April 26, 2024, 12:26 pm

Sirsa Latest News: खुशखबरी, खेतों में ऐसे डाले खाद। सिरसा के लाल ने किया कमाल

Written By: गली न्यूज

Published On: Wednesday February 15, 2023

Sirsa Latest News: खुशखबरी, खेतों में ऐसे डाले खाद। सिरसा के लाल ने किया कमाल

Sirsa Latest News: कहते हैं मन में अगर कुछ भी करने की इच्छा हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है, इस लाइन को फलसफा कर दिखाया है सिरसा गांव के 11वीं क्लास के साइंस के विद्यार्थी (भारत कुमार) ने भारत कुमार (bharat kumar) ने अपने पिता को खेत में हाथ से खाद डालते हुए मेहनत करता देखा तो खाद डालने की मशीन बना डाली. जिस में खाद को मिलाने और उसका खेत में छिड़काव करने तक का काम ऑटोमेटिक तरीके से होता है.

क्या है मामला ?

भरत कुमार ने रिमोट कंट्रोल फर्टिलाइजर थ्रोइंग मशीन (Remote Control Fertilizer Throwing Machine)बनाई है. यह मशीन पूरी तरह से ऑटोमेटिक हैं जिससे विद्यार्थी ने घर पर रखी पानी की पाइपों की सहायता से बनाया है. यह मशीन किसान के एंड्रॉयड फोन से चालू की जा सकती है. फोन से ही मशीन को नियंत्रित कर सकते है. पहले खाद को मिक्स करने का काम भी मशीन ही करेगी मिक्स करने के बाद खेतों में हर जगह पर खाद डालने का काम भी मशीन करेगी. इसे किसान खेत के बाहर से ही फोन के जरिए कंट्रोल कर सकते है. छात्र की लगन को देखते हुए गांव जोधका की पंचायत की ओर से 51 सो रूपये दिये गये है. गांव में भारत कुमार को काफी प्रोत्साहित  किया गया जा रहा है तो, वहीं शिक्षा विभाग की ओर से ₹5000 एक मेडल और सर्टिफिकेट देकर इस बच्चे को सम्मानित किया गया है. (Sirsa Latest News)

गरीब परिवार से सम्बन्ध रखने वाले व जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गांव पतली डाबर में पढ़ने वाले भारत कुमार बचपन से ही वह अपने पिता को हाथ से खेत में खाद डालते हुए देखता था। जिस कारण उसके पिता के हाथ भी काफी खराब हो जाते थे। इससे बचाव करने के लिए उसने एक मशीन ही तैयार कर दी.

छात्र भारत कुमार ने बताया कि उसके पिता खेतों में खाद डालने का कार्य करते हैं और उसने अपने पिता को हाथों से खाद डालते देखा और उनके हाथ जब खराब हुए तो उसने सोचा कि क्यों ना एक ऐसी मशीन बनाई जाए जिससे खेतों में खाद डाली जाए ,उसने एक मशीन बनाई है जो खेतों में खाद डालने का कार्य करेगी और किसी एंड्रॉयड फोन से ऑपरेट भी किया जा सकता है। छात्र ने बताया कि इसको बनाने के लिए तीन-चार दिन लगे और लगभग 1500 सौ रुपए का खर्च आया है। छात्र ने कहा अगर सरकार सहयोग करें तो इस मॉडल को बड़े स्तर पर भी ले जाया जा सकता है।

 

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