Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि के छठे दिन करें मां कात्यायनी को प्रसन्न, जानें पूजा विधि, मंत्र और भोग
Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं। हर तरफ भक्ति, साधना और उपासना का माहौल है। आज नवरात्रि का छठा दिन है। आज मां दुर्गा के छठवें स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। जानते हैं कि मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती क्या है?
मां कात्यायनी का स्वरूप और महत्व
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को नवरात्रि का छठा दिन होता है और उस दिन मां दुर्गा के छठवें स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी की आराधना करने से व्यक्ति को शक्ति और अभय यानी निडरता प्राप्त होती है। उनके आशीर्वाद से कठिन से कठिन कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। नकारात्मकता का अंत होता है और यश की प्राप्ति होती है। आज मां कात्यायनी की पूजा रवि योग में होगी।
आज बने हैं 2 शुभ योग
आज के दिन दो शुभ योगों का निर्माण हुआ है। आज के दिन रवि योग सुबह 05:56 एएम से बन रहा है, जो देर रात 01:35 एएम तक है। वहीं त्रिपुष्कर योग आज देर रात 01:35 एएम से कल सुबह 05:55 एएम तक है। आज पूरे दिन आर्द्रा नक्षत्र है, जिसका समापन देर रात 01:35 एएम पर होगा।
मां कात्यायनी का स्वरूप
सिंह पर सवार रहने वाली मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं, जिसमें वे कमल, तलवार आदि धारण करती हैं। कात्यायन ऋषि ने मां दुर्गा को अपने तप से प्रसन्न किया था, देवी ने जब उनको दर्शन देकर आशीर्वाद मांगने को कहा तो उन्होंने उनको अपनी पुत्री के रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। मां दुर्गा उनके घर पुत्री के रूप में प्रकट हुईं, जिनका नाम कात्यायनी पड़ा। वे अपने भक्तों को अभय प्रदान करती हैं।
मां कात्यायनी का प्रिय भोग
आज पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा आप देवी को मीठा पान और लौकी का भी भोग लगा सकते हैं।
मां कात्यायनी का पूजा मंत्र
1. मां देवी कात्यायन्यै नमः
2. या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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मां कात्यायनी की पूजा विधि
आज सुबह स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर सूर्य देव को जल अर्पित करें। आज रवि योग में सूर्य पूजा अत्यंत शुभ फलदायी मानी जाती है। उसके बाद शुभ मुहूर्त में मां कात्यायनी की पूजा शुरू करें। मां कात्यायनी का जल से अभिषेक करें। फिर मंत्रोच्चार के साथ उनको अक्षत्, लाल रंग के फूल, सिंदूर, लाल चुनरी, फल, धूप, दीप, शहद चढ़ाएं। मां कात्यायनी के बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं। उसके बाद मां कात्यायनी की कथा पढ़ें और अंत में आरती करें। फिर आपकी जो भी मनोकामना है, उसे मां कात्यायनी के समक्ष व्यक्त कर दें।