Mainpuri Election Result: जीत के बाद एक हुए चाचा भतीजा, प्रसपा का सपा में हुआ विलय
Mainpuri Election Result: उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनावों ने समाजवादी पार्टी को नई ताकत दे दी है। एक तरफ मैनपुरी सीट का दुर्ग बचाकर अखिलेश यादव ने बता दिया है कि समाजवादियों को नकारना आसान नहीं है। वहीं दूसरी ओर इस नतीजे के बाद अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल यादव भी बेहद करीब आ गए हैं।
नतीजे का असर
मैनपुरी लोकसभा (Mainpuri Election Result) क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में डिंपल यादव ने जबरदस्त जीत दर्ज की है बीजेपी उम्मीदवार को डिंपल यादव ने 2 लाख से ज्यादा वोटों से मात दी है। इस जीत ने जहां एक बार फिर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का मजबूत जनाधार दिखाया है वहीं दूसरी ओर चाचा शिवपाल और भतीजा अखिलेश (Akhilesh Meet Shipal Yadav) के बीच बढ़ी दूरी को भी मिटा दिया है।
जीत के बाद साथ आए
लंबे विवाद के बाद शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव ने फिर एक साथ आने और चलने का मन बना लिया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी का झंडा गिफ्ट किया है। जिसे बाद में शिवपाल यादव ने अपनी गाड़ी पर लगा लिया।
शिवपाल और अखिलेश के बीच हुए इस मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल है । इस मुलाकात के साथ ही यह दावा किया जा रहा है कि झगड़े के दिन अब खत्म हो गए है, चाचा भतीजा एक हो गए।
क्यों बढ़ा था विवाद
2019 लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच में खटास पैदा हो गई थी। जिसकी वजह से शिवपाल यादव ने 29 अगस्त 2018 को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया था। लेकिन चाचा भतीजा की नई मुलाकात के बाद यह कहा जा रहा है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का अखिलेश के समाजवादी पार्टी में अब विलय हो गया है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav Death) के निधन के बाद अखिलेश यादव अकेले हो गए थे। अखिलेश अपने चाचा शिवपाल यादव से इसके बाद समर्थन मांगा था। मैनपुरी उपचुनाव में चाचा शिवपाल यादव ने बहू डिंपल यादव के लिए जबरदस्त चुनाव प्रचार किया था। चुनाव प्रचार का है परिणाम है कि मैनपुरी लोकसभा सीट से डिंपल यादव को प्रचंड जीत मिली है।। इसी जीत के बाद अब अखिलेश और शिवपाल के रास्ते एक हो गए हैं। शिवपाल यादव की पार्टी में लौटने के बाद से समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ गया है। हालांकि कुछ लोग यह भी मानते हैं कि एक बार फिर दोनों के बीच पार्टी पर कब्जे को लेकर टकराव बढ़ सकता है।