केपटाउन सोसाइटी में AOA चुनाव की सुगबुगाहट तेज। अभी भी सस्पेंस है बरकरार। इन सवालों का जवाब किसके पास ?
Noida News : गौतमबुद्ध नगर के सेक्टर 74 स्थित सुपरटेक केपटाउन सोसाइटी (Supertech Capetown Society) में AOA चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज से यह पता चला है कि सोसाइटी के अंदर जल्दी ही एओए चुनाव होने वाले हैं। https://gulynews.com
को ऐसा ही एक मैसेज सोशल मीडिया पर मिला है। दावा किया जा रहा है कि यह मैसेज केपटाउन एओए अध्यक्ष अरुण शर्मा ने सोशल मीडिया में शेयर किया है। इस संदेश में बकायदा चुनाव कराने के लिए चुनाव समिती की गठन पर जोर देते हुए लोगों से चुनाव समिति में आने के लिए नाम मांगे गए हैं। एओए की मेल आईडी शेयर कर उस पर नाम मांगे गए हैं। इस संदेश के बाद निवासियों के मन में उत्सुकता बढ़ गई है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर चर्चा भी तेज है।
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चौंकाने वाली बात यह है कि यह मैसेज केवल व्हाट्सअप पर है। https://gulynews.com ने जब इस बारे में केपटाउन के रेजिडेंट्स से बात की तो कई लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं थी। दरअसल एओए चुनाव के लिए कुछ तय गाइडलाइंस है। लेकिन जो संदेश सोशल मीडिया पर सामने आए हैं वो बेहद हैरान करने वाले हैं।
- इसमें एओए सचिव कृष्णा शर्मा का नाम तक नहीं है। नियमानुसार इस तरह के मैसेज सोसाइटी के सेक्रेट्री की ओर से आनी चाहिए
- किसी भी टॉवर के नोटिस बोर्ड पर इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है
- किसी भी रेजिडेंट्स को इसके बारे में ना ही कोई ई-मेल भेजकर सूचित किया गया है
- ना ही सोसाइटी के क्लब या फिर बाकी एरिया के नोटिस बोर्ड में जिक्र है।
- जीबीएम बुलाकर भी इस तरह के किसी प्रस्ताव पर रेजिडेंट्स की सहमति नहीं ली गई है
नियमानुसार किसी भी चुनाव को कराने से पहले इसकी जानकारी सभी सदस्यों को देनी होती है। साथ ही बकायदा चुनाव कमेटी भी सचिव के द्वारा भेजी गई चिट्ठी के बाद ही बनाई जाती है। लेकिन चौंकाने की बात यह है कि अरुण शर्मा के इस संदेश पर एओए के बाकी सदस्यों ने टिप्पणी करना भी उचित नहीं समझा है। लिहाजा संदेह के हालात अभी भी बने हुए हैं।
https://gulynews.com ने इस बारे में बात करते हुए रेजिडेंट्स सब्बर तौसीफ ने यह जानकारी दी कि उनके पास इस तरह का ना ही कोई ईमेल आया है और ना ही किसी तरह की जानकारी दी गई है। ऐसे में यह समझ से परे है कि चुनाव होंगे या फिर यह केवल रेजिडेंट्स के साथ गंदा मजाक तो नहीं है।
परेशानी की बात यह है कि चुनाव समिति की बनाने की पहल तो कर ली गई है लेकिन नए सदस्यों को जोड़ने को लेकर वर्तमान एओए ने अबतक कोई पहल नहीं की है। ऐसे में कई रेजिडेंट्स ऐसे भी हैं जो चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। ऐसे में इस तरह के अचानक लिए फैसले रेजिडेंट्स के मन में चिंता पैदा कर रहे हैं।
बता दें कि केपटाउन सोसाइटी में आखिरी और पहला एओए चुनाव मार्च 2019 में हुआ था। तब से लेकर आज तक सोसाइटी में चुनाव नहीं कराए गए। एक तरफ यह बड़ी प्रशासनिक चूक है वहीं दूसरी ओर बताता है कि कैसे कुछ लोग सत्ता में आने के बाद लोकतंत्र की हत्या करने पर उतारू हो जाते हैं।
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