Home Loan: क्या है स्टेप-अप EMI? क्या घर-गाड़ी खरीदने वालों को इस पर विचार करना चाहिए?
Home Loan: अपने पैरों पर खड़ा होने के बाद हर व्यक्ति सपना देखता है कि उसके पास अपना घर हो, अपनी गाड़ी हो. बढ़ती महंगाई के बीच मिडिल क्लास परिवार लोन लेकर उन सपनों को पूरा करता है. लोन लेने के बाद उसे चुकाने का प्रोसेस बड़ा लंबा होता है. हालांकि, स्टेप-अप EMI की मदद से जल्दी लोन चुकाने में मदद मिल (Benefits of Step-up EMI) सकती है.
स्टेप-अप EMI असल में इस बात को ध्यान में रखकर तय की जाती है कि उम्र के साथ-साथ लोन लेने वाले की कमाई भी बढ़ती है. ऐसे में हो सकता है कि शुरुआत में बड़ी EMI चुकाना संभव न हो, लेकिन बाद के सालों में सैलरी बढ़ने के साथ बड़ी EMI भरी जा सकती है. इसी को ध्यान में रखते हुए स्टेप अप EMI में शुरुआती सालों में लोन की EMI कम होती है और फिर हर साल EMI बढ़ती जाती है. यानी लोन लेने वाले की प्रोफेशनल ग्रोथ के साथ-साथ EMI भी बढ़ती है.
कैसे तय करते हैं कि EMI?
जब आपका लोन अप्रूव हो रहा होता है, तो उसके साथ ही लोन कितने समय के लिए है, कितने महीनों तक कितनी EMI में लोन पूरा होगा ये सब तय किया जाता है. जब आप लोन लेते हैं तो उसके बदले तय समय तक आपको हर महीने एक फिक्स EMI चुकानी पड़ती है. हालांकि, लोन की शर्तें तय करते समय ही आप स्टेप-अप EMI का ऑप्शन चुन सकते हैं. इसमें EMI का एक प्रोग्रेसिव प्लान बनता है. माने एक मिनिमम EMI तय होती है और उसके बाद हर साल एक फिक्स प्रतिशत पर EMI बढ़ाई जाती है. मान लीजिए कि आपकी शुरुआती EMI 25 हजार है और उस पर 5 प्रतिशत का स्टेपअप आपने लिया है. तो हर साल आपकी EMI 5 प्रतिशत बढ़ जाएगी. माने पहले साल 25000, दूसरे साल 26250, तीसरे साल 27562… इस तरह से आपकी EMI लोन पूरा होने तक बढ़ती जाएगी.
स्टेप अप EMI का फायदा क्या है?
मान लीजिए कि आपने अपनी करेंट सैलरी के हिसाब से 25 हजार की फिक्स EMI पर लोन लिया. करेंट इंटरेस्ट रेट के हिसाब से आपकी देनदारी 60 लाख रुपये है, तो इसे चुकाने में आपको 20 साल लग जाएंगे. वहीं, अगर आप पांच प्रतिशत स्टेपअप EMI का ऑप्शन चुनते हैं तो 60 लाख रुपये आप करीब 15 साल में चुका लेंगे. यानी आप पांच साल पहले लोन फ्री हो जाएंगे. हालांकि, इसमें इंटरेस्ट रेट को भी ध्यान में रखना होगा, क्योंकि उसके बढ़ने का असर भी आपकी EMI पर पड़ सकता है.
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स्टेप अप EMI का रिस्क क्या है?
इसका एक बड़ा रिस्क ये है कि स्टेप अप EMI में जिस स्पीड से लोन की EMI बढ़ती है, हो सकता है कि उस स्पीड से लोन लेने वाले शख्स की सैलरी न बढ़े. ऐसे में बाद के सालों में EMI बढ़ने पर उन्हें आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ सकता है. क्योंकि स्टेपअप EMI में शुरुआती EMI जहां कम होती है, वहीं बाद के सालों में EMI नॉर्मल EMI की तुलना में कहीं ज्यादा होती है. ऐसे में EMI मिस होने का रिस्क होता है, जिसके चलते आपको पेनाल्टी लग सकती है.