट नहीं मिल सका है ऐसे बायर्स के लिए फ्लैट मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से बिल्डर सुपरटेक को बड़ी राहत मिली है और इसी राहत से अब फ्लैट बायर्स के सुकून के दिन लौट सकते हैं।
क्या है मामला ?
सुपरटेक ग्रुप (Supertech Group) के प्रोजेक्ट में फंसे बायर्स के लिए बड़ी खुशखबरी है। बायर्स को अब फ्लैट मिलने का रास्ता साफ हो गया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मुश्किलों से घिरे सुपरटेक ग्रुप को प्राइवेट फाइनेंस कंपनी से लोन लेने की अनुमति दे दी है। इससे सुपरटेक (Supertech) के 18 प्रोजेक्ट्स में फंसे करीब 20 हजार बायर्स को फ्लैट मिल सकेगा। आईआरपी (IRP) की निगरानी में सुपरटेक 18 प्रोजेक्ट्स में काम कर रहा है। लेकिन पैसे नहीं होने की वजह से काम चालू रखने में दिक्कतें आ रही हैं। अब लोन मिलने का रास्ता साफ होने से काम तेजी पकड़ेगा। इससे हजारों बायर्स को राहत मिलेगी।
कहां से मिलेगा लोन
बता दें कि ऑक्ट्री कंपनी सुपरटेक (Supertech) को 1200 से 1500 करोड़ का लोन देगी। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में सुपरटेक (Supertech) ने अपना प्लान सौंपा था। इसमें सुपरटेक ने बताया था कि वह लोन कैसे चुकता करेगा। इस प्लान के आधार पर ही कोर्ट ने सुपरटेक को बाजार से लोन उठाने की अनुमति दी है।
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क्या है विवाद
सुपरटेक की 18 परियोजनाओं के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दिवालिया प्रक्रिया शुरू हुई थी। मामले में एंटरीम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) भी नियुक्त कर दिया गया था। इसके बाद सुपरटेक ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में अपील की। सुनवाई के बाद यह माना गया कि ग्रेनो की एक परियोजना को छोड़कर बाकी परियोजनाओं के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया नहीं चलनी चाहिए, लिहाजा सुपरटेक को इससे मुक्ति दे दी गई। इसके अलावा सुपरटेक ने लोन लेने की अनुमति भी मांगी। सुपरटेक ने लोन लेकर पैसे जुटाने के बाद उस पैसे के उपयोग के लिए एक समाधान योजना भी जमा किया। लेकिन इस फैसले के खिलाफ कुछ बैंक सुप्रीम कोर्ट चले गए और फैसले पर विचार करने की अपील की। उनका कहना था कि सुपरटेक पैसे लेकर भी घर नहीं बनाएगा। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट में भी सुपरटेक ने 12 क्वार्टर में घर बनाने और बकाया जमा करने की समाधान योजना प्रस्तुत की। इस पर विचार करते हुए कोर्ट ने सुपरटेक को हरी झंडी दे दी है। सुपरटेक का कहना है कि जिन परियोजनाओं के मामले में हरी झंडी मिली है। उनमें अब न तो कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स का गठन होगा और न ही दिवालिया प्रक्रिया चलेगी। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान एनसीएलएटी की पूरी निगरानी रहेगी। निर्माणाधीन परियोजना में आईआरपी के सहयोग से काम किया जाएगा। फ्लैट खरीदारों को कब्जा दिलाने का भी काम होगा। पूरा काम तीन वर्ष का है। लेकिन दावा किया जा रहा है कि दो वर्ष में इसे पूरा कर दिया जाएगा।
प्राधिकरणों और बैंकों की देनदारी भी चुकाएगा
सुपरटेक ने ओकट्री फाइनेंशियल (Octroi financial services) से 1600 करोड़ रुपये तक जुटाने की बात कही है। इस पैसे के माध्यम से अधूरे निर्माण पूरे होंगे। साथ ही प्राधिकरणों व बैंकों का पैसा भी जमा करने का वादा किया जा रहा है। पूरा पैसा किस्तों में जमा करने की बात सुपरटेक कह रहा है। बिल्डर का दावा है कि इस पैसे से वह पूरा बकाया चुका देगा, साथ ही 20 हजार फ्लैटों का काम भी पूरे कर देगा।
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लोन से किन प्रोजेक्ट का काम होगा
https://gulynews.com को मिली Exclusive जानकारी के मुताबिक जुटाए गए लोन से सुपरटेक बिल्डर के अधूरे पड़े कई प्रोजेक्ट का काम किया जाएगा इनमें शामिल है
- केपटाउन
- नॉर्थ आई
- इको विलेज-वन
- दून स्क्वायर
- इको सिटी
- इको विलेज-3
- रोमानो
- सीजार
- ग्रीन विलेज
- हिल टाउन
- मेरठ स्पोर्ट्स सिटी
- मिकासा
- रिवरक्रेस्ट
- स्पोर्ट्स विलेज
- अपकंट्री
- इको विलेज-टू
सुपरटेक चेयरमैन पर सख्ती
बता दें कि पहले घर खरीदारों का पैसा नहीं लौटाने पर सुपरटेक बिल्डर के चेयरमैन आरके अरोड़ा को हिरासत में लिया गया था। यूपी रेरा की आरसी पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई की थी। बताते हैं कि सुपरटेक ने दो करोड़ रुपये का चेक दिया और 10 दिन में करीब 7 करोड़ रुपये जमा कराने का भरोसा दिया है। बाकी पैसे का शेड्यूल देना होगा। सुपरटेक वैसे भी बदनाम है। ट्विन टावर उसी का था, जो पिछले साल धुआं-धुआं हो गया। सुपरटेक के प्रोजेक्ट्स में हजारों फ्लैट बायर्स फंसे हुए हैं। इन बायर्स को अपना फ्लैट मिलने का काफी लंबे समय से इंतजार है।
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