Land Issues: आबादी की जमीन की लीजबैक व शिफ्टिंग में नहीं लेनी होगी एसडीएम से अनुमति, जानें पूरी खबर
Land Issues: ग्रेटर नोएडा में आबादी की जमीन की लीजबैक और शिफ्टिंग के मामले से जुड़ी बड़ी खबर है। इसके लिए यीडा सीईओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जिसमें नोएडा-ग्रेनो प्राधिकरण के एसीईओ सदस्य के तौर पर शामिल रहेंगे। इसके लिए यमुना प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अब अगली बोर्ड बैठक में पॉलिसी को पास कर दिया जायेगा। इससे ग्रेनो व यीडा के हजारों किसानों को लाभ मिलेगा उन्हें फाइल पर हस्ताक्षर कराने के लिए इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला
बतादें, ग्रेटर नोएडा में आबादी की जमीन (Land Issues) की लीजबैक और शिफ्टिंग के मामलों में अब एसडीएम से अनुमति नहीं लेनी होगी। इसका रास्ता निकालते हुए सीईओ यमुना प्राधिकरण की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है। नोएडा और ग्रेनो प्राधिकरण के एक-एक एसीईओ सदस्य होंगे। इस प्रस्ताव पर बीते 12 मार्च को हुई यमुना प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में मुहर लग चुकी है। प्राधिकरण की अगली बोर्ड बैठक में इससे संबंधित पॉलिसी पास होगी। इससे लीजबैक व शिफ्टिंग के प्रकरणों के निस्तारण में आसानी होगी। नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के 2500 से अधिक किसानों को लाभ होगा। किसानों को इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा।
नही हो पाता है किसानों की समस्या का समाधान
प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में आने वाले गांवों में जमीन अधिग्रहण करते समय कुछ किसानों की घर के पास आबादी भी अधिग्रहण की चपेट में आ जाती है। ग्रेनो और यमुना प्राधिकरण में आबादी की लीजबैक करने का नियम है। इसको लेकर क्षेत्र के किसानों ने पूर्व में लंबी लड़ाई लड़ी थी। परियोजना के लिए बहुत ज्यादा जरूरी होने पर प्राधिकरण दूसरी जगह भी भूखंड शिफ्ट कर देता है। लीजबैक व शिफ्टिंग की प्रक्रिया पूरी करने के लिए डीएम के प्रतिनिधि के रूप में एसडीएम से अनुमति लेनी होती है।
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अक्सर यह देखा गया है कि एसडीएम फाइल पर हस्ताक्षर करने से बचते हैं। जिससे समस्या का निस्तारण नहीं हो पाता है और किसान अपने हक के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं। जिला प्रशासन (एसडीएम) से अनुमति न लेना पड़े, इसका रास्ता निकाल लिया गया है। सीईओ यमुना प्राधिकरण की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जो लीजबैक और शिफ्टिंग के प्रकरणों को अंतिम रूप देगी। इससे संबंधित पॉलिसी बनाई जाएगी, जो आगामी बोर्ड बैठक में रखी जाएगी। इसके बाद लीजबैक व शिफ्टिंग प्रकरणों से जुड़ी फाइल एसडीएम के पास भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी।