नाले में तब्दील हो रही है तमसा नदी, धरोहर सिर्फ़ काग़ज़ी पनों पर सीमित
आजमगढ़ में तमसा नदी लगातार नाले में तब्दील होती जा रही है। नदी के पानी की स्थिति के साथ जिस तरह से पूरा का पूरा पानी काला पड़ गया है वह पूजन और आचमन करने योग्य नही है। जिला प्रशासन शहर में चलने वाले बड़ी संख्या में स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि और संगठन से जुड़ लोग तसमा नदी की साफ–सफाई का दावा करती है। मगर, हकीकत इन दावों के बिल्कुल विपरीत है।
वैसे तो यूपी के आजमगढ़ की पहचान कैफियत आजमी और राहुल सांस्कृत्यायन से है . लेकिन इस जिले की एक और भी बहुत से पहचान है. वह है यहां बहने वाली तमसा नदी. जिसे स्थानीय लोग टौंस मईया के नाम से पुकारते हैं. कभी तीर्थस्थली रही तमसा नदी आज बदहाल है. दुर्भाग्य की बात यह है कि आज यह नदी नाले में तब्दील हो चुकी. अगर पौराणिक कथाओं का जिक्र करें तो यह स्थल तपस्या, ज्ञानार्जन और अनुसंधान के लिए विख्यात था तमाम पौराणिक ग्रंथों में सम्मलित इस तमसा नदी का हाल और बेहाल होता दिखाई दे रहा हैं ।
आपको बता दें की गंगा दशहरा के अवसर पर सीडीओ श्रीप्रकाश गुप्ता ने भी संकल्प लिया था और गंगा आरती में शामिल लोगों को संकल्प दिलवाया था कि हम अपनी मोक्ष दायिनी तमसा को साफ रखेंगे पर तमसा नदी में लगातार बढ़ने वाली गंदगी रुकने का नाम नहीं ले रही है।
पूर्व डीएम ने चलाया था तमसा सफाई अभियान
शहर के पूर्व डीएम रहे शिवाकांत द्विवेदी ने चार वर्ष पहले तमसा नदी को साफ–सुधरा करने की मुहिम चलाई थी। इस मुहिम में जन सहभागिता भी हुई थी। काफी हद तक अपने इस प्रयास में लोगों को लगातार जागरूक कर कामयाब भी हुए थे। मगर, डीएम शिवाकांत द्विवेदी के स्थानांतरण के बाद यह मुहिम थम सी गई और लगातार तमसा नदी में प्रदूषण बढ़ता गया। जिस कारण से लगातार नदी नाले के रूप में परिवर्तित होती नजर आ रही है।
CDO बोले नगर पालिका से समन्वय कर करेंगे शुद्ध
सीडीओ श्रीप्रकाश गुप्ता का कहना है कि नदियों की और घाटों की साफ–सफाई हमें दैनिक जीवनचर्या में लाने की जरूरत है। हम लोगों को यह संकल्प लेने की जरूरत है कि हम नदी के जल को प्रदूषित न करें।नदियां ही हमारी सभ्यताओं की पोषक रही हैं। आज नदियों में कचरा और सीवर को हम लोग बहाने लगे हैं। नदी का जल देखकर ही पता चल रहा है कि कितना प्रदूषित है। इसके लिए हम नगरपालिका से समन्वय स्थापित कर तमसा नदी को शुद्व रखने का प्रयास करेंगे।