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NCERT Syllabus: 12वीं क्लास के इतिहास के हड़प्पा चैप्टर में NCERT ने किया बदलाव, जानें क्या है वजह…

Written By: गली न्यूज

Published On: Friday April 5, 2024

NCERT Syllabus: 12वीं क्लास के इतिहास के हड़प्पा चैप्टर में  NCERT ने किया बदलाव, जानें क्या है वजह…

NCERT Syllabus: शिक्षा जगत से बड़ी अपडेट है। हड़प्पा सभ्यता की उत्पत्ति और पतन पर कक्षा 12 के स्टूडेंट्स के लिए बने इतिहास के चैप्टर में एनसीईआरटी ने कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इस बदलाव के लिए एनसीईआरटी ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को सूचना जारी कर दी है।

क्या है पूरा मामला

बतादें, राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने 12वीं कक्षा की इतिहास की किताब में बड़ा बदलाव किया है। एनसीईआरटी ने हड़प्पा सभ्यता की उत्पत्ति और पतन नाम के चैप्टर में बदलाव किया गया है। जिसे शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। इस बदलाव के पीछे तर्क दिया गया कि हरियाणा में सिंधु घाटी स्थल, राखीगढ़ी में पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त प्राचीन डीएनए के हालिया अध्ययन, आर्य आप्रवासन को खारिज कर दिया गया है। इस बात पर अधिक रिसर्च करने की जरूरत है कि क्या हड़प्पा और वैदिक लोग एक ही थे?

बतादें, इस मामले में एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बदलाव के पीछे तर्क दिया गया कि हरियाणा में सिंधु घाटी स्थल, राखीगढ़ी में पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त प्राचीन डीएनए के हालिया अध्ययन, आर्य आप्रवासन को खारिज कर दिया गया है। इस बात पर अधिक रिसर्च करने की जरूरत है कि क्या हड़प्पा और वैदिक लोग एक ही थे? इसलिए इस चैप्टर में बदलाव करने की नौबत आई। इस बदलाव के लिए एनसीईआरटी ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को सूचना जारी कर दी है।

इन कक्षाओं के सिलेबस में भी हुआ चेंज

ऐसा नहीं है कि सिर्फ कक्षा 12 के सिलेबस में ही बदलाव किया गया है. एनसीईआरटी ने कक्षा 7, 8, 10, 11 और 12 के इतिहास और समाजशास्त्र की किताबों में भी बदलाव किया है लेकिन सबसे अहम बदलाव कक्षा 12 के इतिहास की किताब भारत के इतिहास में विषय-वस्तु भाग-1 के ईंट, मोती और हड्डियां- हड़प्पा सभ्यता नाम के चैप्टर में किया गया है। बदलाव के बाद मांग की गई कि हड़प्पा सभ्यता से संबंधित पुरातात्विक स्थलों से हाल के साक्ष्य में सुधार किया जाए।

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इस चैप्टर में हुआ बदलाव

राखीगढ़ी में पुरातत्व अनुसंधान से संबंधित नए पैराग्राफ में कहा गया है, “हड़प्पावासियों की आनुवंशिक जड़ें 10,000 ईसा पूर्व तक जाती हैं। हड़प्पावासियों का डीएनए आज तक कायम है और दक्षिण एशियाई आबादी का अधिकांश हिस्सा उन्हीं का वंशज प्रतीत होता है। हड़प्पा वासियों के दूर-दराज के क्षेत्रों के साथ व्यापार और सांस्कृतिक संपर्कों के कारण कम मात्रा में जीनों का मिश्रण होता है। आनुवंशिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास में बिना किसी रुकावट के निरंतरता तथाकथित आर्यों के बड़े पैमाने पर आप्रवासन को खारिज करती है। इस शोध से यह भी पता चलता है कि सीमावर्ती इलाकों और दूर-दराज के इलाकों से आने वाले लोग भारतीय समाज में समाहित हो गए थे। किसी भी स्तर पर, भारतीयों के आनुवंशिक इतिहास को या तो बंद नहीं किया गया या तोड़ा गया। जैसे-जैसे हड़प्पावासी ईरान और मध्य एशिया की ओर बढ़ने लगे, उनके जीन भी धीरे-धीरे उन क्षेत्रों में फैलने लगे।

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