Ramnavami Violence: रामनवमी हिंसा पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- हम रद्द कर देंगे चुनाव
Ramnavami Violence: देश में लोकसभा चुनाव का माहौल है। जिसके मद्देनजर आचार संहिता लागू है। ऐसे में राम नवमी के मौके पर हुई हिंसा के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। उसने आचार संहिता के दौरान हिंसा को लेकर प्रशासन पर भी सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि आचार संहिता के दौरान भी अगर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं तो इन जिलों में लोकसभा चुनाव नहीं करा सकते हैं।
क्या है पूरा मामला
बतादें, पश्चिम बंगाल (Ramnavami Violence) के मुर्शिदाबाद में राम नवमी पर हुई हिंसा को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि आचार संहिता के दौरान भी अगर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं तो इन जिलों में लोकसभा चुनाव नहीं करा सकते हैं। अगर लोग ही शांति और सद्भाव के साथ रहने में असमर्थ हैं तो ऐसे लोग निर्वाचित प्रतिनिधित्व के लायक नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि लोग 8 घंटे शांति से अपना त्योहार नहीं मना सकते तो ऐसी स्थिति में अभी वोट कराने की जरूरत नहीं है।
19 लोग हिंसा में हुए थे घायल
बता दें कि राम नवमी के मौके पर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई थी। इसमें कई जगहों पर झड़प देखने को मिली जिसमें 19 लोग घायल हो गए थे। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट ने इस घटना को लेकर नाराजगी जताई है। मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की बेंच ने कहा कि 7 मई और 13 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव को रद्द कर दिया जाना चाहिए। बेंच ने कहा कि ‘अगर लोग शांति और सद्भाव में नहीं रह सकते हैं, तो हम चुनावों को रद्द कर देंगे… अगर आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद दो संप्रदायों के लोग इस तरह लड़ रहे हैं, तो उन्हें चुनाव की आवश्यकता नहीं है..’
हाईकोर्ट पहुंचा था हिंसा का मामला
राम नवमी पर हिंसा का मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) की ओर से इस मामले में याचिका दाखिल कर मुर्शिदाबाद के बेलडांगा और शक्तिपुर में हिंसा की एनआईए या सीबीआई जांच की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि कलकत्ता में कई जगहों पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था लेकिन वहां कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। कोर्ट ने यह भी पाया कि जिन जगहों पर इस बार हिंसा हुई है वहां पहले ऐसे मामले सामने नहीं आए थे। कोर्ट ने पूछा कि क्या इसके पीछे बाहरी लोगों का हाथ है?
यह भी पढ़ें…
Railway Food Price: खुशखबरी, जनरल डिब्बे के यात्रियों मिलेगा सिर्फ 20 रुपये में भरपेट खाना
अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी
इस मामले में कोर्ट ने कहा कि जहां लोग शांति से त्योहार नहीं मना सकते वहां अभी वोट कराने की जरूरत नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम चुनाव आयोग से दरखास्त करेंगे कि बरहमपुर के चुनाव की तारीख आगे बढ़ा दी जाए। अभी हाईकोर्ट की ओर से कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। फिलहाल कोर्ट ने राज्य सरकार से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी।