Noida News: पोर्टल पर बदलाव आने से फेक बिडर के लिए रास्ता हुआ और भी साफ
Noida News: नोएडा शहर में यातायात से जुड़ी एक बड़ी खबर है। वाहनों पर लगने वाले वीआईपी नंबर के पोर्टल पर परिवर्तन होने से फेक बिडर के लिए रास्ता और सरल हो गया है। जिसके कारण अब किसने कितने का नंबर खरीदा और कितनों ने बोली लगाई आदि प्रक्रियाओं को नहीं देखा जा सकेगा। विभागीय अधिकारियों ने बताया, शासन से यह बदलाव किया गया है।बदलाव के बाद से ही फेक बिडर सक्रिय हो गए हैं।
क्या है पूरा मामला
Noida News: जानकारी के मुताबिक नोएडा में वाहनों पर लगने वाले वीआईपी नंबर के पोर्टल पर परिवर्तन होने से फेक बिडर के लिए रास्ता और सरल हो गया है। अब वह आसानी से फेक बोली लगाकर फायदा उठा सकेंगे। ऐसे में अन्य बोली लगाने वाले वाहन स्वामी या इच्छुक लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगेगी। परिवहन विभाग की साइट में पहले बिडिंग अपडेट और रिजल्ट के ऑप्शन पर क्लिक कर उस सीरीज से जुड़ी सारी जानकारी मिल जाती थी। नए परिवर्तन में ऐसी कोई जानकारी वेबसाइट पर दिखाई नहीं देगी। विभागीय अधिकारियों ने बताया, शासन से यह बदलाव किया गया है। बदलाव के बाद से ही फेक बिडर सक्रिय हो गए हैं। इससे पहले फेक बिडर फेक बोली को लाखों में लेकर जाते थे, अंत में नंबर नहीं लेकर नंबरों का रेट कम कर देते थे। ऐसे में 15 लाख का नंबर भी केवल 1 लाख रुपये में बिकता था। विभाग की ओर से भी कई बार शासन से ऐसे बिडरों पर लगाम लगाने के लिए ऐक्शन लेने की बात कही थी। लेकिन विभाग ने वेबसाइट में ही परिवर्तन कर दिया है। ऐसे में अब कौन कितनी बोली लगा रहा है यह नहीं देखा जा सकेगा। एआरटीओ सियाराम वर्मा ने बताया कि पोर्टल पर बदलाव शासन स्तर से ही संभव है। इसमें संभाग से कुछ हो पाना संभव नहीं है।
ऐसे लगती थी फेक बोली
अधिकतम बोली लगाने वाला बाद में राशि जमा नहीं करता, ऐसे में दूसरे स्थान पर कम बोली लगाने वाले को नंबर आवंटित कर दिया जाता है। पिछले तीन बार से इसी तरह का खेल चल रहा है। इस बार भी ऐसा होने की आशंका अधिक जताई जा रही है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि नीलामी प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखी जा रही है। जानकारी के अनुसार परिवहन विभाग की ओर से वेबसाइट पर नंबर डाले गए हैं। नीलामी की प्रक्रिया भी ऑनलाइन है।
लोग एक ही ग्रुप के होते हैं
एक ही ग्रुप, परिवार या कंपनी के कई लोग एक ही नंबर पर बोली लगाते हैं। इनमें एक व्यक्ति की बोली अधिक और दूसरों की उससे काफी कम होती है। अंतिम समय में सबसे अधिक बोली लगाने वाला राशि जमा नहीं करता तो दूसरे स्थान वाले को मौका दिया जाता है। यदि वह भी तय समय में राशि जमा नहीं करता तो तीसरे स्थान वाले व्यक्ति को नंबर आवंटित किया जाता है। ऐसे में विभाग को अधिकतम लगाई गई बोली से काफी कम राशि मिल पाती है।
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