नवरात्रि में ऐसे करें मां की स्थापना। इस बार घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां ।
2 अप्रैल से नवरात्रि शुरू होने वाले हैं। नवरात्रि में मां की पूजा का अलग ही महत्व होता है। नवरात्रि में मां की पूजा से मिलने वाला आशीर्वाद और फल दोगुना हो जाता है। ये 9 दिन बहुत धूम-धाम और श्रद्धा से मनाया जाता है। नवरात्रि की पूजा 2 अप्रैल से 11 अप्रैल तक चलेगी।
इस बार मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी। वैसे हमने हमेशा मां को शेर पर ही सवार होते देखा है। लेकिन इस नवरात्रि मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी। हिंदू धर्म के अनुसार मां हर बार अपना वाहन बदलती हैं। हर वाहन का अपना अलग महत्व होता है। साल में 2 बार नवरात्रि आते हैं। हर बार मां नए वाहन पर सवार होकर आती हैं।
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है।
कलश स्थापना के लिए शुभ मूर्हूत
नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है। सुबह 6.01 बजे से सुबह 8.31 तक कलश स्थापना का शुभ मुर्हूत है। इसके अलावा अभिजित मुहूर्त में 12 बजे से लेकर 12.50 के बीच घट स्थापना कर सकते हैं।
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कैसे करें कलश स्थापना
हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम करने से पहले कलश स्थापना की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कलश में भगवान गणेश, नक्षत्र, गृह विराजमान होते हैं। कलश में गंगाजल के अलावा 33 कोटि देवी-देवता विराजमान होते हैं।
मिट्टी का घड़ा, मिट्टी का ढक्कन, कलावा, जटा वाला नारियल, जल, गंगाजल, लाल रंग का कपड़ा, एक मिट्टी का दीया, मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर रखें। लाल रंग के आसन पर बैठकर पूजा करें।
अखंड ज्योति लगातार 9 दिन जलती रहनी चाहिए। क्योंकि 9 दिन मां विराजमान होती हैं। जहां मूर्ति की स्थापना की है वहीं अखंड ज्योति जलती रहनी चाहिए।