Noida News: इस वजह से फंसी 35 हजार रजिस्ट्री, मामला कोर्ट में…
Noida News: नोएडा में बिल्डरों की लापरवाही के कारण एकबार फिर करीब 35 हजार रजिस्ट्री फंस गई हैं। बिल्डरों पर बकाया की राशि 6400 करोड़ थी जिसमे अब तक केवल 5.4 करोड़ की ही वसूली हो पाई है। बता दें की छूट मिलने के बाद 31 बिल्डरों को पैसे जमा कराने थे जिसमे केवल पांच बिल्डरों ने बकाया की राशि जमा कराई है। पहले करीब सात हजार फ्लैटों की रजिस्ट्री की उम्मीद थी, लेकिन अब केवल एक हजार रजिस्ट्री पर सहमति बनी है। करीब 35 हजार रजिस्ट्री फंस गई हैं, जिसका मामला कोर्ट में है।
क्या है पूरा मामला
खबर के मुताबिक नोएडा में अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिशों के लागू होने के बाद केवल पांच बिल्डरों ने 5.4 करोड़ रुपये जमा कराए हैं, जबकि 31 बिल्डरों पर छूट के बाद 6400 करोड़ रुपये की देनदारी बन रही है। जिन बिल्डरों ने पैसे जमा कराए हैं। उन पर ज्यादा बकाया नहीं था। प्राधिकरण की ओर से दबाव बनाए जाने के बाद भी बड़े बिल्डर पैसे जमा करने के मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं। बीते दिनों सात बिल्डरों ने प्राधिकरण के साथ वार्ता के बाद बकाया राशि जमा करने की सहमति दी थी। इनमें से पांच बिल्डरों ने ही पैसे जमा कराए। बाकी के दो बिल्डरों ने अभी पैसे जमा नहीं कराए हैं। लेकिन प्राधिकरण के पैकेज पर साइन कर दिया है। अभी भी नोएडा के 50 बिल्डरों के साथ प्राधिकरण के पैकेज पर साइन करने के बाबत सहमति नहीं बन पाई है। इनमें से 24 बिल्डर ऐसे हैं जो कि प्राधिकरण से वार्ता कर पैकेज साइन करने पर सहमति भी दे चुके हैं।
पूरी हो चुकी परियोजनाओं का कुल बकाया 8000 करोड़
नोएडा की पूरी हो चुकी 31 परियोजनाओं का कुल बकाया 8000 करोड़ है। इनको कोविड काल की छूट देने के बाद करीब 20 प्रतिशत राशि कम हो रही है। ऐसे में छूट के बाद बकाये की राशि 6400 करोड़ रुपये होगी। वहीं अगर अधूरी परियोजनाओं का भी बकाया जोड़ दिया जाए तो कुल बकाया 28 हजार करोड़ बनता है। लेकिन इनमें से अधिकांश मामले कोर्ट में हैं। यूनिटेक पर ही अकेले करीब 9 हजार करोड़ का बकाया है। ऐसे ही नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में 17 परियोजनाएं हैं। बाकी परियोजनाएं दूसरी कोर्ट में हैं।
केवल 1084 फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता साफ
अगर पूरी हो चुकी परियोजनाओं के बिल्डर बकाया चुका दें तो करीब 7 हजार रजिस्ट्री का रास्ता साफ हो जाएगा। फिलहाल अब तक केवल 1084 फ्लैटों की ही रजिस्ट्री का रास्ता साफ हुआ है। वहीं अधूरे फ्लैटों के निर्माण का रास्ता खोलने और पैकेज साइन करने के लिए कोई भी बिल्डर आगे नहीं आ रहा है। इस वजह से पूरा मामला संशय में है।
एनजीटी की छूट मिले तो बकाया हो जाएगा शून्य
चार-पांच बिल्डरों का तर्क है कि प्राधिकरण अगर उनके एनजीटी काल के बकाये की छूट प्रदान कर दे तो उन्हें एक भी पैसा जमा नहीं कराना होगा। प्राधिकरण से ओसी मिलने के बाद उनकी परियोजनाओं में रजिस्ट्री का काम अगले दिन से शुरू हो सकता है। हालांकि प्राधिकरण बिल्डर को कोविड काल के दो वर्ष की छूट लेकर कुल बकाये की 25 प्रतिशत राशि 60 दिनों में जमा करने को कह हरा है। ऐसे बिल्डरों का कहना है कि अगर एनजीटी की छूट मिलने के बाद उनका कोई बकाया नहीं रहेगा तो वह पहले पैसा क्यों दें। इस पर प्राधिकरण ने विचार करने का आश्वासन दिया।
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इन बिल्डरों ने साइन किए पैकेज
-आईआईटीएल निम्बुस प्राइवेट लिमिटेड
-कैपिटल इंफ्राप्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड
-डिवाइन इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड
-एचआर ओरैकल डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड
-एम्स आरजी एंजल प्रोमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड
-बिल्डर सनशाइन इंफ्रावेल प्राइवेट लिमिटेड
-गुलशन होम्स एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड