Noida National Player: सिक्योरिटी गार्ड बनने को मजबूर हुआ नेशनल प्लेयर, सरकार की अनदेखी या खुद की गलती का शिकार बना
Noida National Player: देशभर में केंद्र सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए तरह तरह के उपाय में जुटी है। एक तरफ खेलों के लिए बजट बढ़ाए गए हैं तो दूसरी ओर प्रतिभावान खिलाड़ियों की ट्रेनिंग की भी पूरी व्यवस्था की जा रही है। सरकारी की इन कोशिशों के नतीजे भी नजर आ रहे हैं। ओलंपिक से लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स तक में खिलाड़ियों ने बढ़िया प्रदर्शन किया है और मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है। लेकिन अभी भी कई ऐसी चीजें हैं जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। खास तौर से उन खिलड़ियों पर सरकार को ध्यान देना चाहिए जो मुख्यधारा की खेल छोड़कर बाकी खेलों में देश का नाम रौशन करना चाहते है।
क्या है मामला ?
ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं वैभव नागर। वैभव वैसे तो मूलरुप से मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। लेकिन फिलहाल नोएडा में गार्ड की नौकरी करने के लिए मजबूर हैं। मध्य प्रदेश की ओर से वैभव बेसबॉल (Baseball) के राष्ट्रीय स्तर (Noida National Player) के खिलाड़ी रहे हैं। अपनी प्रतिभा और खेल क्षमता के कारण वैभव राष्ट्रीय स्तर पर जगह बनाने में कामयाब रहे हैं। लेकिन फिलहाल राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी वैभव नोएडा के सेक्टर 74 स्थित केपटाउन सोसाइटी में गार्ड की नौकरी करने के लिए मजबूर हैं।
कौन हैं वैभव नागर ?
https://gulynews.com को मिली जानकारी के मुताबिक वैभव कई बार मध्य प्रदेश का देश में प्रतिनिधित्व कर चुके है। राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। लेकिन कोरोना में तमाम खेल प्रतिस्पर्द्धा बंद होने के कारण पहले स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अपने दरबाजी इनके लिए बंद कर दिए और अब उम्र निकल गई लिहाजा खेलने लायक नहीं रहे। उस पर से बेरोजगारी की मार। लिहाजा जिंदा रहने के लिए रोटी जरूरी था और रोटी के लिए काम करना। ऐसे में 12वीं पास वैभव के पास को दूसरा रास्ता नहीं बचा तो एक सिक्योरिटी कंपनी में गार्ड की नौकरी कर ली।
टूट गया नेशनल खिलाड़ी का सपना
https://gulynews.com से खास बात करते हुए वैभव ने बताया कि मजबूरी में उन्हे यह नौकरी करनी पड़ी क्योंकि गरीबी और मुफलिसी से वो परेशान हो गए थे। उम्र लगातार बढ़ रही थी और परिवार की उम्मीदें खत्म होने लगी थीं। लिहाजा उन्होंने खेल को पीछे छोड़कर काम करना ज्यादा मुनासिब समझा।
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वैभव की इच्छा थी कि वो इंटरनेशनल खेलें और परिवार के साथ-साथ देश का नाम रौशन करें। लेकिन इच्छाओं से पेट नहीं चलता। पेट की आग ने वैभव को बैकफुट पर धकेल दिया और अब वैभव नोएडा में हैं और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे हैं। तीन महीना पहले ही वैभव नोएडा आए हैं। लेकिन काम के साथ फिटनेस रखना उनके लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में वैभव अपना ध्यान खेल से हटाकर काम करने पर फोकर कर रहे हैं।
खेल पर सरकार का बजट
बता दें कि साल 2021 तक केंद्र सरकार ने 5 साल के भीतर 6 हजार 801 करोड़ 30 लाख रुपये विभिन्न खेल विकास योजनाओं में खर्च किए हैं। केंद्र सरकार की ओर से खेल मंत्रालय को 7 हजार 72 करोड़ 28 लाख रुपये आवंटित किए गए थे। लेकिन वैभव नागर जैसे खिलाड़ियों को देखकर लगता है कि सरकार के ये रुपये इन तक नहीं पहुंचे।
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