Rohingya in UP: कानपुर बना रोहिंग्या के छिपने का अड्डा, अवैध तरीके से डाल रहे डेरा…
Rohingya in UP: उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर रोहिंग्या के छिपने का मुख्य ठिकाना बन गई है। पिछले साल एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने झकरकटी बस अड्डे से आठ रोहिंग्या शरणार्थियों को गिरफ्तार किया था। इस साल 31 जनवरी को एटीएस ने सेंट्रल स्टेशन से बांग्लादेशी नागरिक मो. राशिद अहमद को गिरफ्तार किया था। इसके बावजूद रोहिंग्या अपना डेरा डालते जा रहे हैं। ज्यादातर रोहिंग्या बांग्लादेश के रास्ते बशीरहाट से अवैध तरीके से आकर अपना सबसे सुरक्षित ठिकाना यूपी में बनाते हैं।
क्या है पूरा मामला
बतादें, कानपुर शहर रोहिंग्या (Rohingya in UP) के छिपने का ठिकाना बन गया है। पिछले साल एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने झकरकटी बस अड्डे से आठ रोहिंग्या शरणार्थियों को गिरफ्तार किया था। लखनऊ के एटीएस थाने में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। बुधवार को एटीएस ने सेंट्रल स्टेशन से दिल्ली के रास्ते जम्मू कश्मीर जा रहे चार रोहिंग्या शरणार्थियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें तीन महिलाएं शामिल थी। एटीएस इन सभी से पूछताछ कर रही है।
खुफिया एजेंसियों की सूचना पर पिछले साल छह मई को एटीएस ने झकरकटी बस अड्डे के पास से सुबीर, जम्मू निवासी मो. जकारिया, म्यांमार निवासी मो. शोएब, नूर मुस्तफा, बांग्लादेश टैंकहाली निवासी फारसा, सबकुर नाहर, नूर हबीब और रजिया को गिरफ्तार किया था। इनके पास से कूटरचित आधार कार्ड ई-श्रम कार्ड और आयुष्मान कार्ड मिले थे।
एटीएस ने पकड़े थे कई रोहिंग्या
इस साल 31 जनवरी को एटीएस ने सेंट्रल स्टेशन से बांग्लादेशी नागरिक मो. राशिद अहमद को गिरफ्तार किया था। मूलरूप से बांग्लादेश के लक्ष्मीपुर चटगांव के मदारीपुर का रहने वाला राशिद वर्तमान में सहारनपुर के देवबंद स्थित दारुल उलूम के कमरा नंबर-10 अफ्रीकी मंजिल में रह रहा था। एटीएस ने उसके पास से कूटरचित आधार कार्ड, दारुल उलूम देवबंद मदरसे का आईडी कार्ड और मोबाइल बरामद किया था। पूछताछ में उसने बताया था कि वह आठ साल पहले टूरिस्ट वीजा पर भारत आया था।
रोहिंग्या क्या काम करते हैं?
रोहिंग्या शरणार्थी मुसलमानों का सबसे प्रिय काम कबाड़ा बीनना है, जिसमें किसी प्रकार के पूंजी की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा सस्ते मजदूर के तौर पर भी यह भवन निर्माण से लेकर कंपनियों को उपलब्ध हो जाते हैं। इनके साथ की महिलाएं घरेलू कार्यो के लिए सस्ती मेड के तौर पर उपलब्ध हो जाती हैं। बांग्लादेश से सटा होने के कारण इनकी भाषा काफी कुछ बांग्ला से मिलती जुलती है तो लोग आसानी से भ्रमित हो जाते हैं।
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यूपी है रोहिंग्या के लिए सुरक्षित ठिकाना
बांग्लादेश के रास्ते बशीरहाट से अवैध तरीके से आकर ये अपना सबसे सुरक्षित ठिकाना यूपी में बनाते हैं क्योंकि इनको यहां पर मददगार मिलते हैं। इसके साथ ही रोजी रोटी के कम आय के साधन भी आसानी से मुहैया हो जाता है। इनके लिए शहर के साथ ही राजधानी लखनऊ, प्रयागराज, हापुड़, गाजियाबाद, नोएडा, मथुरा, अलीगढ़ और मेरठ में रहना सबसे आसान होता है। यहां पर ये पहले तो झुंड में आते हैं उसके बाद अलग हो जाते हैं और पहचान करना मुश्किल हो जाता है। ये झुग्गी झोपडिय़ों में अपना निवास बनाते हैं या मुस्लिम मुहल्लों में सस्ते किराए का मकान ले लेते हैं।