Supertech Chairman RK Arora : आरके अरोड़ा के लिए फिर खुलेंगे जेल के गेट.. अब इस तारीख को करना होगा सरेंडर
Supertech Chairman RK Arora : बिल्डर सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की मुश्किलें फिर से बढ़ने वाली हैं. अंतरिम जमानत पर बाहर आए आरके अरोड़ा को एक बार फिर जेल जाना पड़ेगा. दिल्ली की एक अदालत ने आरके अरोड़ा की अंतरिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया है. जिसके बाद अरोड़ा को फिर से सरेंडर कर जेल जाना होगा.
क्या है पूरा मामला
दरअसल सुपरटेक के चेयरमैन और प्रमोटर आर के अरोड़ा (Supertech Chairman RK Arora) ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में अंतरिम जमानत 90 दिनों के लिए और बढ़ाने की मांग की थी. इसके पीछे अरोड़ा की ओर से खराब सेहत के इलाज की दलील दी गई थी. लेकिन कोर्ट ने आर.के अरोड़ा की चिकित्सा आधार पर अपनी अंतरिम जमानत और बढ़ाने की मांग खारिज कर दी. पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंदर कुमार जांगला ने अरोड़ा की याचिका खारिज करते हुए जेल अधिकारियों को यह सुनिश्चित के लिए कहा कि उन्हें अपने डॉक्टरों द्वारा निर्धारित आवश्यक चिकित्सा उपचार मिले.
कब जाना होगा जेल
https://gulynews.com को मिली जानकारी के मुताबिक पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंदर कुमार जांगला ने आरके अरोड़ा को 13 मई की शाम पांच बजे तक जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है. जस्टिस जांगला ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि, मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट देखने के बाद अरोड़ा की अंतरिम जमानत बढ़ाने का कोई कारण नहीं है. अदालत ने कहा कि अरोड़ा को इस साल 16 जनवरी से पहले ही अंतरिम जमानत दी जा चुकी है. उनकी मेडिकल जांच पूरी हो गई है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अरोड़ा हिरासत में रहते हुए आवश्यक चिकित्सा उपचार प्राप्त कर सकते हैं.
क्या है आरोप
बता दें कि आरके अरोड़ा को 27 जून 2023 जून में मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में ईडी नेे गिरफ्तार किया गया था. उन पर 670 घर खरीदारों से 164 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. एफआईआर में अरोड़ा और सुपरटेक पर फ्लैट बुक कराने वालों से अग्रिम राशि लेकर धोखाधड़ी करने के आरोप हैं. ईडी के मुताबिक, सुपरटेक और समूह की कंपनियों ने फ्लैट खरीदारों की राशि के आधार पर बैंक से कर्ज लिए और राशि का गबन कर लिया. दूसरी कंपनियों के नाम से जमीन खरीदी गई और उनके आधार पर भी बैंकों से कर्ज ले लिया. कर्ज नहीं चुकाने से करीब 1,500 करोड़ के कर्ज गैर निष्पादित संपत्तियां बन गए.