November 26, 2024, 3:36 am

अतीक को छोड़िए, अक्कू यादव को तो जज के सामने काट दिया गया था, जानिए क्या हुआ था 19 साल पहले

Written By: गली न्यूज

Published On: Thursday April 20, 2023

अतीक को छोड़िए, अक्कू यादव को तो जज के सामने काट दिया गया था, जानिए क्या हुआ था 19 साल पहले

प्रयागराज में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में जिस तरह हत्या हुई है उससे हर कोई हैरान है. खास बात ये है कि ये सब कुछ मीडिया के सामने हुआ. लेकिन आज से 19 साल पहले ऐसा ही एक मर्डर भरी अदालत में जज के सामने हुआ था. वो एक दरिंदा था. जिसकी हत्या कोर्ट के अंदर महिलाओं ने की थी. उसके खिलाफ इतना गुस्सा था कि उसका प्राइवेट पार्ट तक काट डाला गया था.

क्या है पूरा मामला ? 

13 अगस्त साल 2004 को भरत कालीचरण उर्फ अक्कू यादव को नागपुर की अदालत में पेश किया गया था. अक्कू यादव एक सीरियल किलर था. सुनवाई के दौरान यादव लोहे के दरवाजों में बंद था. यादव के साथ केवल दो पुलिस कांस्टेबल थे. तभी लगभग 200 से 500 लोगों की एक भीड़ ने दूसरी तरफ से कोर्ट के लकड़ी के दरवाजे को तोड़ दिया. ये सभी लोग पत्थर, चाकू, कांच की बोतलें , मिर्च और कई तरह के हथियार ले कर अदालत के अंदर आ गए. सीरियल किलर अक्कू यादव की दिनदहाड़े कोर्ट रूम में चाकू से काट कर हत्या कर दी गई. बदकिस्मती से 13 अगस्त 2004 जो अक्कू यादव की जमानत की सुनवाई का दिन मुकर्रर किया गया था, वही दिन यादव की मौत का दिन बन गया.

उस दिन अदालत में क्या हुआ था ?

सुनवाई अभी शुरू भी नहीं हुई थी कि आसपास के इलाकों में ये खबर फैल गई कि अदालत अक्कू यादव को रिहा कर सकती है. हालांकि पुलिस ने उसे तब तक हिरासत में रखने की योजना बनाई थी जब तक कि सभी शांत नहीं हो जाते, लेकिन सैकड़ों महिलाओं ने चाकू और मिर्च पाउडर लेकर मार्च करना शुरू कर दिया. देखते ही देखते कई महिलाएं कोर्ट रूम में भी आ गई और सामने वाली सीटों पर बैठ गईं.

दोपहर 2:30 से 3:00 बजे के बीच यादव अदालत में लाया जाता है. अदालत में आते ही यादव की नजर एक महिला पर पड़ी. ये वही महिला थी जिसका यादव ने रेप किया था. महिला पर नजर पड़ते ही यादव ने उस महिला का मजाक उड़ाया उसे वेश्या कहा और चिल्लाया कि वह फिर से उसका बलात्कार करेगा. ये सुनते ही पुलिस कॉस्टेबल कथित तौर पर हंस पड़ते हैं. अगले ही पल सामने वाली एक महिला ने अपने पैर से चप्पल निकाला और यादव के सिर पर दे मारा. उसने यादव से कहा कि या तो वह उसे मार डालेगी या मैं ये कहते हुए मरूंगी कि हम दोनों इस धरती पर एक साथ नहीं रह सकते. इस धरती पर या तो तू रहेगा या मैं रहूंगी.

देखते ही देखते यादव पर 200 से 400 महिलाओं की पूरी भीड़ टूट पड़ती है. महिलाएं यादव की कोर्ट रूम में ही पिटाई करना शुरू कर देती हैं. उस पर कम से कम 70 बार चाकू से वार किया जाता है और उसके चेहरे पर मिर्च पाउडर और पत्थर फेंके भी फेंके जाते हैं. मिर्च पाउडर को उन पुलिस अधिकारियों के चेहरे पर भी फेंक दिया गया था जो उसकी सुरक्षा में थे.

यह भी पढ़ें:-

Vegetable Farming: इन सब्जियों की खेती से किसान बन जाएंगे मालामाल! कम समय में बन सकते हैं करोड़पति

क्या कहती है रिपोर्ट्स

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एक पीड़िता ने यादव के प्राइवेट पार्ट को काट दिया. पुलिसकर्मी घटनास्थल से डर कर भाग गए. यह घटना नागपुर जिला अदालत संख्या 7 में अदालत कक्ष के संगमरमर के फर्श पर हुई.

जब यादव की पीट-पीटकर हत्या की जा रही थी, तो वह डर गया और चिल्लाया: “मुझे माफ कर दो! मैं इसे फिर से नहीं करूंगा! महिलाओं ने तब तक चारों तरफ से यादव को घेर लिया था और लगातार चारों से चाकू से वार जारी था.

घेरा बनाए ये महिलाएं बारी -बारी से कम से कम एक बार यादव को चाकू से मार रही थी. अदालत के फर्श और दीवारों पर उसका खून बिखरा हुआ था. यादव उस समय 32 साल का था और एक दशक से ज्यादा समय से अपराध कर रहा था. यादव का एक दशक का अपराध उस दिन 15 मिनट में खत्म कर दिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ये पता चला कि यादव के शरीर पर 74 बार चाकू से हमला किया गया था.

यादव की मौत का जश्न पूरी बस्ती में मनाया गया

बता दें कि यादव पर हमला करने वाली सभी महिलाएं कस्तूरबा नगर की रहने वाली थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं का कहना था कि हत्या अनियोजित थी. हममे से किसी ने यादव की हत्या करने की प्लानिंग नहीं की थी. हम बस ये चाहते थे कि वो रिहा न हो.

हत्या के बाद महिलाएं कस्तूरबा नगर लौट आईं और पुरुषों को बताया कि उन्होंने यादव की हत्या कर दी है. सड़कों पर संगीत और नृत्य के साथ झुग्गी-झोपड़ी में जश्न मनाया गया. पांच महिलाओं को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन शहर में प्रदर्शनों के बाद उन्हें रिहा करना पड़ा. इसके बाद बुजुर्ग महिलाओं सहित 21 लोगों को जरीपटका पुलिस ने हत्या और दंगा फैलाने के मामले में गिरफ्तार किया. इलाके में रहने वाली हर महिला ने लिंचिंग की जिम्मेदारी ली थी.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव रिपोर्ट यानी सीएचआरआई की रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर उस समय कहा कि सबको पता है कि ये चीजें कैसी होती हैं. हम लोगों को शांत करने के लिए किसी को गिरफ्तार करते हैं. हम एक या दो लोगों को निलंबित कर देंगे और चीजें शांत होने के बाद एक महीने बाद उन्हें बहाल कर देंगे.

कौन था अक्कू यादव 

भरत उर्फ अक्कू कालीचरण यादव 1980 और 1990 के दशक के दौरान नागपुर में गैंगस्टर था. 2005 में प्रकाशित कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव रिपोर्ट (सीएचआरआई) के मुताबिक यादव की मृत्यु के समय उस पर 26 आपराधिक मामले दर्ज थे. वह दूधियों के परिवार से ताल्लुक रखता था .

मराठी अखबार लोकसत्ता की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे-मोटे अपराधों से जुड़ने के बाद यादव 1991 में गंभीर आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गया था. यादव पर गैंग रेप, हत्या, सशस्त्र डकैती, घर तोड़ना, आपराधिक धमकी और जबरन वसूली जैसे अपराध शामिल थे.

यादव पहली बार 1999 में गिरफ्तार किया गया था और महाराष्ट्र निवारक निरोध कानून के तहत एक साल के लिए हिरासत में लिया गया था. साल 2000 में यादव की हिरासत का आदेश रद्द कर दिया गया था. जनवरी 2004 में बॉम्बे पुलिस अधिनियम 1951 के तहत यादव को नागपुर शहर और ग्रामीण इलाकों में जाने से प्रतिबंधित कर दिया गया यादव ने आदेश का पालन नहीं किया.

कस्तूरबा नगर की महिलाएं यादव के खिलाफ क्यों खड़ी हुईं?

बीबीसी मराठी की रिपोर्ट के मुताबिक उषा नारायणें जो बस्ती की एक पढ़ी-लिखी महिला थी. उन्होंने अपनी पड़ोसी रत्ना को यादव के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी थी. यादव पैसे के लिए उसे परेशान कर रहा था. इस बात का जिक्र ‘हाफ द स्काई: टर्निंग हैल्यून इन अपॉर्च्युनिटी फॉर वुमन वर्ल्डवाइड’ में भी किया गया है.

उषा के इस कदम से गैंगस्टर नाराज हो गया. सीएचआरआई की रिपोर्ट के अनुसार यादव 27 जुलाई की रात 40 साथियों के यादव उषा के घर पहुंचा और उस पर तेजाब फेंका. साथ ही बलात्कार करने की धमकी दी. जाते -जाते यादव ने पूरी जगह को गैस सिलेंडर से उड़ाने की धमकी दी.

उषा ने अपनी बहनोई विलास भांडे के साथ 4 अगस्त 2004 को एक मीटिंग बुलाई थी, ताकि बस्ती के सभी लोगों को यादव के अत्याचारों और उससे लड़ने के बारे में बताया जा सके. दो दिन बाद, भांडे ने 96 निवासियों से सिग्नेचर लेकर पुलिस को एक सामूहिक शिकायत भेजी. जिसमें कहा गया कि सात महीने पहले क्षेत्र से दूर जाने का आदेश दिए जाने के बावजूद यादव बस्ती में ही रह रहा है और सरेआम अपराध भी कर रहा है.

शिकायत में ये बताया गया था कि यादव पुलिस की निगरानी में भी सक्रिय रूप से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता रहा. 4 अगस्त को ही बस्ती के लोगों ने यादव के घर पर हमला कर दिया. 7 अगस्त 2004 को यादव पुलिस हिरासत में था. कुछ लोगों का मानना है कि अक्कू यादव ने नाराज जनता का गुस्सा देखते हुए खुद को पुलिस को सौंप दिया था. यादव को अपने कनेक्शन पर भरोसा था कि जैसे ही चीजें शांत हो जाएंगी वो जमानत पर बाहर निकल आएगा, लेकिन यादव को ये कहां पता था कि 13 अगस्त 2004 उसकी जिंदगी का आखिरी दिन साबित होगा.

यह भी पढ़ें:-

Benefits Of Watermelon Seeds: तरबूज के बीज बीमारियों को दूर करने में असरदार, ये परेशानियां भी होगी दूर, जानें

यादव का आतंक राज

1971 में पैदा हुए यादव ने तीन हत्याएं की थी. वो लोगों को प्रताड़ित करता था. अपहरण करना, लोगों की जमीनें हड़पना उसका पेशा था. यादव ने  40 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों का रेप किया था. वो पुलिस को भी रिश्वत देता था. पुलिस को समय- समय पर पैसे और महंगी शराब भेजवाता था जिससे पुलिस वाले यादव के अपराध में कोई रोक टोक न करें.

यादव कस्तूरबा नगर में रहने वाले परिवारों, ज्यादातर दलितों को आतंकित करता था. पैसे की मांग करते हुए जबरदस्ती घरों में आ जाना, धमकियां और गालियां देते हुए लड़कियों और महिलाओं का रेप करना उसके लिए आम था. रिपोर्ट्स ये बताती हैं कि बस्ती वालों के लिए रेप जैसी घटना आम हो गयी थी, ये घटना बस्ती वालों को हर बार अपमानित कर रही थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कस्तूरबा नगर के निवासियों का कहना था कि उस समय झुग्गी के हर दूसरे घर में एक बलात्कार पीड़िता थी.  यादव पुरुषों को नियंत्रित करने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल करता था, और इसके लिए वो महिलाओं का रेप करता था. यादव ने अपने गुर्गों को आदेश दिया था कि वे 12 साल से कम उम्र की लड़कियों को भी गैंग रेप करें.

यादव के खिलाफ दर्जनों बलात्कार पीड़िताओं ने अपराध की सूचना दी, लेकिन कोई पुलिस कार्रवाई नहीं की गई. यादव और उसके लोगों ने कलमा नाम की एक महिला को बच्चा जन्म देने के दस दिन बाद उसका गैंगरेप किया था. उसके बाद कलमा ने आत्महत्या कर ली. कलमा ने खुद को मिट्टी के तेल से जलाकर मार दिया था. यादव के गिरोह ने एक अन्य महिला का रेप उस वक्त किया जब वो सात महीने की गर्भवती थी. यादव गैंग ने उसे निर्वस्त्र कर दिया और सरेआम सड़क पर उसका रेप किया था. बता दें कि यादव को लगभग 14 बार गिरफ्तार किया गया था. हर बार वो रिहा हो जाता था.

यह भी पढ़ें:-

भोजपुरी सिंगर प्रियंका के साथ स्टेज पर हुई बदतमीजी, तो अक्षरा सिंह ने आयोजकों पर निकाली भड़ास

Leave a Reply

Your email address will not be published.