गुजरात दंगा: नरोदा गाम नरसंहार मामले में बड़ा फैसला, कोर्ट ने पूर्व मंत्री माया कोडनानी समेत सभी आरोपियों को किया बरी
Naroda Gam Massacre Case Verdict: नरोदा ग्राम हिंसा में पूर्व मंत्री माया कोडनानी (Maya Kodnani), बाबू बजरंगी, जयदीप पटेल समेत 69 आरोपी बरी हो गए हैं. गुजरात (Gujarat) की स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में गुरुवार (20 अप्रैल) को फैसला सुनाया. इस हत्याकांड में 11 लोगों की मौत हुई थी. 27 फरवरी 2002 को अयोध्या से लौट रही साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में पेट्रोल डालकर गुजरात के गोधरा में कई लोगों को जिंदा जला दिया गया था.
इसके जवाब में, 28 फरवरी 2002 को गुजरात बंद की घोषणा की गई थी. इस बीच, अहमदाबाद शहर सहित पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे. इन दंगों में 28 फरवरी को नरोदा गांव के अंदर और बाहर कथित तौर पर 11 लोगों को जिंदा जला दिया गया था.
18 आरोपियों की हुई मौत
इस मामले के आरोपियों में बीजेपी की पूर्व विधायक माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत कुल 86 आरोपी थे, लेकिन उनमें से 18 लोगों की सुनवाई के दौरान मौत हो गई. गोधरा में ट्रेन आगजनी की घटना में अयोध्या से लौट रहे 58 यात्रियों की मौत के एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा ग्राम इलाके में दंगे हुए थे.
इन धाराओं के तहत चल रहा था केस
नरोदा ग्राम मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चल रहा था.
शाह ने अपनी गवाही में कही थी ये बात
तब, अमित शाह ने कोर्ट के सामने कहा था कि वह 28 फरवरी को सुबह 7:15 बजे अपने घर से विधानसभा के लिए निकले थे.सदन की कार्यवाही सुबह 8:30 बजे शुरू होनी थी. उन्होंने 28 फरवरी को सुबह 8.40 बजे माया कोडनानी को गुजरात विधानसभा में देखा. उन्होंने कहा मैं नहीं जानता कि विधानसभा से रवाना होने और सोला सिविल हास्पिटल पहुंचने के पहले वह कहां थीं. इसके बाद 11 बजे से लेकर 11.30 बजे के आसपास उन्हें अहमदाबाद के सोला सिविल हास्पिटल में देखा.
ये हुआ था उस रोज
27 फरवरी 2002 को गोधरा कांड के बाद गुजरात बंद का ऐलान हुआ था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुबह तक इलाके में शांति थी, लेकिन इसे खामोशी कहना अधिक ठीक होगा. इसके बाद नरोदा इलाक में कुछ लोगों की भीड़ दुकानें बंद कराने लगीं. लोग भी फटाफट शटर गिरा रहे थे और भीड़ बढ़ते बढ़ते माहौल में नारों का शोर गूंजने लगा था. हालांकि अभी भी दंगे शुरू नहीं हुए थे. सुबह 9 बजे से ऊपर का वक्त हुआ होगा, भीड़ काफी बढ़ चुकी थी, घरों के दरवाजे बंद थे. इसी बीच भीड़ में से ही हिंसा होने लगी, पत्थर फेंके जाने लगे, कुछ ही मिनट में नरोदा गाम इलाके का पूरा हुलिया बदल गया. वहां चारों तरफ आगजनी, तोड़फोड़ जैसे मंजर नजर आने लगे और 11 लोगों की मौत की बात सामने आई. नरोदा गाम और नरोदा पाटिया इलाके दोनों ही हिंसा के निशाने पर रहे और नरोदा पाटिया में 97 लोगों की मौत सामने आई थी.
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