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Gurugram news: अवैध कॉलोनियों को नियमित करवाने का मौका, इस तारीख से कर सकते हैं आवेदन

Written By: गली न्यूज

Published On: Wednesday January 4, 2023

Gurugram news: अवैध कॉलोनियों को नियमित करवाने का मौका, इस तारीख से कर सकते हैं आवेदन

Gurugram news: गुरुग्राम में नगर निगम इलाकों के बाहर अवैध कॉलोनियों के लोगों के लिए अच्छी खबर है. वो 18 जनवरी, 2023 तक हरियाणा नगर पालिका (Haryana Municipality) क्षेत्र के बाहर नागरिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की कमी वाले क्षेत्रों के प्रबंधन अधिनियम 2021 के तहत नियमितीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं. आवेदन कॉलोनी विकसित करने वाले डेवलपर या रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (rwa) द्वारा किया जा सकता है.  यह अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का अवसर दिया है.

वे 18 जनवरी, 2023 तक दिशा-निर्देशों के अनुसार आवेदन कर सकते हैं, जिन अवैध कॉलोनियों में समय अनुसार आवेदन नहीं किया, उन्हें तोड़ने की कार्रवाई शुरू की जाएगी. जानकारी के अनुसार गुरुग्राम जिले में अब तक 38 आवेदन मिले हैं, जिनमें से 19 आवेदन समिति के सामने रखे जा चुके हैं और वे आगामी कार्रवाई के लिए सरकार को भेजे जा रहे हैं.

बाकि 18 अन्य कॉलोनियों के मामलों में आवेदकों को आवश्यकताओं या शर्तों को पूरा करने के लिए कुछ और दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है. सरकार ने अवैध कॉलोनियों की सुविधा के लिए उन्हें चार कैटेगरी में बांटा है. 25 प्रतिशत तक निर्मित क्षेत्र वाली कालोनियों को कैटेगरी-A में रखा गया है और 25 प्रतिशत से अधिक लेकिन 50 प्रतिशत तक निर्मित क्षेत्र वाली कालोनियों को कैटेगरी-B में रखा गया है. इसी प्रकार कैटेगरी -C में उन अवैध कालोनियों को शामिल किया गया है जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक, लेकिन 75 प्रतिशत तक निर्माण हुआ है और कैटेगरी-D में 75 प्रतिशत से लगभग 100 प्रतिशत तक निर्मित क्षेत्र वाली कॉलोनियों को रखा गया है.

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कैटेगरी-A कॉलोनियों के मामले में, सभी अनिर्मित भूखंड सड़क, गली के चौड़ीकरण, पार्कों, सुविधाओं के लिए जगह, जल कार्य और सामुदायिक भवन आदि के अधीन होंगे. 35 प्रतिशत क्षेत्र को सड़कों, पार्कों आदि के अधीन रखा जायेगा और कोई भी सड़क 9 मीटर से कम चौड़ी नहीं होनी चाहिये. उस कॉलोनी की ओर जाने वाली सड़क भी कम से कम 9 मीटर चौड़ी होनी चाहिए और पार्कों और खुली जगह का क्षेत्र 5 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए. commercial activities के लिए केवल 4 प्रतिशत तक सीमित क्षेत्र होना चाहिए. 20 एकड़ या उससे अधिक क्षेत्रफल वाली कॉलोनी के लिए सामुदायिक भवन के प्रावधान के लिए 500 वर्ग मीटर भूमि रखी जानी चाहिए.

इसी प्रकार, कैटेगरी B में आने वाली अवैध कॉलोनियों के मामले में, सड़क, गली, पार्कों, सुविधाओं के लिए जगह, जल कार्य,  सामुदायिक भवन आदि के लिए सभी अनिर्मित भूखंडों का सीमांकन किया जाना चाहिए. बिक्री योग्य क्षेत्र पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए और कोई भी सड़क 6 मीटर से कम चौड़ाई की नहीं होनी चाहिए. कॉलोनी को जाने वाली एप्रोच रोड की चौड़ाई 9 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए. पार्कों के अंतर्गत क्षेत्र 3 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए और commercial घटक 4 प्रतिशत तक सीमित होना चाहिए. इस श्रेणी में भी 20 एकड़ या उससे अधिक क्षेत्रफल वाली कॉलोनियों में सामुदायिक भवन के लिए 500 वर्ग मीटर जगह होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि कैटेगरी C में आने वाली अवैध कॉलोनियों के मामले में बिक्री योग्य क्षेत्र पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए और सड़कों की चौड़ाई 6 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए. अगर सड़क की चौड़ाई 6 मीटर से कम है तो भूखंड धारकों को सड़क की चौड़ाई 6 मीटर बनाये रखने के लिये अपने भूखंडों से भूमि पट्टी को छोड़ना आवश्यक है. कॉलोनी तक पहुंच मार्ग के लिए कोई न्यूनतम मानदंड नहीं होगा. वाणिज्यिक घटक 4 प्रतिशत तक सीमित होना चाहिए.

कैटेगरी D में, बिक्री योग्य क्षेत्र पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा और कॉलोनी तक पहुंच मार्ग के लिए कोई न्यूनतम मानदंड नहीं होगा. डेवलपर या आरडब्ल्यूए को संबंधित अग्निशमन अधिकारी से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) सुनिश्चित करना आवश्यक है. डेवलपर या आरडब्ल्यूए उपयुक्त स्थानों पर और संबंधित fire officer द्वारा निर्देशित अग्नि हाइड्रेंट सुनिश्चित करेगा. इस मामले में वाणिज्यिक घटक भी 4 प्रतिशत तक सीमित रहेगा. कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए जमा करवाए जाने वाले विकास शुल्क की जानकारी देते हुए डीटीपी ने बताया कि निर्मित क्षेत्र के लिए एकमुश्त शुल्क कलेक्टर रेट का 5 प्रतिशत और खाली क्षेत्रों के लिए 10 प्रतिशत की दर से विकास शुल्क जमा करवाना होगा.

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अधिनियम के तहत अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के उद्देश्य के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय डीएलएससी समिति का गठन किया गया है. डीटीपी को समिति का सदस्य (संयोजक) नामित किया गया है. अन्य सदस्यों में जिला परिषद का मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी, लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यकारी अभियंता, जिला अग्निशमन अधिकारी, पंचायती राज विभाग के कार्यकारी अभियंता तथा तहसीलदार शामिल हैं.

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