Health News: ठंड में कान के दर्द को इग्नोर करना पड़ सकता है भारी, डॉक्टर से लें सलाह
Health News:सर्दियों में अगर आपके कान में दर्द हो रहा है तो बिलकुल भी अनदेखा न करें, वरना ये बीमारी की बड़ी वजह बन सकता है। साइनस की दिक्कत का सामना कर रहे लोगों को अक्सर कान के दर्द का सामना करना पड़ता है। सर्दी में कान में ठंडी हवा लगने से कान की नसों पर तुरंत असर पड़ता है। सर्दियों में बाहर निकलने से पहले, अपने कान और नाक को कवर जरूर करें। अगर एक हफ्ते से अधिक समय तक जुकाम है तो इसे हल्के में न लें।
क्या है पूरा मामला
सर्दियों में अक्सर लोग जुकाम के बाद कान में दर्द होने की समस्या बताते हैं। संक्रमण की वजह से ही अक्सर कान का दर्द बढ़ जाता है और कान बहने भी लगता है। फेलिक्स अस्पताल के नाक, कान और गला (ईएनटी) रोग विशेषज्ञ डॉ. कुँवर परवेज ने बताया कि गले से कान जाने वाली यूस्टेशियन ट्यूब में किसी तरह के जमाव की वजह से दर्द बढ़ जाता है। सर्दी-जुकाम में खांसने और छींकने के दौरान कान के अंदरूनी हिस्सों पर जोर पड़ता है। नसों में दबाव पड़ने से अक्सर दर्द शुरू हो जाता है। बता दें कि इन दिनों नोएडा के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में कान की परेशानी से जुड़े मरीज काफी संख्या में आ रहे हैं।
कान की बीमारी और ईएनटी डॉक्टरी की राय
साइनस की दिक्कत का सामना कर रहे लोगों को अक्सर कान के दर्द का सामना करना पड़ता है। सर्दी में कान में ठंडी हवा लगने से कान की नसों पर तुरंत असर पड़ता है। सर्दियों में बाहर निकलने से पहले, अपने कान और नाक को कवर जरूर करें। अगर एक सप्ताह से अधिक समय तक जुकाम है तो इसे हल्के में न लें। इसकी वजह से मरीजों के कान के पर्दे फट जा रहे हैं। ऐसे मरीजों के कान में तेजी से मवाद बनता है, जो उनके सुनने वाली ग्रंथियों को संक्रमित कर रहा है। अगर यह समस्या हमेशा के लिए रहेगी तो लोगों को बहरा बना सकती है।
सूजन आने का भी खतरा
ठंड के मौसम में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। मरीजों की किन पैनिक झिल्ली (कान के पर्दे) में तेजी से छेद होने पर धीरे-धीरे बड़ा होता जाता है। ऐसे मरीजों की जांच में यह जानकारी मिलती है कि इन्हें काफी दिनों से सर्दी और जुकाम था। स्थानीय स्तर पर दवा लेने के बाद भी ठीक नहीं हुआ। इस बीच कान से सुनाई कम देने लगा और कान से मवाद आने लगा। नाक के पिछले और गले के ऊपरी हिस्से में यूस्टेकियन ट्यूब होती है। इसमें सर्दी की वजह से अक्सर संक्रमण हो जाता है और इसमें सूजन आ जाती है।
कान से आने लगता है खून
इस बीच संक्रमण बढ़ने लगता है और कान के पर्दे तक पहुंच जाता है और पर्दे में छेद हो जाता है। इसके बाद कान बहने लगता है। लेकिन इस पर मरीज ध्यान नहीं देता है। इस स्थिति में मरीज को लगता है कि सर्दी की वजह से उसे कम सुनाई दे रहा है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। कान के पर्दे में जब छेद छोटा होता है तो दर्द कम होता है, लेकिन संक्रमण बढ़ने के साथ दर्द भी तेज होता है और असहनीय दर्द होने लगता है। कभी-कभार कान से खून भी आ जाता है।
ऑपरेशन की पड़ जाएगी जरूरत
ऐसी स्थिति में जब भी कान भारी लगे और हल्का दर्द हो तो तत्काल डॉक्टर से सलाह लें। वहीं जिन मरीजों के कान में पर्दे में बड़ा छेद (बिग सेंट्रल परफोरेशन) हो रहा है। बड़े छेद का अर्थ है कि कान के पर्दे का ज्यादा फट जाना। इसमें मरीजों को ऑपरेशन करने की जरूरत पड़ती है। जबकि कई बार मरीजों के कान के पर्दे में छोटा छेद (स्मॉल सेंट्रल परफोरेशन) हो रहा है, जो दवा से ठीक होता है।
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कान के पर्दे फटने के लक्षण
- कान के अंदर हवा बहना महसूस होना।
- कम सुनाई देना।
- कान में तेज दर्द होना।
- छींकते समय सीटी सुनाई देना।
- कान से मवाद और खून आना।