May 17, 2024, 11:41 am

scrub typhus: स्क्रब टाइफस क्या है…लक्षण दिखते ही डॉक्टर को दिखाएं, बरतें सावधानियां

Written By: गली न्यूज

Published On: Wednesday September 20, 2023

scrub typhus: स्क्रब टाइफस क्या है…लक्षण दिखते ही डॉक्टर को दिखाएं, बरतें सावधानियां

scrub typhus: देश के कुछ हिस्सों में इन दिनों स्क्रब टाइफस (scrub typhus) का खौफ बना हुआ है. हिमाचल प्रदेश में अब तक स्क्रब टाइफस के 973 मामले सामने आ चुके हैं और 10 लोगों की इस बीमारी से जान जा चुकी है. वहीं ओडिशा की बात करें तो यहां 5 लोगों की मौत हो चुकी है.

मौजूदा समय में इस बीमारी की उपस्थिति दुनिया के सभी हिस्सों में एकसमान नहीं है. भौगोलिक रूप से देखें तो यह एशिया प्रशांत क्षेत्र तक ही सीमित है. हर साल स्क्रब टाइफस के तकरीबन दस लाख मामले सामने आते हैं. दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में इसका फैलाव ज्यादा है. भारत दक्षिण एशिया के उन देशों में है, जहां कोविड महामारी के बाद एक बार फिर इस बीमारी का उभार दिख रहा है. स्क्रब टाइफस क्या है, ये कैसे होता है, किन लोगों को इस बीमारी के प्रति ज्यादा सजग और सावधान रहने की जरूरत है, इसका इलाज क्या है. इन सभी सवालों के बारे में आज हम आपको बताएगे.

स्क्रब टाइफस कौन सी बीमारी है?

स्क्रब टाइफस नाम की बीमारी ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी बैक्टीरिया की वजह से होती है. यह एक संक्रामक रोग है. ये इन्फेक्टेड पिस्सुओं यानी चिगर्स के काटने से उसके शरीर से मनुष्य के शरीर में फैलता है. ये बहुत छोटे-छोटे कीड़े होते हैं, जो ज्यादातर घास, झाड़ियों, चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे जानवरों के शरीर पर होते हैं. इसे बुश टाइफस भी कहा जाता है.

किस मौसम में स्क्रब टाइफस का खतरा ज्यादा होता है?

पूरे साल ही स्क्रब टाइफस बीमारी होने का रिस्क रहता है. लेकिन बारिश के मौसम में कीड़ों की संख्या बढ़ जाती है, इसिलए इस मौसम में इनके काटने का रिस्क भी बढ़ जाता है.

कीड़े के काटने के अलावा और किन कारणों से स्क्रब टाइफस हो सकता है?

यह एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए जब कोई हेल्दी व्यक्ति बैक्टीरिया से इन्फेक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसे भी स्क्रब टाइफस हो सकता है. कीड़े के काटने के अलावा ये बैक्टीरिया कीड़े के मल के कॉन्टेक्ट में आने से भी मनुष्य के शरीर में फैल सकते हैं. साथ ही जहां पर जूं या कीट ने काटा है, उस जगह को खुरचने या खुजली करने पर भी स्किन के संपर्क में आए बैक्टीरिया आपके खून तक पहुंच सकते हैं.

स्क्रब टाइफस के लक्षण

इससे इन्फेक्टेड होने पर एक हफ्ते के भीतर लक्षण होने लगते हैं. अगर बीमारी का जल्द से जल्द इलाज नहीं किया जाता है तो यह शरीर के कई अंगों में फैल सकता है. इसकी वजह से जान तक जाने का खतरा रहता है. इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर इग्नोर नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.  वैसे भी किसी भी स्थिति में यदि बुखार चार दिन से ज्यादा बना रहे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना जरूरी है. स्क्रब टाइफस जैसी बीमारी खतरे के निशान को इसलिए पार कर जाती है क्योंकि लोग इसे सामान्य बुखार समझकर क्रोसीन या पैरासिटामॉल खाकर खुद ही अपना इलाज करने की कोशिश करते हैं.

स्क्रब टाइफस होने का रिस्क ज्यादा रहता है?
  • कुछ कंडीशन में स्क्रब टाइफस होने का रिस्क सबसे ज्यादा रहता है। जैसे-
  • सीलन भरी झाड़ियों में खेलना या उसके आसपास रहना
  • खेतों में घूमना
  • कैम्पिंग करना
  • जंगल में जाकर शिकार करना
  • वन विभाग में काम करना
स्क्रब टाइफस का क्या इलाज है

नहीं, अभी तक स्क्रब टाइफस के लिए कोई टीका नहीं बना है. इस बारे में स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी की है कि इसके लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह के बिना खुद से दवाई न खाएं. तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

स्क्रब टाइफस की टेस्टिंग

टेस्टिंग आमतौर पर पेशेंट के लक्षणों के आधार पर की जाती है. कई बार कीड़े के काटने पर तुरंत व्यक्ति को कुछ पता नहीं चलता. बाद में काटने वाली जगह पर काले चकत्ते जैसे उभरते हैं और खुजली होने लगती है. इसके लक्षण डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियों के लक्षणों से काफी मिलते-जुलते हैं. स्क्रब टाइफस से ग्रस्त पेशेंट का ब्लड टेस्ट करने से कंडीशन का पता चलता है. जैसे- शुरुआती स्टेज में वाइट ब्लड सेल्स का कम होना फिर लास्ट स्टेज होने पर वाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स की कमी होना. इसके अलावा ट्रांसमिनेज का लेवल बढ़ना, खून में एल्बुमिन का स्तर बढ़ना.

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स्क्रब टाइफस का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट कर सकते हैं, जैसे-

स्किन बायोप्सी: इसमें स्किन पर बने चकत्ते से सैंपल लिया जाता है और फिर जांच के लिए उसे लेबोरेटरी में भेजा जाता है. उस जांच के जरिए यह पता चलता है कि रोगी के शरीर में स्क्रब टाइफस के बैक्टीरया हैं या नहीं.

वेस्टर्न ब्लोट: स्क्रब टाइफस की पहचान के लिए किया जाने वाला यह एक स्पेशल टेस्ट है.

इम्यूनोफ्लोरेसेंस टेस्ट: इसमें टेस्टिंग के दौरान एक फ्लोरोसेंट डाई का यूज किया जाता है जिसकी मदद से खून से लिए गए सैंपल में एंटीजन की पहचान की जाती है.

स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए सावधानियां

घास या जमीन पर ना लेटें, घर से बाहर जूते पहनकर निकले, घर में चूहें ना होने दें

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