भारत में इस तारीख से बैन हो जाएंगे प्लास्टिक के आइटम, जानिए कितना होगा नुकसान
सिंगल यूज प्लास्टिक, नाम से ही साफ है कि ऐसे प्रोडक्ट जिनका एक बार इस्तेमाल करने के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है, इसे आसानी से डिस्पोज नहीं किया जा सकता है. साथ ही इन्हें रिसाइकिल भी नहीं किया जा सकता है. यही वजह है कि प्रदूषण को बढ़ाने में सिंगल यूज प्लास्टिक की अहम भूमिका होती है.
एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक वाली इन वस्तुओं पर बैन होगा. इनमें 100 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक बैनर शामिल हैं. गुब्बारा, फ्लैग, कैंडी, ईयर बड्स के स्टिक और मिठाई बॉक्स में यूज होने वाली क्लिंग रैप्स भी शामिल हैं. यही नहीं केंद्र सरकार ने कहा है कि 120 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैग को भी 31 दिसंबर 2022 से बंद कर दिया जाएगा.
देश में प्रदूषण फैलाने में प्लास्टिक कचरा सबसे बड़ा कारक है. केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2018-19 में 30.59 लाख टन और 2019-20 में 34 लाख टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा जेनरेट हुआ था. प्लास्टिक न तो डीकंपोज होते हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है, क्योंकि इससे जहरीले धुएं और हानिकारक गैसें निकलती हैं. ऐसे में रिसाइक्लिंग के अलावा स्टोरेज करना ही एकमात्र उपाय होता है.
प्लास्टिक अलग-अलग रास्तों से होकर नदी और समुद्र में पहुंच जाता है. यही नहीं प्लास्टिक सूक्ष्म कणों में टूटकर पानी में मिल जाता है, जिसे हम माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं. ऐसे में नदी और समुद्र का पानी भी प्रदूषित हो जाता है. यही वजह है कि प्लास्टिक वस्तुओं पर बैन लगने से भारत अपने प्लास्टिक वेस्ट जेनरेशन के आंकड़ों में कमी ला सकेगा.
यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम (United Nations Environment Program) के मुताबिक दुनियाभर में आधे से अधिक प्लास्टिक को सिर्फ एक बार यूज करने के लिए डिजाइन किया गया है. यही वजह है कि दुनिया में हर साल लगभग 30 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है. 1950 के दशक में प्लास्टिक की शुरुआत के बाद से अब तक 8.3 अरब मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन किया गया है.
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1. पेपर स्ट्रा का आसानी से उप्लब्ध नहीं हो पाना.
2. प्लास्टिक स्ट्रा की तुलना में पेपर स्ट्रा की कीमत 5 से 7 गुना ज्यादा होना.
3. पेपर स्ट्रा बनाने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए कुछ समय दिए जाने की मांग करना.
पारले, डाबर और अमूल जैसी बड़ी बेवरेज कंपनियों के संगठन Action Alliance for Recycling Beverage Cartons यानी AARC के चीफ एग्जीक्यूटिव प्रवीण अग्रवाल ने कहा, ‘मुझे इस बात की चिंता है कि यह बैन डिमांड के पीक सीजन में आ रहा है. इससे ग्राहकों को भी दिक्कतें होंगी. प्लास्टिक स्ट्रा 5 से 7 गुना ज्यादा कीमत देकर खरीदने के लिए कंपनियां तैयार हैं, लेकिन मार्केट में यह उपलब्ध नहीं है.
सिंगल यूज प्लास्टिक के बैन होने पर अलग-अलग चीजों के लिए अलग-अलग विकल्प हो सकते हैं. जैसे- प्लास्टिक के स्ट्रा की जगह पेपर स्ट्रा. इसी तरह बांस से बनी ईयर बड्स स्टिक, बांस से बनी आइसक्रीम स्टिक, कागज और कपड़े से बने झंडे, परंपरागत मिट्टी के बर्तन आदि का इस्तेमाल सिंगल यूज प्लास्टिक की जगह पर किया जा सकता है.
एनवायरनमेंट एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक बैन तभी सफल होगा जब आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता हो और आसानी से सिंगल यूज प्लास्टिक के दूसरे विकल्प लोगों के सामने उपलब्ध हों. इसके साथ ही किसी सामान में ऐसे प्लास्टिक का इस्तेमाल होना चाहिए जिसे आसानी से रिसाइकिल किया जा सके.
बता दें कि, दुनिया भर की कई सरकारें सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ कड़े फैसले ले रही हैं. ताइवान ने 2019 से प्लास्टिक बैग, स्ट्रॉ, बर्तन और कप पर प्रतिबंध लगा दिया है. दक्षिण कोरिया ने बड़े सुपर मार्केट में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके साथ ही वहां इस प्रतिबंध के उल्लंघन करने वालों पर करीब 2 लाख जुर्माना लगाया जाता है. भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश ने भी 2002 में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया था. केन्या, UK, ताइवान, न्यूजीलैंड, कनाडा, फ्रांस और अमेरिका में भी सिंगल यूज प्लास्टिक पर कुछ शर्तों के साथ बैन लगाया गया है.