Rabies Infection: रैबीज से बचने के लिए समय पर इलाज जरूरी, वरना मौत पक्का
Rabies Infection: दुनियाभर में रेबीज (Rabies Infection) का कोई इलाज नहीं है. रेबीज होने पर मौत पक्का होनी है. लेकिन रेबीज इंजेक्शन आपको बचा सकता है. वैक्सीनेशन के बाद 100% मौत से बचने की संभावना है. रेबीज का वायरस दुनियाभर में हर 10 मिनट में एक व्यक्ति की जान ले रहा है. मेडिकल साइंस आज तक इस बीमारी का इलाज नहीं खोज पाया है. इंसानी शरीर में एक बार रेबीज का वायरस एक्टिव हो जाए तो उसे बचाया नहीं जा सकता है. इसलिए इस मामले में जानकारी ही एक बचाव है. रेबीज का वायरस संक्रमित जानवर की लार में रहता है. रेबीज कुत्ते, बिल्ली, बंदर या चमगादड़ से फैल सकता है. लेकिन रेबीज के 90 फीसदी से ज्यादा मामले कुत्ते के काटने से ही आते हैं.
कुत्तों के काटने पर क्या करें?
कुत्ते के काटने पर अगर ब्लड निशान है या ब्लड आ गया है, तो तुंरत टीका लगवाना चाहिए. कुत्ते के काटने पर न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम हो सकते हैं. पीड़ित पानी नहीं पी पाता और उसे पानी से डर लगता हैं. हाथ-पैर ऐंठने लगते हैं. कभी-कभी कुत्तों के भौंकने के लक्षण भी आ जाते हैं. कई बार बेहद अजीब से लक्षण दिखाई देते हैं.
रेबीज के इन लक्षणों को भी जानें
- रेबीज के लक्षण किसी में कुछ ही महीने, जब कि कुछ लोगों में सालों बाद देखने को मिलते हैं.
- इस बीमारी में हाइड्रोफोबिया (पानी से डर) हो जाता है. एक ग्लास पानी भी बीमार को डरा सकता है.
- गले में घुटन महसूस होती है, जिसकी वजह से सांस लेने में परेशानी होती है.
- रोगी को रौशनी से डर लगता है और वो अंधेरे में रहना पसंद करता है.
- नाक और मुंह से लगातार लार गिरती है और व्यक्ति उसे कंट्रोल नहीं कर पाता है.
- समय के साथ कमर, रीढ़ और फिर पूरे शरीर में दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है.
- ज्यादातर लोग रैबीज से उबरने में नाकामयाब होते हैं और उनकी मौत हो जाती है.
- डॉक्टर की सलाह मानें, तुरंत इलाज करवाएं और इंजेक्शन लेने से न बचें.
कुत्ते के काटने पर सबसे पहले क्या करें?
72 घंटे में एंटी रेबीज इंजेक्शन बेहद जरूरी है. वरना दवा का असर नहीं होगा, कोई अनजान या जंगली जानवर काटे या खरोंच मारे तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं. अगर पालतू कुत्ते और बिल्ली को रेबीज का टीका नहीं लगवाया है और वह काट लें, तब भी डॉक्टर से मिलें. अगर कुत्ता काटे तो बिना देरी किए एन्टी रेबीज का टीका लगवाएं. ये समझना होगा कि शरीर में यदि रेबीज का अटैक हो गया तो बच पाना मुश्किल हो जाता है. इसीलिए पहले से ही सावधानी बरतें और सजग रहे.
एंटी रेबीज के लगते हैं 4 इंजेक्शन
बता दें कि, जहां पर डॉग बाइट हो, उसको आधे घंटे तक लाइफबॉय साबुन से धुलते रहे. जिस जगह पर जख्म हो, उसे बांधना नहीं है. उसको खुला रखना है. किसी एक्सपर्ट डॉक्टर से एंटी रेबीज के इंजेक्शन जरूर लगवाए. एंटी रेबीज के चार इंजेक्शन लगते हैं. पहला पहले दिन, दूसरा तीसरे दिन, तीसरा 7वें दिन और चौथा इंजेक्शन 28वें दिन में लगवाना होता है.
काटने के बाद ये सबसे महत्त्वपूर्ण बात
कुत्ते के काटने से हुए घाव पर लाल मिर्च, गोबर और कॉफी पाउडर जैसी चीजें न लगाएं. न ही घाव को किसी चीज से सेंके. ये चीजें रेबीज से तो बचाएंगी नहीं, घाव को और घातक जरूर बना देंगी. जिस जानवर ने काटा है, संभव हो तो उस पर करीब 10 दिन तक नजर रखें. अगर वह बीमार दिखे या कुछ दिनों में ही मर जाए तो तुरंत डॉक्टर को बताएं. उसमें रेबीज के लक्षण दिखें तो जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के हवाले कर दें.
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शरीर में क्या असर करता है रेबीज का वायरस
वायरस इंसानी शरीर में आने के बाद सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है और 3 से 12 हफ्ते में ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड तक पहुंच जाता है. ब्रेन में पहुंचकर वायरस तेजी से बढ़ता है. इसके बाद मरीज को लकवा मार सकता है, वह कोमा में जा सकता है और आखिर में मौत हो जाती है. कभी-कभी रेबीज के लक्षण दिखने में एक साल या उससे अधिक समय भी लग जाता है. लक्षण कितने दिन में दिखेंगे यह वायरस की सक्रियता, इंसान की इम्यूनिटी और घाव की गंभीरता पर डिपेंड करता है.
वायरस इम्यूनिटी कमजोर होने का इंतजार करता है
रेबीज का वायरस इंसानी शरीर में सुप्त अवस्था में कई साल तक रह सकता है. अगर इम्यूनिटी अच्छी है तो यह तुरंत असर नहीं दिखाएगा. लेकिन उम्र बढ़ने और इम्यूनिटी कमजोर होने पर रेबीज का वायरस 25 साल बाद भी असर दिखा सकता है. ऐसा एक उदाहरण 2009 में गोवा के एक मरीज में मिला था, जिसमें 25 साल बाद रेबीज के लक्षण आए और उसे बचाया नहीं जा सका.