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Supertech Issues: क्या सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को नहीं मिलेगी जमानत, दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका

Written By: गली न्यूज

Published On: Saturday March 9, 2024

Supertech Issues: क्या सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को नहीं मिलेगी जमानत, दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका

Supertech Issues: सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ गईं हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने आरके अरोड़ा की डिफॉल्ट (वैधानिक) जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। आरके अरोड़ा इस समय जेल में बंद है। उन्होंने ईडी द्वारा समय से आरोप-पत्र दाखिल नहीं करने के आधार पर जमानत मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही आरके अरोड़ा की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं।

क्या है पूरा मामला

मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट ने सुपरटेक (Supertech Issues) के चेयरमैन आरके अरोड़ा (RK Arora) को झटका लगा है। कोर्ट ने आरके अरोड़ा की डिफॉल्ट (वैधानिक) जमानत याचिका को खारिज कर दिया। आरके अरोड़ा इस समय जेल में बंद है।उन्होंने ईडी द्वारा समय से आरोप-पत्र दाखिल नहीं करने के आधार पर जमानत मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

सुनवाई में क्या हुआ?

इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ में हुई है। मनोज कुमार ओहरी ने सुनवाई के दौरान कहा, “ईडी का स्पष्ट रुख है कि वर्तमान याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच पूरी हो गई है, लेकिन फोरेंसिक जांच रिपोर्ट अभी नही आई है। ऐसे में देरी के लिए एफएसएल जिम्मेदार है। इसको तैयार करना जांच एजेंसी के नियंत्रण में नहीं है। ऐसी स्थिति में आरोपी को वैधानिक जमानत नहीं दी जा सकती।

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डिफॉल्ट जमानत क्या होती है?

एक रिपोर्ट के मुताबिक जब पुलिस किसी व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के बाद उसे गिरफ्तार करती है तो उसके बाद पुलिस की यह जिम्मेदारी होती है कि वो कानून के अनुसार बताए गए समय सीमा के अंदर चार्जशीट फाईल करें, लेकिन अगर वो ऐसा करने में विफल होते हैं तो क्या होता है और गिरफ्तार व्यक्ति क्या कर सकता है इसके बारे में CrPC में प्रावधान किया गया है। दण्ड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure- CrPC) की धारा 167(2) के अंतर्गत दी जाने वाली जमानत को ‘बाध्यकारी जमानत’ या ‘वैधानिक जमानत’ या ‘डिफॉल्ट जमानत जमानत’ कहा जाता है। इसके तहत अपराध की प्रकृति के अनुसार यदि पुलिस यथास्थिति 90 दिन या 60 दिन की निर्धारित समय सीमा के भीतर न्यायालय के समक्ष आरोप-पत्र (चार्जशीट) दाखिल करने में असफल रहती है तो आरोपी द्वारा जमानत साधिकार मांगी जा सकती है।

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