November 25, 2024, 11:00 am

Bank Locker Rule: बैंक लॉकर वाले ध्यान दें, आरबीआई ने जारी की नई गाइडलाइंस…

Written By: गली न्यूज

Published On: Thursday February 22, 2024

Bank Locker Rule: बैंक लॉकर वाले ध्यान दें, आरबीआई ने जारी की नई गाइडलाइंस…

Bank Locker Rule: आजकल ज्यादातर लोग सुरक्षा के उद्देश्य से बैंक लॉकर का इस्तेमाल करते हैं। बैंक का लॉकर वैसे तो काफी सुरक्षित जगह होती है, लेकिन अगर यहां किसी का नुकसान हो जाए तो ग्राहक के पास क्‍या अधिकार होते हैं। बैंक में रखे पैसों का नुकसान होने पर क्‍या आपको इसका हर्जाना मिल सकता है या बैंक इससे इनकार कर सकते हैं।आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से।

क्या है पूरा मामला

बैंक लॉकर (Bank Locker Rules) में पैसे जमा करके अगर आप सोच रहे कि निश्चिंत हो गए हैं तो यह गलतफहमी है। मुरादाबाद जिले में हुई एक घटना से आपकी भी आंखें खुल जाएंगी। यहां एक महिला ने अपनी बेटी की शादी के लिए बैंक लॉकर में गहने और 18 लाख रुपये जमा कराए थे। सालभर बाद जब वह पैसा लेने पहुंची तो पता चला कि गहने तो सुरक्षित हैं, लेकिन रुपये की गड्डियां दीमक खा गईं। अब सवाल उठता है कि क्‍या बैंक इसकी भरपाई करेगा।

ऐसी समस्‍या आने पर ज्‍यादातर मामलों में बैंक हाथ खड़े कर देते हैं। मुरादाबाद की घटना में भी यही हुआ और बैंक प्रबंधन ने महिला लॉकर धारक को कोई भी हर्जाना देने से इनकार कर दिया। बैंक ने नियमों का हवाला देते हुए पैसे लौटाने या उसका मुआवजा देने से इनकार कर दिया है। ऐसी परिस्थिति में बैंक ग्राहक को क्‍या करना चाहिए।

क्‍या है लॉकर का नियम

साल 2022 तक बैंक लॉकर से जुड़ा सीधा नियम था कि अगर ग्राहक की किसी संपत्ति को नुकसान होता है तो इसकी पूरी भरपाई बैंक करेगा। यही वजह है कि ज्‍यादातर मामलों में बैंक हाथ खींच लेते हैं और ग्राहक को किसी भी तरह की भरपाई करने से इनकार कर देते हैं। बैंकों की इस मनमानी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई और कोर्ट के आदेश के अनुसार रिजर्व बैंक ने नई गाइडलाइन जारी की।

क्‍या है नई गाइडलाइन

रिजर्व बैंक की नई गाइडलाइन में बैंक लॉकर में नुकसान से जुड़े नियमों को क्‍लीयर किया गया है। अब बैंक और ग्राहक के बीच नई गाइडलाइन के तहत ही एग्रीमेंट किया जाता है। इसमें कहा गया है कि अगर लॉकर में रखे सामान को नुकसान पहुंचता है या चोरी हो जाता है तो बैंक लॉकर के लिए वसूले जाने वाली सालाना फीस का 100 गुना मुआवजा ग्राहक को देगा। जैसे एसबीआई मेट्रो शहरों में मीडियम साइज के बैंक लॉकर के लिए हर महीने 3000 रुपये और जीएसटी लेता है। इसका मतलब हुआ कि सालभर में 36 हजार रुपये की फीस ली जाती है। अगर इस लॉकर में रखे सामान को नुकसान पहुंचता है तो बैंक इसका 100 गुना यानी 36 लाख रुपये की भरपाई करेंगे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने 1 लाख जमा किए या 1 करोड़ रुपये।

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कब नहीं मिलता मुआवजा

बैंक ऑफ बड़ौदा के सहायक प्रबंधन ज्ञान द्विवेदी का कहना है कि अगर प्राकृतिक आपदा की वजह से लॉकर को नुकसान पहुंचता है तो बैंक की जिम्‍मेदारी नहीं होती। इसके अलावा ग्राहक की गलती की वजह से अगर उसे नुकसान हुआ तो भी बैंक कोई हर्जाना नहीं देते हैं। दरअसल, लॉकर में क्‍या रखा है, इसकी जानकारी न तो ग्राहक बैंक को देते हैं और न ही बैंक इसकी जानकारी ग्राहक से मांगते हैं। यह पूरी तरह गोपनीय होता है। मुरादाबाद की घटना में वैसे तो बैंक ने नियमों का हवाला देकर कोई हर्जाना देने से इनकार कर दिया है, लेकिन नियम के तहत ग्राहक को बैंक से हर्जाना लेने का पूरा अधिकार है।

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