Flat Buyers Issues In Noida: 7 दिनों में बकाया राशि जमा नही कराई तो बिल्डरों पर होगी कार्रवाई, प्राधिकरण ने लिया फैसला…
Flat Buyers Issues In Noida: नोएडा में बिल्डरों की लापरवाही थमने का नाम नही ले रही है। प्राधिकरण के कई बार नोटिस देने के बावजूद भी बिल्डर बकाया राशि का भुगतान नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण करीब 35 हजार फ्लैट की रजिस्ट्री फंस गई है। अब तक सिर्फ 5 बिल्दारी ने ही पैसा जमा कराया है। अन्य बिल्डरों को पैसा जमा कराने के लिए प्राधिकरण ने सिर्फ 7 दिनों का समय दिया है। इसके बाद बिल्डरों पर कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के लागू होने के बाद भी बिल्डर बकाया की राशि जमा नहीं कर रहे हैं।अभी तक 57 में से केवल 17 बिल्डरों ने भरी जमा कराने की मंजूरी दी है।
क्या है पूरा मामला
खबर के अनुसार नोएडा (Flat Buyers Issues In Noida) में प्राधिकरण ने नई योजना के तहत सभी बिल्डरों को सात दिनों का समय देने का फैसला किया है। सात दिनों में बिल्डरों को साफ-साफ बताना होगा कि वह पैकेज साइन करेंगे या नहीं। वह अपनी परेशानी भी बता सकते हैं। लेकिन समिति की सिफारिशों को मानने और प्राधिकरण के साथ पैकेज साइन करने पर सकारात्मक जवाब देना होगा। ऐसा नहीं हुआ तो नोएडा प्राधिकरण ऐसे बिल्डरों पर कार्रवाई करेगा। इसमें सीलिंग, आवंटन निरस्त करने जैसी कार्रवाई भी शामिल होगी। बिल्डरों पर अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के लागू होने असर नहीं पड़ा। आलम यह है कि नोएडा प्राधिकरण संग हुई कई चरणों की वार्ता के बाद भी 57 में से केवल 17 बिल्डरों ने ही पैकेज साइन करने पर सहमति दी है। सहमति देने वाले सभी बिल्डरों पर बकाया खासा कम है। वहीं बड़े बकायेदार बिल्डरों ने अभी सहमति नहीं दी है। ऐसे में प्राधिकरण की रजिस्ट्री की योजना को अमलीजामा पहनाने में परेशानी हो रही है।
नोएडा में फंसी 35 हजारी रजिस्ट्री
नोएडा के बिल्डरों पर 28 हजार करोड़ का बकाया है। वहीं 35 हजार फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री भी होनी है। लेकिन अधिकांश मामले कोर्ट में हैं। ऐसे में करीब 6 हजार करोड़ के बकाये की वसूली और सात हजार फ्लैटों की ही रजिस्ट्री संभव है। इनमें से अभी तक केवल 5 करोड़ रुपये बकाये की वसूली और करीब एक हजार फ्लैटों की ही रजिस्ट्री का रास्ता खुला है।
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प्राधिकरण अगले सप्ताह 30 बिल्डरों के आने की राह देख रहा है
प्राधिकरण के अधिकारी अगले सप्ताह 30 बिल्डरों के प्राधिकरण से संपर्क की राह देख रहे हैं। हालांकि बीते दिनों बिल्डरों के रूख से प्राधिकरण को यह तो पता चल ही गया है कि बिल्डर आसानी से मानने वाले नहीं है। एनजीटी और कोविड काल की छूट देने को लेकर बिल्डर मांग कर रहे हैं, जबकि प्राधिकरण पहले कोविड काल की छूट देना चाहता है। बाद में केस टू केस आधार पर एनजीटी की छूट देने की बात कह रहा है।