November 26, 2024, 12:33 am

Parliament Building: नया संसद भवन अंदर से कैसा है… क्या हैं इसकी खूबियां ?

Written By: गली न्यूज

Published On: Tuesday September 19, 2023

Parliament Building: नया संसद भवन अंदर से कैसा है… क्या हैं इसकी खूबियां ?

Parliament Building: संसद के विशेष सत्र का आज दूसरा दिन है, जोकि देश के लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक होने वाला है. देश की संसदीय कार्यवाही आज से पुराने संसद भवन से नए भवन में शिफ्ट हो जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी संविधान की एक प्रति लेकर पुराने भवन से नए भवन तक पैदल चलकर आएंगे. उनके पीछे राज्‍यसभा और लोकसभा के सभी सांसद पैदल चलते हुए नई संसद में प्रवेश करेंगे. नए संसद भवन में कई द्वार बनाए गए हैं. इन प्रतीकों का पौराणिक महत्व क्या है?

करोड़ों देशवासियों के लिए संसद शब्द सुनते ही गोलाकार बिल्डिंग की छवि बन जाती है. आजादी के कई घटनाएं इसी भवन में घटी थीं, लेकिन अब इस छवि को संसद की नई बिल्डिंग में बदल दिया जाएगा.

संसद के पुराने भवन में भारतीय संस्कृति से जुड़ी प्रतिमा या प्रतीक नहीं है, जो इसे सुशोभित करता हो, लेकिन संसद की नई इमारत में यह बदल गया है. नए संसद भवन के भव्य प्रवेश द्वारों पर नजर डालने पर भारत का सांस्कृतिक इतिहास पूरी तरह दिखाई देता है. नए संसद भवन के आंतरिक भाग को तीन राष्ट्रीय प्रतीकों में बांटा गया है. कमल, मोर और बरगद का पेड़.

नए संसद में छह द्वार 

नए संसद भवन में छह द्वार हैं – गज द्वार, अश्व द्वार, गरुड़ द्वार, मकर द्वार, शार्दुला द्वार और हम्सा द्वार. इन सभी का नाम वास्तविक और पौराणिक प्राणियों के नाम पर रखा गया है. दरअसल, नए संसद भवन में सभी छह प्रवेश द्वारों पर शुभ जीवों की लाल बलुआ पत्थर की मूर्तियां लगी हैं. भारतीय संस्कृति में उनके महत्व, उनकी सौंदर्य उपस्थिति, सकारात्मक गुणों और वास्तु शास्त्र के अध्ययन के आधार पर उन्हें स्थापित किया

1- गज द्वार 

भवन के उत्तर की ओर प्रवेश द्वार की सुरक्षा के लिए एक गज यानी हाथी की मूर्ति स्थापित की गई है. यह जीव बुद्धि, धन और स्मृति का प्रतिनिधित्व करता है. इसके साथ ही यह द्वार निर्वाचित लोगों की आकांक्षाओं का भी प्रतीक है.

2- हम्सा द्वार 

हम्सा यानी हंस, देवी सरस्वती की सवारी है. प्रवेश द्वार पर हंस आत्म-बोध और ज्ञान का प्रतीक है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सरस्वती ज्ञान की देवी हैं. प्रवेश द्वार पर हंस इस बात का प्रतीक है कि संसद में ज्ञान सर्वोपरि होगा, ज्ञान न केवल पारंपरिक अर्थ में बल्कि देश को आगे ले जाने के लिए ज्ञान का भी अर्थ है.

3- शार्दुला द्वार 

शार्दुला एक पौराणिक प्राणी है, जिसका शरीर शेर का लेकिन सिर घोड़ा, हाथी या तोते का होता है. इसे सबसे शक्तिशाली और जीवित प्राणियों में अग्रणी कहा जाता है. सरकार के मुताबिक, गेट पर यह जीव देश के लोगों की शक्ति का प्रतीक है.

4- गरुड़ द्वार 

नए संसद भवन के पूर्वी प्रवेश द्वार पर गरुड़ की मूर्ति को स्थापित किया गया है. गरुड़ को पक्षियों का राजा भी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, गरुड़ भगवान विष्णु की सवारी है. वो शक्ति और धर्म का प्रतिनिधित्व करता है. गरुड़ इस बात का प्रतीक है कि संसद लोगों की शक्ति है और जो लोग अंदर हैं वे अपने धर्म का पालन करेंगे.

5- मकर द्वार 

इस गेट का नाम पौराणिक समुद्री जीव के नाम पर रखा गया है. यह आधा स्तनपायी और आधी मछली होता है. मकर द्वार पुराने संसद भवन के गेट नंबर 12 की ओर है. यह जीव रक्षकों से जुड़ा हुआ है और अकसर हिंदू, बौद्ध स्मारकों में देखा जाता है.

6- अश्व द्वार 

अश्व घोड़े के लिए संस्कृत शब्द है. इसके बारे में ऋग्वेद में भी जिक्र है. भारतीय संस्कृति और इतिहास में घोड़ा को शक्ति, ताकत और साहस का प्रतीक माना जाता है. शक्ति, ताकत और साहस वे गुण हैं जो भारत की संसद और इसकी मजबूत लोकतांत्रिक जड़ों से जुड़े हैं.

संसद के नए भवन में कदम रखते हुए संस्कृति और टेक्नोलॉजी के मिश्रण के प्रतीक दिखाई देते हैं. यह दिखाते हैं कि आधुनिक प्रगति को ऐतिहासिक संस्कृति के साथ प्रभावी ढंग से जोड़ा जा सकता है. इस बिल्डिंग में एडवांस तकनीक के सिक्योरिटी सिस्टम लगाए गए हैं, जिनमें चेहरे की पहचान करने वाला सॉफ्टवेयर, सीसीटीवी कैमरे और विजिटर्स के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रियाएं शामिल हैं. प्रवेश द्वार पर बायोमेट्रिक्स के साथ-साथ रेटिना स्कैन भी किया जाएगा, जोकि विश्व स्तरीय सुरक्षा सिस्टम है.

कैसा है नया संसद भवन? 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी. 28 मई 2023 को इसका उद्घाटन हुआ. नया संसद भवन 29 महीने में बनकर तैयार हो गया. संसद भवन को त्रिकोणीय आकार में तैयार किया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा स्पेस को इस्तेमाल में लाया जा सके. ये 64,500 वर्गमीटर में बना हुआ है. इसे बनाने में करीब 1200 करोड़ रुपये की लागत आई है.

पुराने संसद भवन में लोकसभा में 545 और राज्यसभा में 245 सांसदों के बैठने की जगह है. जबकि, नए भवन में लोकसभा चैम्बर में 888 सांसद बैठ सकते हैं. संयुक्त संसद सत्र की स्थिति में 1,272 सांसद बैठ सकेंगे. जबकि, राज्यसभा चैम्बर में 384 सांसद आसानी से बैठ सकते हैं. नई संसद में लोकसभा चैंबर को राष्ट्रीय पक्षी मोर और राज्यसभा चैंबर को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर तैयार कराया गया है.

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17 सितंबर को गज द्वार पर ध्वजारोहण 

संसद के विशेष सत्र की शुरुआत से एक दिन पहले यानी 17 सितंबर को ही नए संसद भवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संसद भवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया. इस दौरान कांग्रेस के सीनियर नेता अधीर रंजन चौधरी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ-साथ राज्यसभा और लोकसभा में विभिन्न दलों के नेता भी मौजूद रहे. ध्वजारोहण करने से पहले धनखड़ और बिड़ला को सीआरपीएफ के पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप ने अलग से गार्ड ऑफ ऑनर दिया.

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