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Horlicks News: हॉर्लिक्स नहीं रहा अब ‘हेल्थ ड्रिंक’, जानिए ऐसा क्यों?

Written By: गली न्यूज

Published On: Saturday April 27, 2024

Horlicks News: हॉर्लिक्स नहीं रहा अब ‘हेल्थ ड्रिंक’, जानिए ऐसा क्यों?

Horlicks News: हॉर्लिक्स और बूस्ट ब्रांडों को लेकर बड़ी अपडेट है। हॉर्लिक्‍स और बूस्‍ट जैसे ब्रांडों की कैटेगरी बदल गई है। हिंदुस्तान यूनिलीवर ने इनकी कैटेगरी में बदलाव किया है। ‘हेल्थ ड्रिंक’ कैटेगरी के बजाय इन्‍हें ‘फंक्‍शनल न्‍यूट्रीशनल ड्रिंक्‍स’कैटेगरी में रखा गया है। कंपनी ने सरकार के निर्देश के बाद यह कदम उठाया है। उसने इस बारे में ई-कॉमर्स प्‍लेटफॉर्मों को निर्देश जारी क‍िया था।

क्या है पूरा मामला

बतादें, हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) ने अपनी ‘हेल्थ ड्रिंक’ (Horlicks News) कैटेगरी को रीब्रांड किया है। एचयूएल की प्रोडक्‍ट रेंज में हॉर्लिक्स और बूस्ट जैसे कई ब्रांड शामिल हैं। कंपनी ने अपनी ‘हेल्‍थ फूड ड्रिंक्‍स’ कैटेगरी का नाम बदलकर ‘फंक्‍शनल न्‍यूट्रीशनल ड्रिंक्‍स’ (FND) कर दिया है। इस तरह हॉर्लिक्स से ‘हेल्‍थ’ का लेबल हटा दिया गया है। इसके पहले वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों को निर्देश जारी किए थे। इसमें ‘हेल्‍थ ड्रिंक’ कैटेगरी से पेय पदार्थों को हटाने के लिए कहा गया था। उसके निर्देशों के बाद ही एचयूएल का ताजा कदम उठाया गया है। HUL के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर रितेश तिवारी ने कहा कि यह बदलाव कैटेगरी का ज्‍यादा सटीक और ट्रांसपैरेंट डिस्क्रिप्‍शन देगा।

फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक’ का मतलब क्या?

एचयूएल के अनुसार, फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक्‍स कैटेगरी कम्‍युनिटी की प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की जरूरतों को पूरा करती है। एफएनडी को ऐसे किसी भी नॉन-अल्कोहलिक बेवरेज के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो पौधे, जानवर, समुद्री या सूक्ष्मजीव सोर्स से किसी भी बायोएक्टिव कंपोनेंट को शामिल करने के कारण अतिरिक्त स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इंस्टीट्यूट फॉर इंटीग्रेटिव न्यूट्रिशन के अनुसार, फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है। यह किसी व्यक्ति की जीवनशैली के उन फैक्‍टरों को ध्यान में रखता है जो उनके भोजन विकल्पों को प्रभावित कर सकते हैं।

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ऐसा क्यों हुआ?

यह रेगुलेटरी ऐक्‍शन फूड सेफ्टी एंड स्‍टैंडर्ड ऐक्‍ट 2006 के तहत ‘हेल्‍थ ड्रिंक्‍स’ की स्पष्ट परिभाषा के अभाव के कारण हुआ है। बोर्नविटा और हॉर्लिक्स जैसे बेवरेज में हाई शुगर लेवल के बारे में चिंताएं उठाए जाने के बाद यह पूरा घटनाक्रम बना है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को मामले की जांच के लिए कहा था। इसके कारण ई-कॉमर्स फर्मों को केंद्र का आदेश जारी हुआ।

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