एक रेड से 2800 केस का खुलासा, 66 गिरफ्तार.. देश के सभी राज्यों में फैला था नेटवर्क । बेहद चौंका देने वाला साइबर क्राइम
New Delhi Cyber Fraud : साइबर क्राइम (Cyber Fraud) के बढ़ते मामले को देखते हुए हरियाणा पुलिस ने (haryana police) बड़ा एक्शन लिया है. पुलिस ने बड़ी टीम बनाकर छापेमारी की कार्रवाई कर साइबर फ्रॉड पर लगाम कसी है. इस कार्रवाई में पुलिस अंजाम तक पहुंचने में काफी सफल रही है.
क्या है मामला
आपको बता दें कि 27-28 अप्रैल की रात 5,000 पुलिसकर्मियों की 102 टीमों ने एक साथ जिले के 14 गांवों में छापेमारी की थी. इस दौरान लगभग 125 लोगों को हिरासत में लिया गया था. अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 66 आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार (Arrested) कर लिया गया.छापेमारी के दौरान 166 फर्जी आधार कार्ड, पांच पैन कार्ड, 128 एटीएम कार्ड, 66 मोबाइल फोन, 99 सिम कार्ड, पांच पीओएस मशीन और तीन लैपटॉप बरामद किए गए थे.
पुलिस ने किया खुलासा
इस एक रेड से 28 हजार मामलों का खुलासा हुआ है. इसके अलावा 100 करोड़ रुपये से अधिक के साइबर फ्रॉड (cyber fraud) का भी खुलासा हुआ है. आपको बता दें कि हरियाणा, दिल्ली और यूपी सहित देश के विभिन्न हिस्सों के लोग इन जालसाजों के निशाने पर हैं. नूंह के पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला ने इसकी पुष्टि की है.पुलिस ने कहा है कि छापे के दौरान जब्त किए गए मोबाइल फोन और सिम कार्ड की जांच की गई. बैंकों, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम, यूपीआई सर्विस प्रोवाइडर, यूआईडीएआई, दूरसंचार विभाग, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे कि फेसबुक, व्हाट्सएप से भी जानकारी मांगी गई.
कई राज्यों तक पहुंचे अपराधी
सिंगला ने कहा, “जांच के दौरान यह पता चला कि साइबर अपराधियों ने अब तक देश भर के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 28,000 लोगों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की है. आपको बता दें कि इन साइबर जालसाजों के खिलाफ पहले ही 1,346 प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं. कार्रवाई करने के लिए इन अपराधियों का विवरण राज्यों के संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भेजा जा रहा है.
साइबर अपराध के लिए बैंक खातों का इस्तेमाल
एसपी ने कहा कि जांच में प्राइवेट और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 219 खातों और 140 यूपीआई खातों के बारे में भी जानकारी सामने आई है. इनका इस्तेमाल साइबर अपराध करने के लिए किया जा रहा था. टेलीकॉम कंपनियों के हरियाणा, पश्चिम बंगाल, असम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु, पंजाब, उत्तर पूर्व, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सर्किल से एक्टिव 347 सिम कार्ड का भी पता चला है. इनका इस्तेमाल ये स्कैमर्स साइबर क्राइम के लिए कर रहे थे.
साइबर अपराधियों की उम्र 18-35 साल के बीच है. पूछताछ के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि वे आम तौर पर 3-4 लोगों के समूह में काम करते थे. साइबर अपराधी मुख्य रूप से नकदी निकासी के लिए कॉमन सर्विस सेंटर का इस्तेमाल करते थे. गांवों में स्थापित एटीएम का भी इस्तेमाल करते थे. सिंगला ने कहा कि ये जालसाज फेसबुक या ओएलएक्स पर विज्ञापन डालकर पीड़ितों को बाइक, कार, मोबाइल फोन आदि जैसे उत्पादों पर बिक्री के आकर्षक ऑफर का झांसा देकर धोखाधड़ी करते थे.
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