November 22, 2024, 7:05 am

आखिर क्यों कमजोर हो रहा हैं भारतीयों का दिल, Silent Killer बनता जा रहा हार्ट अटैक, 10 साल में इतने लोगों की हुई मौत

Written By: गली न्यूज

Published On: Saturday June 25, 2022

आखिर क्यों कमजोर हो रहा हैं भारतीयों का दिल, Silent Killer बनता जा रहा हार्ट अटैक, 10 साल में इतने लोगों की हुई मौत

Deaths due to heart attack in India: भारत में हार्ट अटैक (heart attack) से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 10 साल में करीब सवा दो लाख भारतीयों की मौत हार्ट अटैक से हो चुकी है. आखिर क्यों चिंता बनता जा रहा है हार्ट अटैक? भारत में हार्ट अटैक से मरने वालों में 10 में से 4 की उम्र 45 साल से कम है. वहीं, 10 साल में भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतें करीब 75% तक बढ़ गई हैं.

ये दो आंकड़े बताते हैं कि क्यों अब दिल के बारे में बात करना जरूरी हो गया है. दिल हमारे शरीर का सबसे अहम अंग है. इसके बावजूद इसकी सेहत को लेकर हम अक्सर उतने फिक्रमंद नहीं होते. कुछ जानबूझकर तो कुछ अनजाने में, दिल की सेहत को नजरअंदाज करते रहते हैं. खराब जीवनशैली और बढ़ते तनाव ने इस दिल को और कमजोर कर दिया है. शायद यही वजह है कि जो हार्ट अटैक कभी बुजुर्गों की मौत का कारण बनता था, वो अब युवाओं की जान भी ले रहा है.

दिल की सेहत पर बात करना क्यों जरूरी है? इसे ऐसे भी समझ लीजिए कि मुंबई में पिछले साल 6 महीनों में कोरोना से उतनी मौत नहीं हुईं, जितनी हार्ट अटैक से हो गईं. एक आरटीआई से मिली जानकारी में सामने आया है कि मुंबई में पिछले साल जनवरी से जून के बीच कोरोना से 10 हजार 289 मौतें हुई थीं, जबकि इसी दौरान हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 17 हजार 880 रही. अमेरिका के एक रिसर्च जनरल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 तक भारत में 6.2 करोड़ लोगों को दिल से जुड़ी बीमारी हुई. इसमें से 2.3 करोड़ लोग ऐसे थे जिनकी उम्र 40 साल से कम है. यानी, 40 फीसदी दिल के मरीजों की उम्र 40 साल से कम है.

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ऐसी ही एक स्टडी 2018 में भी आई थी. तब साइंस जर्नल लैंसेट ने दिल की बीमारियों से जुड़े 1990 से 2016 तक के आंकड़े जुटाए थे. इस स्टडी में दावा किया गया था कि 1990 में भारत में होने वाली कुल मौतों में से 15.2% का कारण दिल से जुड़ी बीमारियां थीं. 2016 में ये आंकड़ा बढ़कर 28.1% पर आ गया. यानी, 2016 में भारत में होने वाली हर 100 में 28 मौत का कारण दिल से जुड़ी बीमारियां थीं.

WHO के मुताबिक, दिल से जुड़ी बीमारियां मौतों का सबसे बड़ा कारण हैं. 2019 में दुनियाभर में 1.79 करोड़ मौतें दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण हुई थीं. इनमें से भी 85% मौतें सिर्फ हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक से हुई थीं.

वहीं, ग्लोबल हेल्थ इंडिया के लिए जॉर्ज इंस्टीट्यूट की एक स्टडी बताती है कि शहरी भारतीय रोजाना औसतन 11 ग्राम नमक, 10 चम्मच चीनी और 32.6 ग्राम तेल-घी का सेवन करते हैं. जबकि, WHO की सिफारिश है कि हर दिन 6 ग्राम नमक, 6 चम्मच चीनी और 20 ग्राम तेल-घी खाना चाहिए. आईसीएमआर के मुताबिक चीनी, नमक और तेल-घी ज्यादा खाने से दिल को नुकसान पहुंचता है.

वहीं, तनाव भी इसका एक बड़ा कारण हैं.  इससे सूजन वाले हार्मोन निकलते हैं, जिसका सीधा असर दिल पर पड़ता है. लंबे समय तक तनाव में रहने से ब्लड कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जो दिल से जुड़ी बीमारी का खतरा बढ़ाता है. तनाव में रहने से लाइफस्टाइल और खान-पान भी बिगड़ता है. सेंटर ऑप हीलिंग ने 2020 में 10 हजार भारतीयों पर एक सर्वे किया था. इसमें सामने आया था कि 74 फीसदी भारतीय तनाव से जूझ रहे हैं.

दिल का दौरा पड़ जाए तो क्या करें? भारी थकान, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, बेचैनी या बांहों में दर्द होने पर चेतावनी के इन संकेतों को नजरअंदाज न करें. गाड़ी न चलाएं, किसी को आसपास से बुलाएं और फौरन अस्पताल पहुंचें. क्योंकि दिल में खून के प्रवाह को दुरुस्त करना और मांसपेशियों के नुकसान को कम करना जरूरी है. व्यक्ति बेहोश है तो सीपीआर दिया जाना चाहिए. सीपीआर से दिल की धड़कनें चलने लगती हैं और खून का प्रवाह होने लगता है. ब्लड क्लॉट रोकने के लिए एस्प्रिन ले सकते हैं. सीने में दर्द के लिए पेनकिलर भी ले सकते हैं. आगे डॉक्टर की सलाह पर काम करें.

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