Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता को प्रसन्न, जानें पूजा विधि, भोग और मंत्र
Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस बार चैत्र नवरात्रि 09 अप्रैल 2024, मंगलवार से शुरू होकर 17 अप्रैल 2024, तक है। भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की 9 दिनों तक भक्ति भाव से पूजा करते हैं। माना जाता है जो भक्त मां कि भक्ति और श्रद्धा से आराधना करते हैं, मां दुर्गा 9 दिनों तक उनके घरों में विराजमान रहकर उनपर अपनी कृपा बरसाती हैं। नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मां स्कंदमाता को मातृत्व के रूप में माना जाता है। इस रूप की विधिवत पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और साधक को हर दुख-दर्द से छुटकारा मिलने के साथ सुख-समृद्धि मिलती है। आइए जानते हैं मां स्कंदमाता की पूजा विधि, भोग, मंत्र, स्तोत्र आदि।
मां स्कंदमाता का स्वरूप
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा (Chaitra Navratri 2024) के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता का स्वरूप काफी शुभ माना जाता है। मां के मनमोहक स्वरूप की बात करें, तो चार भुजाएं है। जिसमें दो में कमल और एक हाथ में बालक स्वरूप कार्तिकेय जी और चौथे हाथ से आशीर्वाद देते हुए नजर आ रहे हैं। मां कमल में विराजमान रहती हैं और वाहन की बात करें, तो वह सिंह है।
पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवें दिन यानी आज ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद अगर कलश स्थापना किया है, तो सबसे पहले उसकी पूजा करें। इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूपों को फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, वस्त्र आदि चढ़ा दें। इसके बाद भोग में केला, मिठाई खिलाने के साथ बीड़ा का भोग लगाएं। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर मां दुर्गा चालीसा, मंत्र के साथ दुर्गा सप्तशती पाठ, स्कंदमाता मंत्र, स्तोत्र करने के बाद अंत में आरती कर लें।
भोग
मां स्कंदमाता को पीले रंग की वस्तुएं प्रिय है। इसलिए उन्हें केल, बेसन के लड्डू, केसर की खीर या फिर कोई अन्य पीली मिठाई अर्पित कर सकते हैं।
मां स्कंदमाता का प्रिय फूल
मां स्कंदमाता के प्रिय फूल की बात करें, तो वो कमल है। इसलिए इस दिन मां के चरणों में कमल अवश्य चढ़ाएं।
मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया.
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
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कवच
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