Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़कियों के अपहरण और रेप जैसे अपराधों पर जताई गहरी चिंता
Delhi News: खबर के मुताबिक समाज में महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के साथ बढ़ रहे अपराधों पर दिल्ली हाई कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। कोर्ट का कहना है की इन बढ़ते अपराधों पर समय रहते रोक नही लगाई गई तो समाज में महिलाओं की स्वतंत्रता पर बड़ा प्रश्न खड़ा हो जायेगा। उच्च न्यायालय ने कहा कि ये घटनाएं न केवल महिलाओं को शैक्षिक अवसरों से वंचित करती हैं बल्कि इसके परिणामस्वरूप उन्हें जीवन भर मनोवैज्ञानिक आघात भी झेलना पड़ता है। जिसके कारण फिर वे अपनी पूरी जिंदगी एक बोझ के तरीके से बिताने को मजबूर हो जाती हैं।
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समाज में महिलाओं और खासकर नाबालिग लड़कियों के हो रहे अपहरण और रेप जैसे संगीन अपराधों पर अपनी गहरी चिंता जताई है। हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़कियों के अपहरण और दुष्कर्म के आरोपी की सजा बरकरार रखते हुए पीड़ितों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव पर गहरी चिंता जताई। अदालत में कहा गया कि ये घटनाएं न केवल महिलाओं को शैक्षिक अवसरों से वंचित करती हैं बल्कि इसके कारण उन्हें जीवन भर मनोवैज्ञानिक आघात भी झेलना पड़ता है। बतादें की किसी भी नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप के मामले में आईपीसी की धारा 363, 376 (2) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति द्वारा दायर अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
पीड़ित लड़कियां समाज में अलग थलग रहने को हो जाती है मजबूर
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि पीड़ित लड़कियों को अक्सर यह सोचकर गुमराह किया जाता है कि वे वैवाहिक संबंध में प्रवेश करने वाली हैं, हमलावर पीड़ितों को मजबूर करने के लिए यौन उत्पीड़न को वैवाहिक शारीरिक संबंध के रूप में पेश करते हैं। इसके दुष्परिणाम व्यक्तिगत रूप से उन्हें आजीवन भुगतने पड़ते हैं। जिससे इन लड़कियों को उनके साथियों, पढ़ाई और कानूनी संरक्षण से दूर कर समाज में अलग थलग रहने केलिए मजबूर होना पड़ता है। उक्त निर्णय दिल्ली हाई कोर्ट ने ने एक पीड़ित पिता जिसकी की बेटी का अपहरण कर लिया गया था, की दर्ज कराई गई रिपोर्ट को लेकर सुनाया। पीड़िता के पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस को नाबालिग पीड़िता आरोपी के साथ मिली।अदालत ने पाया कि आरोपी ने पीड़िता का अपहरण कर लिया था, जिसके कारण संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।
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