Health tips: कंबल से मुंह ढककर सोना है खतरनाक,फेफड़ों को हो सकता है नुकसान
Health tips: दिसंबर का महीना शुरू हो चुका है. इसके साथ ही ठंड भी धीरे-घीरे बढ़ती जा रही है. लोग सुबह-शाम ही नहीं, दिन में भी गर्म कपड़े पहन रहे हैं. कई बार लोग ठंड से बचने के लिए रात में स्वेटर, सिर में टोपी और पैरों में ऊनी मोजे पहनकर सो जाते हैं. लेकिन ऐसा करना स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं है. लंबे समय तक ऐसा करना खतरनाक हो सकता है.
डॉक्टर्स कहते है कि सोने समय मुंह ढंका नहीं होना चाहिए. ठंड कितनी भी क्यों न पड़े, सिर ढ़ंककर सोने से ब्रेन के काम करने की क्षमता कम हो जाती है. ब्रेन को कम ऑक्सीजन मिलती है.
ब्लड सर्कुलेशन में आती है कमी
इसका साइंटिफिक कारण यह है कि जब आप सिर को कंबल में ढंक लेते हैं तो कमरे में मौजूद फ्रेश ऑक्सीजन नहीं ले पाते. कंबल के अंदर जो ऑक्सीजन मौजूद होती है वही लेते हैं. सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया चलती रहती है. इस दौरान कंबल के अंदर ऑक्सीजन की कमी होने लगती है. अशुद्ध हवा ही सांसों में जाने लगती है. व्यक्ति नींद में होता है इसलिए उसे तब परेशानी नहीं होती. लेकिन इसके कारण सभी अंगों तक ब्लड सर्कुलेशन सही से नहीं हो पाता.
बताया जाता है कि सिर को ढंककर सोने से चेहरे पर कार्बन डाई ऑक्साइड जमा होने लगता है. इससे साइकोलॉजिकल बदलाव देखने को मिलता है. शोधकर्ताओं ने इसके लिए 21 महीने और पांच महीने के शिशुओं को अलग-अलग केटेगरी में रखा. रिसर्च का मुख्य उद्देश्य सडन इंफैन्ट डेथ सिंड्रोम के बारे में पता करना था. जिन बच्चों का सिर ढंककर रखा गया था, उनके चेहरे के पास कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ी हुई थी, 3 से 10 सेकेंड के लिए सांस लेने में परेशानी हुई. इस दौरान हार्ट रेट बढ़ा हुआ था. बच्चे तेजी से सांस ले रहे थे, शरीर का तापमान भी सामान्य से अधिक था.
सिकुड़ने लगते हैं फेफड़े
डॉक्टर्स ये भी बताते है कि पांव तक ढंककर सोने से फेफड़े पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ता है. रोज 6 से 8 घंटे महीने भर तक कोई इस तरह सोता है तो उसके फेफड़े सिकुड़ने लगते हैं. यानी फेफड़ों में गैस एक्सचेंज का जो काम होता है वह ठीक से पूरा नहीं होता. इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं जैसे-अस्थमा का रोगी बनना, सुस्ती छाना, डिमेंशिया से पीड़ित होना और लगातार सिर दर्द होना. अगर व्यक्ति पहले से ही अस्थमा का रोगी है या सांस लेने में परेशानी है तो सिर ढंककर सोना घातक हो सकता है.
नींद भी हो सकती है डिस्टर्ब
सिर ढंककर सोने से सफोकेशन होने लगती है. घर में आमतौर पर लोग मच्छरों से बचने के लिए अगरबत्ती या लिक्विड क्वॉयल जलाते हैं. इसका धुआं पूरे कमरे में फैल जाता है. ठंड के दिनों में वेंटिलेशन भी प्रॉपर नहीं होता. खिड़कियां बंद रहती हैं. इसलिए कमरे में वैसे भी शुद्ध हवा नहीं रहती. कंबल या रजाई के अंदर पहले से ही ऑक्सीजन की कमी होती है ऊपर से कमरे में फैला धुआं, कुल मिलाकर सफोकेशन होने लगता है.
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स्किन अलर्जी होने लगती है
शुद्ध हवा की कमी होने से डस्ट पार्टिकल्स भी बढ़ जाते हैं. इससे स्किन पर बैक्टीरिया पर प्रभाव पड़ने लगता है. स्किन पर रैशेज आने लगते हैं. नियमित रूप से सिर ढंककर सोने से स्किन अलर्जी होने लगती है.
मिर्गी रोगियों को बरतनी चाहिए सावधानी
स्लीप डिसऑर्डर और मिर्गी का संबंध है. मिर्गी रोगियों को झटके आते हैं, जब पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलती तो मिर्गी रोगियों की परेशानी बढ़ जाती है.
मोजे पहनकर भी न सोएं
रात में पैरों को खुला रखना स्वास्थ्य के लिहाज से ज्यादा बेहतर है. अगर पैरों में ऊनी मोजे पहनते हैं तो शरीर में ब्लड सर्कुलेशन कम हो सकता है. मोजे की वजह से शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है. इससे पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव आने लगता है. 6 से 8 घंटे तक इस तरह सोने से परेशानी बढ़ जाती है. सोकर उठने के बाद कई लोगों को पैरों में झनझनाहट या अकड़न होने लगती है. कई बार लोग वही मोजे पहनकर सोते हैं जो उन्होंने दिन में पहन रखे थे. ऐसे में धूल और मिट्टी भी स्किन को नुकसान पहुंचाती है.