May 2, 2024, 8:00 pm

Supreme Court Decision: 5वीं, 8वीं, 9वीं और 11वीं की बोर्ड परीक्षा पर लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

Written By: गली न्यूज

Published On: Monday April 8, 2024

Supreme Court Decision: 5वीं, 8वीं, 9वीं और 11वीं की बोर्ड परीक्षा पर लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

Supreme Court Decision: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसने राज्य बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में कक्षा 5, 8, 9 और 11 के लिए बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति दी थी। शीर्ष अदालत ने सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि उसने न केवल छात्रों और उनके अभिभावकों बल्कि शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन के लिए भी बड़ी परेशानी पैदा करने की कोशिश की है।

क्या है पूरा मामला

बतादें, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने सोमवार (8 अप्रैल) को कर्नाटक हाई कोर्ट के 22 मार्च के उस आदेश पर रोक लगा दी है ज‍िसमें राज्य बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में कक्षा 5, 8, 9 और 11 की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने की इजाजत दी गई थी। द ह‍िंदू की र‍िपोर्ट के मुताब‍िक, न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच कर्नाटक स्‍टेट को निर्देश दिये हैं क‍ि वह परीक्षा पर रोक लगाए रखे और किसी भी कीमत पर छात्रों या पैरेंट्स को र‍िजल्‍ट के बारे में ना तो सूच‍ित करे और ना ही उसको लेकर कोई सर्कुलर जारी करे।याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि कर्नाटक राज्य गुणवत्ता मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद ने हाई कोर्ट के 22 मार्च के आदेश के अनुपालन में 4 अप्रैल को स्कूलों को 8 अप्रैल को परीक्षा परिणाम जारी करने संबंधी निर्देश द‍िए थे।

‘स्‍कूल की ओर से घोष‍ित र‍िजल्‍ट स्‍थग‍ित रखा जाए’

सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शाम‍िल न्यायमूर्ति पंकज मित्तल ने कहा क‍ि उपर्युक्‍त आदेश के मुताब‍िक क‍िसी भी स्‍कूल की ओर से घोष‍ित र‍िजल्‍ट को स्‍थग‍ित रखा जाएगा। वहीं, इस र‍िजल्‍ट का क‍िसी भी उद्देश्‍य के ल‍िए व‍िचार नहीं क‍िया जाएगा और न ही पैरेंट्स को इस बारे में सूच‍ित क‍िया जाएगा अगर उनको अभी तक नहीं क‍िया गया है।

‘पैरेंट्स- बच्चों के बीच भ्रम पैदा करने का प्रयास’

खंडपीठ ने कहा क‍ि राज्य सरकार की ओर से माता-पिता और बच्चों के बीच भ्रम पैदा करने का प्रयास क‍िया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि बोर्ड परीक्षाओं के लिए राज्य का दबाव और यहां तक ​​कि हाई कोर्ट का 22 मार्च का आदेश भी शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुरूप नहीं है। अदालत ने टिप्पणी की है क‍ि ऐसा प्रतीत होता है क‍ि स्‍टेट, छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने पर आमादा है और इससे छात्रों, अभिभावकों और उनके शिक्षकों के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन को भी बहुत शारीरिक और मानसिक पीड़ा और कठिनाई को झेलना पड़ा है।

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मामले पर अगली सुनवाई 23 अप्रैल को

अदालत पंजीकृत गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूल प्रबंधन एसोसिएशन और गैर सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूलों के संगठन की तरफ से बोर्ड परीक्षाओं पर जोर देने वाली राज्य अधिसूचनाओं की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता के.वी. धनंजय, ए. वेलन, सुदर्शन सुरेश, अनिरुद्ध कुलकर्णी, साईनाथ डी.एम., अनन्या कृष्णा और धीरज एस.जे. ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इस मामले में शीर्ष अदालत ने कर्नाटक राज्य को नोटिस जारी किया है और मामले पर अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।

12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड परीक्षा करने में हस्तक्षेप किया था

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 12 मार्च को कर्नाटक राज्‍य में इन कक्षाओं के लिए बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन के खिलाफ हस्तक्षेप किया था। राज्य को बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की अनुमति देने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच के अंतरिम आदेश पर रोक लगाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि हाई कोर्ट डिवीजन बेंच को अंतरिम आदेश के जर‍िये बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। वह भी तब, जब उसी हाई कोर्ट की दो एकल पीठ पहले ही इसी तरह की अधिसूचनाओं या सर्कुलर को रद्द कर चुकी हैं।

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