Rape: पत्नी के साथ जबरदस्ती संबंध रेप है ? क्या कहता है कानून? जानें यहां
शादी होना पत्नी के साथ कुछ भी करने का परमिट नहीं है। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि अक्सर शादी के बाद पति अपनी पत्नी को खुद की जागीर समझ लेते है। पत्नी की मर्जी हो या ना हो, पति उसके साथ फिजिकल रिलेशन बना ही लेता है।
मैरिटल रेप का स्टेटस ?
1- पत्नी की सहमति के बिना सेक्शुअल इंटरकोर्स करना
2- मैरिटल रेप एक तरह से घरेलू हिंसा के जैसा है
3- दुनियाभर के 77 देशों में मैरिटल रेप अपराध की श्रेणी में
4- भारत उन 34 देशों में है जहां मैरिटल रेप अपराध नहीं
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा- शादी हुई है, कोई परमिट नहीं मिला
यही वजह है कि लंबे समय से मैरिटल रेप (Marital rape) को कानूनी अपराध बनाने की अपील की जा रही है। हाल ही में आए कर्नाटक हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी में कहा गया कि, शादी जबरन सेक्सुअल रिलेशन बनने का लाइसेंस नहीं है। शादी समाज में किसी भी पुरुष को ऐसा कोई अधिकार नहीं देती कि वह महिला के साथ जानवरों जैसा सलूक करे।
अगर कोई भी आदमी, औरत के साथ बिना मर्जी के रिलेशन बनाता है या बनाने की कोशिश करता है, तो यह दंडनीय है। चाहे फिर वह उसका पति ही क्यों न हो।
क्या कहता है कानून
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान के मुताबिक सबको समानता का अधिकार है, सुरक्षा का अधिकार है। ऐसे में पति शासक नहीं हो सकता, सदियों पुरानी सोच में बदलाव की जरूरत है। बात दें कि, 2015 से मैरिटल रेप को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है।
2017 में केंद्र सरकार ने कहा कि मैरिटल रेप का अपराधीकरण भारतीय समाज में विवाह की व्यवस्था को अस्थिर कर सकता है।
2019 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि मैरिटल रेप को क्राइम घोषित करने की जरूरत नहीं।
लेजिस्लेचर विचार करें
हाईकोर्ट ने लेजिस्लेचर को इस मुद्दे पर विचार करने की सलाह दी है। कोर्ट ने कहा कि मैरिटल रेप को अपराध रूप में देखा जाना चाहिए। क्योंकि जब पति जबरन संबध बनााता है तो महिला के दिमाग और शरीर दोनों पर इसका असर होता है। महिलाओं में डर पैदा करता है। वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि इस मुद्दे पर कोई कानून बनाने से पहले एक बार खुलकर विचार-विमर्श करने जरूरत है, क्योंकि ये समाज पर गहरा असर डालेगा।