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Noida News: तीन माह में फ्लैटों की रजिस्ट्री करना अनिवार्य, शासन ने दिए तीनों प्राधिकरणों को आदेश

Written By: गली न्यूज

Published On: Friday December 22, 2023

Noida News: तीन माह में फ्लैटों की रजिस्ट्री करना अनिवार्य, शासन ने दिए तीनों प्राधिकरणों को आदेश

Noida News: नोएडा वासियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सालों से वे जिस सपने के सच होने का इंतजार कर रहे थे अब वो पूरा होने वाला है। क्योंकि अब जल्द ही उन्हें फ्लैटों की रजिस्ट्री होने से मालिकाना हक़ मिलने वाला है। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत के नेतृत्व में गठित समिति की सिफारिशों को यूपी कैबिनेट से पास करने के बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण को इसके संबंध में शासनादेश भेजा गया है।

क्या है पूरा मामला

Noida News: जानकारी के मुताबिक नोएडा, ग्रेनो और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में तैयार फ्लैटों की रजिस्ट्री तीन माह में करनी होगी जबकि अधूरी पड़ी परियोजनाओं का निर्माण अधिकतम तीन वर्षों में पूरे करने होंगे।नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत के नेतृत्व में गठित समिति की सिफारिशों को यूपी कैबिनेट से पास करने के बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण को इस बाबत शासनादेश भेजा गया है। प्रदेश के औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह की ओर से भेजे गए शासनादेश में तय समय में रजिस्ट्री और अधूरे निर्माण पूरे नहीं करने वाले बिल्डरों पर जुर्माना लगाने और परियोजना का आवंटन निरस्त करने की चेतावनी दी गई है।

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शासनादेश में तीनों प्राधिकरणों को विशेष बोर्ड बैठकों में प्रस्ताव रखते हुए कार्य आगे बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। दरअसल जारी निर्देश में को-डेवलपर पॉलिसी, पैसों के भुगतान, जीरो पीरियड, परियोजना के समय विस्तार आदि पर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं, जिसका पालन प्राधिकरणों को करना होगा। योजना के मुताबिक सबसे पहले कोविड काल के दौरान दो साल की अवधि के किए गए ब्याज और दंडात्मक ब्याज को घटाते हुए सीए फर्म से बिल्डरों के बकाये की गणना कराई जाएगी। बिल्डरों को उनके कुल बकाये की राशि से अवगत कराया जाएगा। छूट का लाभ पाने के लिए बिल्डर को 60 दिन के भीतर बकाये की 25 फीसदी राशि प्राधिकरण में जमा करनी होगी। इसके बाद वह नियमों के तहत हर प्रकार के छूट के हकदार होंगे।

शासन के आदेश के तहत हर हालत में सभी तैयार फ्लैटों, ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) प्राप्त फ्लैट अथवा बिना ओसी के फ्लैटों में रह रहे फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री तीन माह में बिल्डर को करानी होगी। यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि रजिस्ट्री से पहले टावरों के फायर एनओसी, संरचनात्मक एनओसी समेत हर प्रकार की एनओसी तय समय से पहले मिल जाएं।

तीन माह में रजिस्ट्री नहीं कराने पर बिल्डर की संपत्ति अटैच होगी

तीन माह के भीतर तैयार फ्लैटों की रजिस्ट्री के काम को पूरा करने के लिए डेवलपर या को-डेवलपर को प्रति फ्लैट आकलित धनराशि जमा करानी होगी। यह राशि कुल बकाये के 25 प्रतिशत जमा की गई राशि से अधिक भी हो सकती है। धनराशि जमा नहीं करने पर प्राधिकरण परियोजना के साथ संबद्ध वाणिज्यिक संपत्ति को सील कर कब्जे में ले लेगा। संपत्ति का मूल्यांकन कर उसकी राशि के बराबर फ्लैटों की रजिस्ट्री होगी। इस धनराशि के बदले बिल्डरों को बैंक गारंटी देने की सुविधा भी मिलेगी। इन सभी कार्यों को पूरा करते हुए प्रत्येक दशा में तीन माह में रजिस्ट्री पूरी करनी होगी।

बिल्डरों को दी जाएगी छूट

अधिकतम तीन साल में अधूरे निर्माण पूरे की योजना में शामिल होने वाले बिल्डरों को 60 दिन में 25 प्रतिशत बकाया राशि जमा करने के बाद सभी सुविधाएं मिलेंगी। बिल्डरों को कोविड काल का दो साल का ब्याज और दंडात्मक ब्याज से राहत के अलावा केस टू केस बेसिस पर एनजीटी की ओर से 2013 से 15 की कार्य अवधि की भी छूट मिल सकेगी। छूट मिलने के बाद बकाया राशि जमा करनी होगी। अगर कोई बिल्डर को-डेवलपर के तौर पर दूसरे बिल्डर को लेकर आना चाहता है तो उसे भी यह सुविधा मिलेगी। इसमें 15 दिनों में प्राधिकरण मंजूरी दे देगा। हालांकि इसके बाद बकायेदार के तौर पर मूल आवंटी के अलावा को-डेवलपर भी समान रूप से जिम्मेदार होगा। 25 प्रतिशत राशि जमा करने के बाद प्लान के अप्रूवल और तीन साल के समय विस्तार की सुविधा मिलेगी।

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निर्धारित समय में बिल्डर ने काम नहीं किया तो पांच साल के लिए होगा ब्लैक लिस्ट

यदि बिल्डर ने निर्धारित अवधि में फ्लैट खरीदारों को कब्जा देते हुए रजिस्ट्री नहीं कराई तो उनको प्रस्तावित छूट का लाभ नहीं मिल पाएगा। इसके अलावा कुल बकाये पर 20 प्रतिशत का जुर्माना और लगाया जाएगा। साथ ही आवंटित भूमि और लीड डीड निरस्त की जाएगी। फिर उसका कब्जा प्राधिकरण लेकर आगे की कार्रवाई होगी। इसके अलावा बिल्डर को ब्लैक लिस्ट करते हुए अगले 5 वर्षों तक नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के क्षेत्र में उक्त बिल्डर को भूखंड का आवंटन नहीं करने पर प्राधिकरणों की ओर से फैसला लिया जाएगा।

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