क्या भारत बनेगा G-7 का सदस्य? आखिर कैसे जी-7 का हिस्सा नहीं होकर भी उसमें शिरकत करता है भारत
G7 summit: जर्मनी में चले G-7 के शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के अलावा बतौर मेहमान भारत को भी आमंत्रित किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार से जर्मनी के दौरे पर थे और उन्होंने इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो आदि नेताओं से मुलाकात की. इन नेताओं ने बड़े ही गर्मजोशी से पीएम मोदी से मुलाकात की जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं. लोग इसे लेकर खूब प्रतिक्रिया दे रहे हैं. जी-7 देशों की बैठक में भारत को बुलाए जाने को लेकर पाकिस्तान की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है.
पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक और भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने जी-7 की बैठक में भारत को बुलाए जाने के पीछे के कारणों का जिक्र करते हुए कहा है कि अमेरिका और सदस्य देश भारत को रूस से दूर करना चाहते हैं इसलिए उसे ग्रुप में तरजीह दी जा रही है.
बासित ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि आने वाले दिनों में भारत को जी-7 का सदस्य बनाया जाए. अपने यूट्यूब चैनल पर जारी एक वीडियो में बासित ने कहा, ‘हमारे नजरिए से दिलचस्प बात ये है कि सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री को भी बुलाया गया है. इसमें कोई शक नहीं कि भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है.’
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उन्होंने कहा कि अमेरिका के नेतृत्व में जी-7 के देश रूस पर दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं कि वो जल्द से जल्द युद्ध खत्म कर दे लेकिन वो अभी तक रूस पर पूरी तरह से दबाव डालने में नाकामयाब रहे हैं. बासित ने कहा कि अब ये देश किसी भी तरह से रूस के करीबी दोस्त भारत को अपने पाले में करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, ‘बहुत मुमकिन है कि भारत जी-7 का स्थायी सदस्य भी बन सकता है क्योंकि न तो रूस और न ही चीन इस ग्रुप का हिस्सा है. दूसरी तरफ हम देखते हैं कि भारत एशिया-पेसिफिक में क्वॉड का हिस्सा है और फिर पश्चिम एशिया में एक दूसरे क्वॉड (I2U2) का भी हिस्सा है जिसमें अमेरिका है, इजरायल, यूएई और भारत है. तो मुमकिन है कि भारत जी-7 का सदस्य बन जाए.’
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की निष्पक्ष नीति का जिक्र करते हुए अब्दुल बासित ने कहा, ‘भारत ने दोनों पक्षों से अपने रिश्ते ठीक ही रखे हैं. रूस से वो तेल भी खरीद रहा है और उस पर प्रतिबंध भी नहीं लग रहे तो ये मुमकिन है कि किसी समय अमेरिका या दूसरे सदस्य देश भारत को इस बात के लिए मनाएं कि रूस के साथ आपके जो भी आर्थिक और रक्षा संबंध हैं, उसे धीरे-धीरे खत्म करें और आप जी-7 का हिस्सा बन जाएं. ये बहुत मुमकिन है. जी-7 के देश भारत को रूस से दूर करना चाहते हैं इसलिए भारत को ये इंसेंटिव दिया जा सकता है. ये हमारे लिए अवश्य ही चिंता की बात तो है.’
कब लिया था भारत ने पहली बार हिस्सा:सबसे पहली बार भारत ने साल 2019 में गेस्ट के तौर पर इसमें हिस्सा लिया था. तब फ्रांस में ये सम्मेलन हुआ था और वहां से देश को बुलावा आया था. बीते साल अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को भी इस संगठन से जोड़ने की अपील की थी. उनका कहना था कि भारत एक ताकतवर और प्रभावशाली देश के तौर पर एशिया में उभरा. ऐसे में उसे इसका सदस्य होना ही चाहिए.