world Bank: वर्ल्ड बैंक ने “भारतीय अर्थव्यवस्था” पर किया भरोसा, कही ये बात
world Bank: वर्ल्ड बैंक (world Bank)ने एक बार फिर से भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) में विश्वास जताया है. बैंक ने जानकारी देते हुए कहा है कि वर्ल्ड की सात सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों में भारत के सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है. वर्ल्ड बैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की निराशाजनक बताया है. लेकिन उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में साल 2023-24 में 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है.
वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था इस साल तक मंदी के कगार तक पहुंच जाएगी. इसने अमेरिका, यूरोप और चीन सहित विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ोतरी दर कम होने का अनुमान जताया गया है.
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जानकारी के अनुसार वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि वार्षिक आधार पर साल 2022-23 की पहली छमाही (half year) में भारत की बढ़ोतरी दर में 9.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. विश्व बैंक ने इस साल वैश्विक बढ़ोतरी दर के अपने पहले के 3 प्रतिशत के अनुमान को घटाकर 1.7 प्रतिशत कर दिया है.
क्या है वर्ल्ड बैंक ?
वर्ल्ड बैंक एक इंटरनेशनल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन है जो ग्लोबल स्तर पर जाना जाता है. इसकी स्थापना 1944 के ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (IMF) के साथ की गई थी. आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक दोनों मिलकर काम करते हैं. वर्ल्ड बैंक विभिन्न परियोजनाओं के लिए निम्न और मध्यम इनकम वाले देशों को लोन देती है. यह यूनाइटेड नेशंस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
विश्व बैंक के काम
वर्तमान में विश्व बैंक सदस्य देशों, विशेष रूप से अविकसित देशों को विकास कार्यों के लिए लोन उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. बैंक 5 से 20 साल की अवधि की विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए लोन प्रदान करता है.
- बैंक सदस्य देशों को चुकता पूंजी में अपने हिस्से का 20% तक लोन दे सकता है.
- बैंक सदस्यों से संबंधित निजी निवेशकों को अपनी गारंटी पर लोन भी देता है. लेकिन निजी निवेशकों को अपने मूल देश की अनुमति लेने की आवश्यकता होती है. बैंक सेवा शुल्क के रूप में 1% से 2% चार्ज करते हैं.
- लोन सेवा की मात्रा, ब्याज दर, नियम और शर्तें वर्ल्ड बैंक द्वारा ही तय की जाती है.
- आम तौर पर बैंक सदस्य देश द्वारा बैंक को विधिवत प्रस्तुत किसी विशेष परियोजना के लिए लोन प्रदान करते हैं.
- देनदार राष्ट्र को या तो आरक्षित मुद्राओं में या उन मुद्राओं में चुकाना होगा जिनमें लोन स्वीकृत किया गया था.