मनुष्यता हमें प्रेम सिखाती है, फिर इंसान हो या जानवर।
भाग दौड़ भरी इस जिंदगी और पश्चिमी सभ्यता के रंग में डूबे, सभी जीवों में सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाले मनुष्य में आजकल मनुष्यता नाम मात्र को बची है। जो जीव जंतु कभी हमारी संस्कृति और सनातन धर्म का हिस्सा हुआ करते थे आज वो हमारी जिंदगी की मुसीबत बने हुए हैं, परंतु ऐसा क्यों हो रहा है मनुष्य के पास पैसा कमाने की होड़ में ये सब सोचने का वक़्त कहाँ?
आज जिन जीवों को आवारा कह के संबोधित किया जाता है वो किसी ज़माने में पूजे जाते थे। जिन गायों, गोवंशो और कुत्तों को भूखा मरने सड़कों पे छोड़ दिया जाता है किसी वक़्त हर घर में खुद के खाने से पहले उनके नाम की रोटी निकाली जाती थी। पर आज जो गाय कभी माता, गोवंश नंदी का रूप और कुत्ता यम का स्वरूप मान पूजे जाते थे वो आज या तो दूध देने की मशीन बन चुके हैं या फिर आवारा पशु आये दिन इनके खिलाफ कुछ न कुछ छपता रहता है, परन्तु किसी ने मूल में जा के इसकी वजह जानी?
गौ और गोवंश हमारी दूध की अधिक ज़रूरतों के कारण सड़को पे बेसहारा लाचार घूमते हैं, कुत्ता के काटने की घटना जो होती है उसके ज़िम्मेदार हम है भूखा जीव किससे खाना मांगे भोजन देने की जगह उसे दुत्कार् और सिर्फ मार मिलती है हर जीव को रक्षा के लिए ईश्वर ने अंग दिये है गाय को सींग, बिच्छू को डंक तो कुत्ते को दांत अगर आप बेवजह किसी जीव को सतायेंगे तो एक न एक वक़्त ऐसा आयेगा जब वो भी अपनी रक्षा मे पलटवार करेगा, बेवजह कोई जीव हमला नहीं करता।
इस धरती पे कुत्ता ही एक ऐसा जीव है जो खुद से भी ज़्यादा आपको प्यार करता है| कुत्ते की वफादारी की मिसाल दी जाती है, परन्तु बदलते वक़्त के साथ लोग इस वफादारी को भूलते जा रहे हैं| रिसर्च में भी पाया गया है की कुत्ता एक समझदार और दूसरे जीवो की अपेक्षा अत्यधिक भावुक जीव है| इनके घर में रहने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी रहती है|
शास्त्रों के अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने भी सिर्फ एक कुत्ते की वफादारी के कारण स्वर्गलोक को भी ठुकरा दिया था की उसके साथ अन्याय न हो जिसने उनका हर कदम पे साथ दिया, जापान में हचिको नामक एक कुत्ते की कहानी घर घर में प्रचलित है जो अपने मालिक के मरने के बाद 9 साल तक एक ही जगह रोज़ इंतज़ार करता था अंततः उसके मरने के बाद उसे भी उसके मालिक के पास ही दफना दिया गया|
कुत्ते पृथ्वी को नुकसान पहुंचने वाले अन्य छोटे मोटे जीवो को खा के पृथवी का संतुलन बनाये रखते हैं| हालाँकि कुत्तों की जनसँख्या काफी तेज़ी से बढ़ती है इसलिए सरकार ने WHO के साथ मिलके कई कार्यक्रम चलाये ताकि इनकी जनसँख्या नियंत्रित की जा सके, इनकी नसबंदी करवाए जाने से इनके व्यवहार में भी नरमी का रुख देखा गया है जिससे इनकी आपसी लड़ाइयां भी काफी हद तक कम हो जाती हैं|
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हालाँकि सरकार की कई योजनाए चलाने के बावजूद इसका लाभ इन जीवो को नहीं मिल पाता जिस कारण से अनेको पशुप्रेमियों को इनकी देख भाल करनी पड़ती है, जिस कारण से उन्हें अन्य लोगो से उल्हाना और प्रताड़ना सहनी पड़ती है, क्योकि हर इंसान इस निःस्वार्थ भाव से की जाने वाली सेवा और पशुप्रेम को नहीं समझता| इन पशु प्रेमियों की तरह अन्य लोगों का भी दायित्व बनता है की वह इस सेवा में उनका साथ दें और आत्मविश्वास बढ़ाएं| कुत्ते समाज और लोगो के लिए खतरा नहीं अपितु एक सच्चा साथी और रक्षक हैं हमे अपनी सोच को बदलना होगा ताकि हम सबका जीवन आसान बने और हम बिना द्वेष और दुर्भावना के जीवन जी सकें|
गौरव- (Gulynews.com के दर्शक)
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