May 17, 2024, 5:20 pm

Electoral Bonds: मोदी सरकार को बड़ा झटका, 24 के चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Written By: गली न्यूज

Published On: Thursday February 15, 2024

Electoral Bonds: मोदी सरकार को बड़ा झटका, 24 के चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Electoral Bonds: इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बात कही है। कोर्ट ने कहा कि स्कीम के तहत दान से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक करनी होंगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना असंवैधानिक है, इसलिए इस पर रोक लगाई जा रही है। कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। वोटर को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का हक है।

क्या है पूरा मामला

चुनावी बॉन्ड योजना (Electoral Bonds) पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बहुत बड़ा झटका दिया है। लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। SC ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। वोटर्स को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का हक है। कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट सार्वजनिक की जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है। कोर्ट ने माना कि गुमनाम चुनावी बांड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है। CJI ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के अलावा भी काले धन को रोकने के दूसरे तरीके हैं। अदालत ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड की गोपनीयता ‘जानने के अधिकार’ के खिलाफ है। राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी होने से लोगों को मताधिकार का इस्तेमाल करने में स्पष्टता मिलती है।

चुनाव आयोग के साथ जानकारी साझा करेगा SBI

फैसला सुनाते हुए CJI ने कहा कि राजनीतिक दलों की फंडिंग की जानकारी उजागर न करना मकसद के विपरीत है। एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से लेकर अब तक की जानकारी सार्वजानिक करनी होगी। एसबीआई को ये जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी। EC इस जानकारी को साझा करेगा। SBI को तीन हफ्ते के भीतर ये जानकारी देनी होगी।

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क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड

इलेक्टोरल बॉन्ड एक वचन पत्र की तरह है जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीके से दान कर सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड को ऐसा कोई भी दाता खरीद सकता है, जिसके पास एक ऐसा बैंक खाता है, जिसकी केवाईसी की जानकारियां उपलब्ध हैं।

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