Chandigarh Mayor Election: INDIA गठबंधन को हराकर बीजेपी ने मारी बाजी, मनोज सोनकर बने मेयर
Chandigarh Mayor Election: अयोध्या में राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा के बाद से ही पूरे देश ने भगवा का परचम लहरा रहा है। ये जाहिर तौर पर चंडीगढ़ के मेयर इलेक्शन में देखा जा सकता है। चंडीगढ़ मेयर इलेक्शन में INDIA गठबंधन को कड़ी हार देने के बाद बीजेपी उम्मीदवार ने जीत हासिल करली और मनोज सोनकर चंडीगढ़ के नए मेयर बन गए। दरअसल चंडीगढ़ का मेयर चुनाव देश में भाजपा और इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के बीच की पहली लड़ाई माना जा रहा था। चुनाव में चंडीगढ़ से दिल्ली तक के नेता सक्रिय हो चुके थे। मेयर पद पर भाजपा के दबदबे को खत्म करने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन कर लिया था।
क्या है पूरा मामला
चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव में एकबार फिर बीजेपी और भगवा रंग का परचम देखने को मिला। भाजपा के मनोज सोनकर चंडीगढ़ के नए मेयर बन गए हैं। वहीं इंडिया गठबंधन अपने पहले ही टेस्ट में औंधे मुंह गिरा है। दरअसल, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर हुए चुनाव में भाजपा को 16 वोट मिले। आप और कांग्रेस गठबंधन को 12 वोट मिले जबकि आठ वोट अमान्य घोषित कर दिए गए। पूरे चुनाव की वीडियोग्राफी भी करवाई गई। इसके बावजूद जीत बीजेपी की हुई है, जिससे पता चलता है की जनता का रुझान किस तरफ है।
चुनाव में बीजेपी का रहा दबदबा
बता दें की चंडीगढ़ नगर निगम में पिछले कई वर्षों से लगातार भाजपा का मेयर बनते आ रहा है। वर्ष 2021 में हुए नगर निगम चुनाव में आप को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं बावजूद इसके भाजपा दो साल से अपना मेयर बनाने में कामयाब रही। इस बार भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन कर लिया। पार्टी नेताओं ने कहा था कि यह स्थानीय स्तर पर हुआ समझौता है लेकिन आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा था कि इंडिया गठबंधन की जीत का रथ चंडीगढ़ से चलेगा। चड्ढा ने इस चुनाव को राजनीति की तकदीर और तस्वीर बदलने वाला बताया था।
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इससे पहले मेयर का चुनाव 31 दिसंबर से पहले होता था
चंडीगढ़ शहर में सबसे पहले मेयर का चुनाव 23 दिसंबर 1996 में हुआ था। भाजपा की कमला शर्मा शहर की पहली मेयर बनीं थीं। शुरुआत में 23 दिसंबर को ही मेयर चुनाव हो जाते थे। इसके बाद भी 2013 तक 31 दिसंबर से पहले मेयर चुनाव संपन्न करा दिए जाते थे और अगला मेयर एक जनवरी को पद की शपथ लेता था लेकिन 2015 के बाद यह सब कुछ बदल गया। बताया जाता है कि जिस भी पार्टी का मेयर हारता था, साल का पहला दिन होने की वजह से पार्टी में काफी निराशा होती थी इसलिए मेयर चुनाव को जनवरी के पहले सप्ताह में कर दिया गया। पूनम शर्मा ने पहली बार 6 जनवरी 2015 को मेयर पद की शपथ ली। इसके बाद से मेयर का चुनाव धीरे-धीरे आगे खिसकता रहा।