Right To Education: गौतमबुद्ध नगर में स्टूडेंट का भविष्य अंधेरे में, घट गई आरटीई की 1513 सीटें…
Right To Education: शिक्षा के नाम पर कारोबार करने वाले देश के हर कोने में हैं। अभी हाल ही में गौतमबुद्ध नगर से एक बेहद निराश करने वाली खबर सामने आई है। बच्चे जो देश की आने वाली पीढ़ी हैं आरटीई के नाम पर उनके भविष्य से भी खिड़वाल किया जा रहा है। खबर के मुताबिक आरटीई के तहत स्कूलों में सीटें बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया था, इसके बावजूद सीटों में भारी संख्या में घटाई गई है। ये वाकई में बहुत ज्यादा हैरान करने वाली बात है। सीटों के नहीं बढ़ने से अभिभावक संघ शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े कर रहा है।
क्या है पूरा मामला..
खबर के मुताबिक एनसीआर पैरेंट्स एसोसिएशन के संस्थापक सुखपाल सिंह तूर का कहना हैं कि सत्र 2022-23 में निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत 18029 सीटें थी। अक्टूबर और नवंबर में स्कूलों की मैपिंग होने के बाद 16516 सीटें ही बची है।1112 स्कूलों की मैपिंग करने के बाद भी सीटें नहीं बढ़ी हैं। प्रदेश में स्कूलों की मैपिंग होने के बाद जहां करीब एक लाख से अधिक सीट शिक्षा के अधिकार अधिनियम ( आरटीई) के तहत बढ़ी हैं। वहीं, गौतमबुद्ध नगर में बढ़ने की बजाय 1513 सीटें घट गई है।
विभाग के अधिकारियों की ओर से दावा किया जा रहा था कि कई सालों से स्कूलों की मैपिंग नहीं की गई थी। इस बार स्कूलों की मैपिंग होने से सटीक सीटें आरटीई के पोर्टल पर अपडेट की गई। बता दें कई नामी निजी स्कूल विभाग के कर्मचारियों से साठगांठ करके वास्तविक सीटों को छुपा लेते थे और औसत के हिसाब से पोर्टल पर अपडेट कर देते थे।
इस बार शासन की ओर से दो से तीन बार आरटीई का पोर्टल खोला गया। उसके बाद भी जिले में आरटीई की सीटें बढ़ने की बजाय कम हो गई। सीटों के नहीं बढ़ने से अभिभावक संघ शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े कर रहा है।
एनसीआर पैरेंट्स एसोसिएशन के संस्थापक सुखपाल सिंह तूर का कहना हैं कि सत्र 2022-23 में निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत 18029 सीटें थी। अक्टूबर और नवंबर में स्कूलों की मैपिंग होने के बाद 16516 सीटें ही बची है। यदि 1,112 स्कूलों की मैपिंग करने के बाद भी सीटें नहीं बढ़ी हैं।
इसका मतलब मैपिंग सही से नहीं की गई है। कई नामी निजी स्कूल हर साल वास्तविक सीटों को नहीं दिखाते है, जिससे उन्हें शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत छात्रों का दाखिला नहीं लेना पड़े। शिक्षा विभाग को स्कूलों की सीटों की सूची कार्यालय के बोर्ड पर चस्पा करनी चाहिए।
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आरटीई पोर्टल से हटाए गए स्कूल
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कई स्कूलों ने कुल सीट की अपेक्षा पोर्टल पर कम सीटें दिखाई थी । पिछले दो महीनों में यूडाइस पर अंकित स्कूलों की सीट का 25 प्रतिशत आरटीई के पोर्टल पर दर्ज किया गया है। वहीं 163 स्कूलों को मैपिंग के दौरान आरटीई पोर्टल से हटाया गया है। पोर्टल से हटाए गए स्कूल कक्षा छह से 12 तक संचालित होते हैं। जबकि आरटीई के तहत प्री प्राइमरी और कक्षा एक में ही दाखिला मिलता है। इसी वजह से इन्हें पोर्टल से बाहर किया गया है। पोर्टल से हटने के बाद करीब 2691 सीटें कम हो गई हैं।
25 प्रतिशत सीटों पर दाखिले का नियम
आर्थिक रुप से कमजोर छात्रों के लिए शिक्षा केअधिकारअधिनियम(आरटीई) के तहत 25 प्रतिशत सीट निजी स्कूलों में रिजर्व रखी जाती हैं। उन्हें 25 प्रतिशत सीटों पर आर्थिक रुप से कमजोर छात्रों को दाखिला देना होता हैं, लेकिन वह ऐसा नहीं करते है। इस बार 18029 सीटों में से करीब 3205 ही सीट पर छात्रों का दाखिला हो पाया था।