Notice issued to builders: सुप्रीम कोर्ट ने 50 बिल्डरों को जारी किया नोटिस, 15 दिन का दिया समय
Notice issued to builders: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद प्राधिकरण 75 में से 50 बिल्डरों को नोटिस जारी (Notice issued to 50 builders) कर दिया है. 75 बिल्डरों पर 9 हजार करोड़ रुपए बकाया है. वैसे कुल बकाया 12 हजार करोड़ रुपए का है. इसमें 3 हजार करोड़ रुपए एनसीएलटी में चल रहे मामलों के है. इस वसूली के लिए नए रास्ते खोंजे जा रहे है.
नोटिस में बिल्डरों को 15 दिन का समय दिया जा रहा है. 15 दिन में बकाया जमा नहीं होने पर आरसी जारी की जाएगी. जिला प्रशासन फिर भूलेख प्रक्रिया (land record process) के तहत बिल्डर से वसूली करेगा. इसके लिए बिल्डर की प्रापर्टी को अटैच किया जाएगा. इसके बाद मुनादी और फिर निलामी के जरिए वसूली की जाएगी. प्राधिकरण वसूली के लिए उन प्रापर्टी का आवंटन निरस्त कर सकता है जिन पर कुछ नहीं बना. इसके लिए टीमों की ओर से सर्वे कर एक सूची तैयार की जा रही है. इस वसूली में आम्रपाली और यूनिटेक के मामलों को नहीं जोड़ा गया है, क्योंकि उनके अदालतों में मामले चल रहे है.
14 दिन पहले जारी हुआ था आर्डर
करीब 14 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश पर जोर देते हुए नोएडा प्राधिकरण की ब्याज दर के हिसाब से बिल्डरों को बकाये का भुगतान करने का आदेश दिया था. इसके बाद प्राधिकरण ने बकाया धनराशि का आकलन शुरू किया. अधिकारियों ने बताया कि प्राधिकरण ने बकाए की गणना 11.5 प्रतिशत साधारण ब्याज (simple interest) और तीन प्रतिशत दंड ब्याज (penalty interest) के साथ करवाई है. यह दरें 30 जून 2020 तक लगाई गई हैं. इसके बाद 1 जुलाई 2020 से गणना 9 जून 2020 को आए शासनादेश के मुताबिक की गई हैं. शासनादेश में बकाये पर एमसीएलआर के मुताबिक ब्याज दरें और एक प्रतिशत प्रशासनिक शुल्क लेने के निर्देश जारी हुए थे.
75 बिल्डर परियोजनओं पर है बकाया
प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि ग्रुप हाउसिंग की 116 परियोजनाएं हैं. इनमें से करीब 16 परियोजनाओं पर कोई बकाया नहीं है, जबकि 100 परियोजनाओं पर बकाया चल रहा है. इनमें से करीब 75 परियोजनाओं पर प्राधिकरण का 9 हजार करोड़ रुपये बकाया है. इन परियोजनाओं के बिल्डरों को बकाया देने के लिए नोटिस जारी किया गया है.
क्यूरेटिव याचिका दायर कर सकते है बिल्डर
बिल्डरों के पास अपील करने के लिए सिर्फ क्यूरेटिव याचिका (curative petition) का एकमात्र रास्ता बचा है. भारत के संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत ‘न्याय करने का अधिकार’ है. इसके लिए पुनर्विचार याचिका के बाद भी एक और याचिका दाखिल करने का अधिकार दिया है, इसे ही क्यूरेटिव याचिका कहते हैं. बिल्डर की ओर से क्यूरेटिव याचिका दायर की जाएगी.
पढ़ें: https://gulynews.com/fire-in-bhagirath-palace-market/
अनुच्छेद-142 क्या है ?
संविधान में सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 के रूप में खास शक्ति प्रदान की है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को पूर्ण न्याय देने के लिए कोर्ट जरूरी निर्देश दे सकता है.
इन बिल्डरों को जारी किया गया नोटिस
- ओमेक्स बुल्डवेल
- एजीसी रियल्टी
- एटीएस टाउनशिप
- सनवर्ल्ड रेजीडेंसी
- इमपेयिरल हाउसिंग वेंचर्स
- टीजीबी रियलकॉन
- प्रतीक इंफ्रा प्रोजेक्ट इंडिया
- एमपीजी रियल्टी
- गुलशन होम्ज
- कैपिटल इंफ्राप्रोजेक्टस
- आईआईटीएल निबंस द हाइड पार्क
- सनवर्ल्ड डेवलेपर्स
- महागुन रियल एस्टेट
- फ्यूटैक शेल्टर्स
- सनशाइन इंफ्रावेल
- नेक्सजैन इंफ्राकॉन
- एम्स प्रोमोटर्स
- गुलशन होम्स एंड इंफ्रास्टक्चर्स
- स्काईटैक कंस्ट्रक्शन
- पारस सीजन्स हेवन
- डिवाइन इंडिया
- पेन रियल्टर्स
- प्रतीक रियल्टर्स
- सिविटैक डेवलेपर्स
- परफेक्ट मेगा स्टक्चर्स
- एपेक्स ड्रीम होम
- आरजी रेजीडेंसी